बुधवार, 5 अगस्त 2009

मेरे भइया प्यारे भइया बहिन को क्यों भुला दिया


मेरे भइया प्यारे भइया बहिन को क्यों भुला दिया।
हुई खता क्या मुझसे जो खुदको मुझसे जुदा किया।
मेरे भइया प्यारे भइया....

मात-पिता की हम हैं दो ही संताने
मैं जानू यह भइया और तू भी जाने
मैंने तो माना मगर यह तू नहीं माने
एक खून थे हम और तुम गैर मुझे क्यों बना दिया।
मेरे भइया प्यारे भइया....

कहीं भाभी ने ही कुछ कह दिया होगा
मेरे खिलाफ तुम्हें कुछ भर दिया होगा
और अपने पक्ष में तुम्हें कर लिया होगा
जीते जी ही तुमने अपनी बहिन को क्यों रुला दिया।
मेरे भइया प्यारे भइया....

जबसे हुई हूँ मैं घर से पराई भइया
कभी तुम्हें याद न मेरी आयी भइया
जाने कौन घड़ी की मैं हूँ जाई भइया
ख़ुद कुछ भी न सोचा भाभी का क्यों कहा किया।
मेरे भइया प्यारे भइया....

भाई बहिन के बीच की दीवार है भाभी
ठीक नहीं होती है ऐसी बेकार है भाभी
भइया के सुख दुःख की संसार है भाभी
भइया मेरा बुरा नहीं भाभी ने ही मुझे छुडा दिया।

मेरे भइया प्यारे भइया....

आखिर तुम क्या चाहते हो बतलाओ हमें


आतंकबादी

आखिर तुम क्या चाहते हो बतलाओ हमें
तुमको किसने भड़काया है बतलाओ हमें

जिस थाली में खाओ उसी में ही छेद करो
यह पाठ किसने पढाया है बतलाओ हमें

कसूरबारों को मारो तो जाने हम भी तुम्हें
बेकसूरों ने क्या बिगाडा है बतलाओ हमें

तुम चाहे पचास मारो चाहे फ़िर सौ मारो
अब तक भला क्या पाया है बतलाओ हमें

आग लगादी है तुमने इस प्यारे वतन में
क्यों तरस ही नहीं खाया है बतलाओ हमें

एक दिन तुम ख़ुद भी मर जाओगे ऐसे ही
क्यों व्यर्थ जीवन गंवाया है बतलाओ हमें




मंगलवार, 4 अगस्त 2009

एक - दूसरे के साथ चले हैं हम दोनों


एक - दूजे के साथ चले हैं हम दोनों।
मस्ती में मस्ती से खिले हैं हम दोनों।

लाख लगा ले दुनिया पहरा फ़िर भी
जब भी चाहा तभी मिले हैं हम दोनों।

रंग गए तन-मन से मिल कर होली में
एक
-दूजे को रंग खूब मले हैं हम दोनों।

सफल हुआ है जीवन अपना धरती पर
प्यार से मिल के फूले फले हैं हम दोनों।

सोमवार, 3 अगस्त 2009

दिल से टकराती है जब तेरी याद आती है


दिल से टकराती है जब तेरी याद आती है।
दिल को तड़पाती है जब तेरी याद आतीहै॥


छाया हुआ है अँधेरा दिखता नहीं है सवेरा
तबियत घबराती है जब तेरी याद आती है।

दिल है भारी-भारी झूठ नहीं कसम तुम्हारी
दिल को तरसाती है जब तेरी याद आती है।

देख रहा हूँ तेरी राहें फैला कर अपनी बाहें
साँस आती जाती है जब तेरी याद आती है।

रविवार, 2 अगस्त 2009

दिल जल रहा मगर धुआं नहीं यारो


दिल जल रहा मगर धुआं नहीं यारो।
दिल से बना कोई अपना नहीं यारो।

अकेला हूँ अकेला ही सही मैं फ़िर भी
जी लूँगा गर कोई महरबाँ नहीं यारो।

लुटने को लुट रहे हैं बहुत दुनिया में
पर मुझसा लुटा कोई यहाँ नहीं यारो।

सकूँ की तलाश में भटका हूँ उमर भर
जहाँ पे ढूँढा वहाँ पे मिला नहीं यारो।

आरजू थी कि कोई हमसफ़र मिलता
भटकता रहा मैं कहाँ कहाँ नहीं यारो।

शनिवार, 1 अगस्त 2009

भ्रष्टाचार फैला हुआ क्योंकि शासन भ्रष्ट है


भ्रष्टाचार फैला हुआ क्योंकि शासन भ्रष्ट है।
इसीलिए सभी को यहाँ पर कष्ट ही कष्ट है।

आजकल कोई भी किसी की सुनता ही नहीं
क्योंकि हरकोई अपने आप में हुआ मस्त है।

हमेशा सत्य ही जीतता यह किताबों में पढ़ा
मगर आज तो झूठ जीते यह हो रहा पुष्ट है।

हर कोई तो सितमगर है यहाँ अपने आप में
सितम करके इन्सां कितना बन गया दुष्ट है।

समा गई अशांति आज हर दिलो दिमाग में
जिससे भी बोलिये उसमें झलकता स्पष्ट है।

कोई अगर किसी से निभाए तो कैसे निभाए
बिना बात के ही हर कोई हर किसी से रुष्ट है।

वो सामने से गुजरते हैं मुझको देखते हुए


वो सामने से गुजरते हैं मुझको देखते हुए।
नजर-
नजर मिला के दिल को फेंकते हुए॥

मेरी समझ में तो कभी कुछ आया ही नहीं
जाने उन्हें क्या मिलता मुझको छेड़ते हुए।

बात करना चाहो तो बात ही नहीं करते वो
अब मुझे भी मज़ा आता 
है उन्हें हेरते हुए।

हिम्मत जुटा के एक दिन मैंने कह ही दिया
आओ दोनों 
ही जिन्दगी गुजारें खेलते हुए। 

नहीं-नहीं ऐसा नहीं हो सकता है वो बोले
पाने से अच्छा पाने को पापड़ बेलते हुए।

गुरुवार, 30 जुलाई 2009

कोई नहीं है हमारा यहाँ


कोई नहीं है हमारा यहाँ,
है मतलबी यह सारा जहाँ।
जिसने हमने अपना बनाया,
समझा उसने पराया यहाँ॥

कहने को हैं रिश्ते नाते,
होते तब तक जब तक खाते
मानो या न मानो कोई ,
खब्बुओं का है यह मारा जहाँ।

बेदर्दों की यह दुनिया है, 
दुनिया भी क्या यह दुनिया है
जब भी देखा आजमा कर 
मिलता नहीं है सहारा यहाँ।

अपनी न होगी दुनिया कभी,
चाहे मिटा दो ये जिन्दगी
कहते भी कुछ भी बने न
जीवन बड़ा ही बेचारा यहाँ।





मंगलवार, 28 जुलाई 2009

कभी कभी अपने ही फैसले हमें नहीं सुहाते हैं


कभी कभी अपने ही फैसले हमें नहीं सुहाते हैं।
अन्दर ही अन्दर हम चीखते और चिल्लाते हैं।

दुनिया में लोग अपनी सोच पे ही लिया करते
कभी खुदको रुलाते तो कभी खुदको हँसाते हैं।

अपनों की सलाह भी हमको मान लेनी चाहिए
जो भी मानते वो अक्सर ही आगे बढ़ जाते हैं।

जो लेते रहते सीख गैरों की गलतियों से सदा
वही लोग अपने को जीवन में बेहतर बनाते हैं।

सोमवार, 27 जुलाई 2009

इस दुनिया में कौन है अपना कहना मुश्किल है


इस दुनिया में कौन है अपना, कहना मुश्किल है। 
जाने कौन कब दे जाए धोखा,कहना मुश्किल है॥ 

कहने को सभी कहते हैं कि हम साथ निभाएंगे
लेकिन कौन निभाएगा कितना,कहना मुश्किल।

अक्सर लोग भरोसे से ही, तोड़ देते हैं भरोसा 
आख़िर किस पर करें भरोसा,कहना मुश्किल है।

कहते मुहब्बत और जंग में,सब कुछ है जायज 
पर इनके सिवा और बचा क्या,कहना मुश्किल है।

रविवार, 26 जुलाई 2009

अपनों को अपनत्व दिखाएँ मिलें तो अहसास कराएँ


अपनों को अपनत्व दिखाएँ मिलें तो अहसास कराएँ
जिन्दगी आसान होगी साथ बैठें पल दो पल बिताएँ।

त्याग, क्षमा, धैर्य और प्रेम से ही रिश्ते जिन्दा रहते
गर भरोसा न हो तो जीवन में इन्हें जरूर अपनाएँ।

ज्यादा बातें करने से रिश्तों में तनाव आ ही जाता
हो सके अपनी इस आदत पर विवेक से काबू पाएँ।

हमेशा किसी से बात करने को मन नहीं करता है 
ऐसे हालात में भूल कर भी किसी के पास न जाएँ।

खासम खास की मदद करने की जरूर सोचते रहें  
ऐसा सोच कर अपनों को और अपने करीब लाएँ।

शुक्रवार, 24 जुलाई 2009

बड़ी मछली छोटी को खाए जा रही है


बड़ी मछली छोटी को खाए जा रही है।
           दुनिया बस ऐसे ही चलती जा रही है।

कमजोरों पर जुल्म सदा होते ही आए
          यह दुनिया आज भी जुल्म ढा रही है।

अभी तो ढंग से हम जी भी नहीं पाए 
           कि जिन्दगी मेरी हाथों से जा रही है।

उसकी खूबसूरती का कोई जवाब नहीं
       जब देखो तब ही वो दिल को भा रही है।

उसको मनाने की तो कोशिश बहुत की
        मगर उसके मुँह पे हमेशा ही ना रही है।

हक़ मांगो तो तकलीफ होती है उनको
        हमारी सरकार हमको ही ठुकरा रही है।

मुनाफा कमा के हो गए वो नम्बर वन
        कर्मचारियों की हालत लड़खड़ा रही है।

बुधवार, 22 जुलाई 2009

रात पिया ने बड़ा तंग कियो रे


रात पिया ने बड़ा तंग कियो रे
         कैसे कहूँ जो मेरे संग कियो रे

पल भर उसने सोने न दिया रे
      रोना चाहा पर रोने न दिया रे
         ऐसे लड़ा वो जैसे जंग कियो रे

अपनी ही धुन में खोया रहा वो
    कुछ न सुनी हाय मैंने कहा जो
      दैया हाल बड़ा ही बेढंग कियो रे

बहुत बचाया पर बचा नहीं पाई
   उसकी पकड़ को छुडा नहीं पाई
      ढीला हर एक उसने अंग कियो रे

मंगलवार, 21 जुलाई 2009

देखो शबाब है यह मस्त शराब है यह


देखो शबाब है यह मस्त शराब है यह।
        आगे बढ ओ दीवाने बड़ा लाजवाब है यह॥ 

मेरे बदन की खुश्बू फैली हुई है हर शू
       मेरी खुश्बू में समाजा खिलता गुलाब है यह।

पास आता क्यों नहीं मुझे सताता क्यों नहीं
       सच सच कहूं मैं तुझसे आदत ख़राब है यह।

बाँहों में लीजिये ना आँखों से पीजिये ना
    आ के बेखौफ पढ़ ले हुस्न की किताब है यह।

शुक्रवार, 17 जुलाई 2009

हमने पड़ोसी से दोस्ती की चाह की


हम ने पड़ोसी से दोस्ती की चाह की।
               
 पर उसने न हमारी कोई परवाह की॥

हम अच्छे रिश्ते बनना चाहते हैं उस से
दुनिया ये जानती है हम कह रहे कब से
            कारगिल में घुसने की उसने गुनाह की॥

सोचा था इंसानियत को मिल के पूजेंगे
दिलों में मुहब्बत को हम खुल के ढूँढेंगे
            मगर पड़ोसी ने हमेशा हम से डाह की॥

इल्जाम लगाना उसकी है पुरानी आदत
इसी बात पर हम को है उससे शिकायत
           जहाँ में उसने हमारी बड़ी अफवाह की॥

हम को अपने पड़ोसी से नहीं है नफरत
मगर उसके दिल में जरा नहीं है उल्फत
           बात बने इस लिए हमने आउ जाउ की॥

हमें लगता पड़ोसी में कोई चेतना नहीं
इंसानियत की खातिर कोई वेदना नहीं
             हम ने हमेशा ही उसकी वाह-वाह की॥

हम से टकरा के उसको पछताना होगा
दोस्ती से ही रिश्ता अच्छा बनाना होगा
            हम ने हमेशा मिलने की सरल राह की॥

दुश्मनी की राहों से उसको मुड़ना होगा
 साथ-साथ तभी दोनों का चलना होगा
            हम ने जब की मुहब्बत की निगाह की॥ 














गुरुवार, 16 जुलाई 2009

हम तो पड़ोसी से दोस्ती करने चले


हम तो पड़ोसी से दोस्ती करने चले।
        मगर ले छुरा पड़ गया वो हमारे गले॥
कारगिल सीमा लांघी उसने घात से
         हम को लोग ये दिखते नहीं हैं भले॥

पिछली लड़ाइयों से कुछ सीखे नहीं
         तभी रह गए इस बार भी हाथ मले॥
इंसानियत इन्हें कभी रास न आयी
           ये उनसे खुश रहे जिनसे गए छले॥

ये आदी हुए इंसानी खून बहाने के
           हम शान्ति चाहें इस गगन के तले॥
रह रह जोर लगाना इनकी आदत
           मगर इन के इरादे कभी नहीं फले॥

दम नहीं है फ़िर भी फडफडा रहे
           दुनिया तबाह करें इनका बस चले॥

फिरते बड़े उतावले युद्ध के लिए
           हम तो टालना चाहें जब तक टले॥

दूसरों के घर में घुसना ठीक नहीं
            पता नहीं ये कैसे संस्कारों में पले॥
क्यों नहीं आता इनकी समझ में
            खेलें आग से मगर कई बार जले॥

बुधवार, 15 जुलाई 2009

मैं क्या बताऊं! तुम्हें दुःख अपना गुइयां।


क्या मैं बताऊं तुम्हें दुःख अपनों गुइयां।
मिलत जुलत नाहीं हैं मुझसे मेरे सइयां॥

सब सखियाँ मेरी मज़ा उडावे
सइयां उनके उन्हें गोद में बिठावे
पर
 मुझको नहीं है कहीं कोई ठैयां।

सैयां हैं मेंरे अजीब तरह के
रूठे रहत जाने कौन वजह से
कब हूँ न डालें बहियों में बहियां।

तुम्हारे दिन अच्छे कटत हैं सहेली
पर मैं तो रही हूँ घुट घुटके अकेली
दुःख के सिवा न मिली सुख की छैयां।



मंगलवार, 14 जुलाई 2009

वो मुझको अपनी जाँ समझते हैं


वो मुझको अपनी जाँ समझते हैं।
           मेरी मौनी को मेरी हाँ समझते हैं॥


जुल्फें मेरी बिखरा के ख़ुद पर वो
         मुझको ठंडी घनेरी छाँ समझते हैं॥

बस होने ही वाले हैं साठ के ऊपर
         अभी भी खुदको जवाँ समझते हैं॥


समझाती रहती हूँ अब यह छोडो
          पर मेरी बातें वो कहाँ समझते हैं॥

उन के आगे तो मेरी एक चले ना
         ख़ुद को तीस मार खां समझते है॥


रह जाती हूँ मैं मन को मसोसकर
         पर मेरी कहाँ वो जुवां समझते हैं॥ 

सोमवार, 13 जुलाई 2009

हम चढ़ गए एक दूजे की निगाहों में


हम चढ़ गए एक दूजे की निगाहों में।
   बड़ा सकूं मिला एक दूजे की बाँहों में॥

अब हमें क्या लेना देना है दुनिया से
    जब रहने को मिले उस की पनाहों मे॥

मुहब्बत का रंग होता है बड़ा ही प्यारा

 मस्ती सी छायी हुई जिन्दगी की राहों में॥

जो मांगो वही मिले तो बात ही क्या
 यह तभी होता जब हो असर दुआओं में॥ 

रविवार, 12 जुलाई 2009

मेरी भी एक प्यार से भरी कहानी थी



मेरी भी एक प्यार से भरी कहानी थी।
        कुछ न पूँछो जिन्दगी बड़ी सुहानी थी॥

बड़ा मुश्किल था रहना दूर एक दूजे से
        मैं उसपे दीवाना वो मुझपे दीवानी थी॥

जितना प्यार मिला उसका बहुत लगा
      उसकी हरेक अदा दिल को लुभानी थी॥

उसका प्यार दिल से कभी उतरा ही नहीं
      उसका प्यार ही मेरी ताकत रूहानी थी॥

शनिवार, 11 जुलाई 2009

बतलाओ मुझे आप क्यों रोने लगे हो


बतलाओ मुझे आप क्यों रोने लगे हो।
             आँसुओं से आँखें क्यों भिगोने लगे हो॥

टूटना बिखरना जिसकी आदत हुई
                उसे एक धागे में क्यों पिरोने लगे हो॥

रहना चाहते गर खूबसूरत फूलों में
                तो जीवन में काँटे क्यों बोने लगे हो॥

पाहिचान बनानी तो हटके जीना होगा
             गुम होकर पहिचान क्यों खोने लगे हो॥

जल्दी सो ओ जल्दी उठो स्वस्थ रहोगे
           कहो देर तक आखिर क्यों सोने लगे हो॥

बुधवार, 8 जुलाई 2009

अब देखना यह है कि वो आख़िर क्या करते हैं


अब मुझे देखना यह है कि वो क्या करते हैं।
     ठुकराते कि मुहब्बत का हक़ अदा करते हैं॥ 

वो मेरी मरज जान के भी अनजान बने हुए
      दवा कि जगह पास आ कर दुआ करते हैं। 

वो बसे हुए हैं इस तरह मेरे दिलो-दिमाग में
      जफा करते तो लगता है कि वफ़ा करते हैं।  

मनाओ उन्हें तो वो मनाये नहीं मनते मुझसे
     मालुम नहीं आख़िर हम क्या खता करते हैं। 

अब इसके सिवा कोई काम नहीं है मेरे पास
      हर हाल में उन की ही माला जपा करते हैं।  

रात भर सो न पाते उनके ख्यालों में डूब के 
     कोई राह नज़र न आती हाथ मला करते हैं।  

लगता है कि वो मुझको प्यार ही नहीं करते 
    पर जब भी मिले लगता मुझपे मरा करते हैं। 

मंगलवार, 7 जुलाई 2009

जब से जिन्दगी से उसका जाना हुआ


जबसे जिन्दगी से उसका जाना हुआ।
          मुस्कराए हुए मुझे एक ज़माना हुआ॥ 

जी रहा हूँ तड़प कर उसकी जुदाई में
          यह दिल मेरा उजड़कर वीराना हुआ। 

दिल से रखा था मैंने मुहब्बत में कदम
          पर हर कदम पे खुदको रुलाना हुआ।   

किसी को न मिले कभी ऐसी बेवफाई
          जीते जी मेरा तो बस मर जाना हुआ। 


सोमवार, 6 जुलाई 2009

मुस्कराते हुए लोग भी अन्दर से हुए क्रूर हैं


मुस्कराते हुए लोग भी अन्दर से हुए क्रूर हैं।
       दोहरी जिन्दगी जीने के लिए हुए मजबूर हैं॥

कहना कुछ करना कुछ आदत सी पड़ गयी
      इन्सान के आज  कितने बदल गए दस्तूर हैं॥

जुल्म पर जुल्म  बढते जा रहे हैं दिनों दिन
       मगर सज़ा वही पा रहे जो गरीब बेक़सूर है॥

मस्ती में  जी रहे हैं वही  मनमानी जिंदगी
        जिनके दौलत से भरे हुए खजाने भरपूर हैं॥

कोई किसी की परवाह ही नहीं करना चाहे 
       इंसानियत से लोग आज जा रहे बड़ी दूर हैं॥

शासन प्रशासन सभी तो हैं जनता के लिए
        इसके बावजूद भी सब लोग हुए चूर चूर हैं॥

रविवार, 5 जुलाई 2009

अगर तू आए तो आ जाए मौसम बहार का


अगर तू आए तो आ जा मौसम बहार का
    दिल ये मेरा बड़ा ही बेताब है तेरे दीदार का॥ 

हर तरह से देख लिया मैंने बहला कर दिल
    हाल फिर भी बेहतर हुआ तेरे बीमार का॥ 

भी जाओ न अब और देर न लगाइयेगा 
   कसम तुझको है मेरी वास्ता अपने प्यार का॥ 

यह दिल मेरा बेकाबू हुआ जाए तेरी चाह में
     हाय! काटे कटे पल-पल तेरे इंतज़ार का॥



शुक्रवार, 3 जुलाई 2009

गरीबी नहीं मिट रही तो क्या गरीब तो मिट रहे हैं


गरीबी नहीं मिट रही तो क्या गरीब तो मिट रहे हैं।
         जो नहीं मिटे वो जिंदगी में जैसे तैसे घिसट रहे हैं॥

राज नेता जो कहते अक्सर वो किया नहीं करते
        मगर गरीबी पर बयान देकर वो हमेशा हिट रहे हैं॥

गरीबों पर रहम दिखाया गया पर किया नहीं गया
      सदियों से ही पिटते आए और आज भी पिट रहे हैं॥

कहना कुछ करना कुछ यही फंडा है राजनीति का
       नेता यही फंडा अपना कर मकसदों में फिट रहे हैं॥

मंगलवार, 30 जून 2009

अपने आप से अपना मुख क्यों मोड़ने लगे हो



अपने आपसे अपना मुख  क्यों  मोड़ने लगे हो।
दुनिया का दुःख  जीवन  में क्यों भोगने लगे हो॥ 

कम  से कम  जो  बोले  लगता  वही  है  प्यारा
यह  जान  कर  भी ज्यादा  क्यों  बोलने लगे हो॥

देखो रिश्तों को कभी भी गहराई से मत देखिए 
गहराई से देख के रिश्तों को क्यों तोड़ने लगे हो॥

ख़ुद ही इन्सां गिरता है  और  ख़ुद  ही उठता है
फ़िर दोष  दूसरों  पर  क्यों  भाई थोपने लगे हो॥

अपने ही हाथों  में  होता अपना  भाग्य बनाना
कहो फिर अपने आप को  क्यों  कोसने लगे हो॥

राज की बातें राज  बना  के रखना सीखो यारो
गैरों से अपनी बातों  को  क्यों  खोलने  लगे हो॥

नए मीत बने तो उनको भी  अपने गले लगाओ
नए की खातिर पुराने  को  क्यों  छोड़ने लगे हो॥

अगर  चाहने पर  भी  कोई  तुम  को नहीं चाहे 
भला ऐसे लोगों से खुदको  क्यों जोड़ने लगे हो॥

सोच समझ के ही हरदम अपना विवेक लगाओ
बिन सोचे समझे ही ख़ुदको क्यों झोंकने लगे हो॥ 










शनिवार, 27 जून 2009

दोस्तो दोस्ती का खूब मज़ा लीजिये



दोस्तो दोस्ती का खूब मज़ा लीजिये।
            एक प्यारा साथी कोई बना लीजिये॥ 

जो अपनी कहे और वो तुम्हारी सुने
            उस को दिल में अपने बसा लीजिये॥ 

काटे कटती नहीं यह तनहा जिंदगी
           दिल अपना किसी से मिला लीजिये॥ 

यूँ कोई किसी का जल्दी होता नहीं
            बात बनेगी दिल आगे बढा लीजिये॥ 

दो कदम पहले आगे बढाओ तो जरा
           फ़िर पता दीजिये और पता लीजिये॥ 

जिंदगी की खुशी तुम्हें मिल जायेगी
          प्यार से अपनी जिंदगी सजा लीजिये॥ 

शुक्रवार, 26 जून 2009

कर लो यकीं मुझ पर जानम


करलो यकीं मुझ पर जानम प्यार हमारा झूठा नहीं।
 इतना सताया तुमने फ़िर भी दिल हमारा टूटा नहीं॥

कसम तुम्हारी तुम क्या जानो कितना तुम को चाहें
 जिस पल याद नहीं आई ऐसा पल कोई छूटा नहीं॥

एक दिन आएगा जब तुम महसूस करोगी मुझको
  मुझे पता मेरा मुकद्दर अब तक मुझसे रूठा नहीं॥

जब तक साँस रहेगी मेरी तब तक तुमको चाहेंगे
  यूँ तो देखे हैं लाखों मगर तुझसा कोई सूझा नहीं॥

तुम हो मेरी पहली चाहत तुम को कैसे भूल जायें
  प्यार की तुम फुलवारी सिर्फ़ प्यार का बूटा नहीं॥

बुधवार, 24 जून 2009

हम रुसवा हो गए


उनकी झलक भी न मिली, हम रुसवा हो गए।
  खूब उड़ी मुहब्बत की खिल्ली, हम रुसवा हो गए॥ 

सोचा था जियेंगे मिल के मुहब्बत भरी जिंदगी 
    लग गयी ऐसी मुँह में चिल्ली, हम रुसवा हो गए॥ 

बड़ा अरमान था करूंगा देश सेवा नेता बन कर
       पहुँचे भी नहीं पाए दिल्ली, हम रुसवा हो गए॥ 

हौसला लेकर मैं उतरा था मुहब्बत की क्रिकेट में
      शुरूआत में ही उड़ गिल्ली, हम रुसवा हो गए॥ 

अपनी ही धुन में थे हम मस्त बेखबर दुनिया से
    जाने कहाँ से आ गई बिल्ली, हम रुसवा हो गए॥ 

दिल की बेचैनी को आख़िर कहाँ कहने जायें हम
   किसी तरह न मिली तसल्ली, हम रुसवा हो गए॥

मंगलवार, 23 जून 2009

परदेश से जब आयेंगे मेरे साजना



परदेश से जब आयेंगे मेरे साजना
           रूठ जाऊंगी करूँगी उनसे बात ना
जो भी कहो,कहूँगी,दूर से ही कहो
          रखने  दूँगी बदन पर उन्हें हाथ ना॥

पूछूँगी क्यों इतना तरसाया मुझे
               काहे पागल सजना बनाया मुझे
तुमने तो मुझको भुला ही दिया
               काहे सताया इतना रुलाया मुझे
आदतें ये तुम्हारी आयी रास ना॥ 

हाय तुम क्या जानो कैसे रही हूँ
               जीवित भी हूँ कि या मर गयी हूँ
तुम बड़े बेरहम हो बेदर्दी पिया
                बस मैं ही यह जानूँ जैसे रही हूँ 
लगता आयी तुम्हें मेरी याद ना॥ 


गुरुवार, 18 जून 2009

इंसानियत का फ़र्ज़ निभाते चलो


इंसानियत का फ़र्ज़ निभाते चलो।
        भटके हुओं को राह दिखाते चलो॥ 

धन दौलत कौन साथ लेकर गया
         ज्यादा हो गरीबों को उठाते चलो॥ 


दुबारा जीवन तो अब मिलना नहीं
        हो सके तो प्यारे मित्र बनाते चलो॥ 


रोते को हँसाना पुण्य से कम नहीं
         ऐसा पुण्य 
दिन-रात कमाते चलो॥ 


बुधवार, 10 जून 2009

नौकरी से छुट्टी ले आना बालमा


नौकरी से छुट्टी ले आना बालमा
        कर के कोई सा बहाना बालमा
         नौकरी से छुट्टी ले आना बालमा।  


नौकरी में तुम तो ऐसे डूबे
        हाय कैसे कहें हम कैसे ऊबे
ऐसा किस काम का है कमाना बालमा।

रूप और जवानी फ़िर न आए
       तुम को भला यह कौन बताये
देखो फ़िर न मिले यह खजाना बालमा।

गुजरूँ जिधर से हर कोई देखे
      अँखियों से दिल अपना वो फेके
   मेरे पीछे पड़ा है यह जमाना बालमा।


करवट बदल बदल कर जागूँ
       जल्दी से आओ तुमसे यह मांगू

 बीता जाए मौसम यह सुहाना बालमा।

फिसल न जाए कहीं पैर हमारो
जल्दी से आ के मुझको संभालो
  फ़िर दोषी न मुझको ठहराना बालमा।


सोमवार, 8 जून 2009

प्रभु मेरे तेरी जय जय कार


प्रभु मेरे तेरी जय-जयकार,
प्रभु मेरे तेरी जय-जयकार,
तेरी महिमा है अपरम्पार 
तेरी शरण में आकर पाया- 2
खुशियों का संसार
प्रभु मेरे तेरी जय जयकार।

शरण तुम्हारी जबसे आया,
सचमुच ही मैंने जीवन पाया
फूल खिला मेरे जीवन का,
तूने सुन ली मेरी पुकार।
प्रभु मेरे तेरी जय जयकार

विश्वास हमारा तुझमें हुआ है,
वास तुम्हारा मुझमें हुआ है 
परमानन्द मुझे मिलने लगा है,
हुआ जीवन मेरा साकार। 
प्रभु मेरे तेरी जय जयकार

जीवन की मुझे राह दिखायी 
जीने की मुझमें चाह जगायी
मारे खुशी के गदगद हूँ,
आयी जीवन में मेरे बहार।
प्रभु मेरे तेरी जय जयकार 

जीवन मेरा सफल हुआ है,
भक्ति में तेरी सबल हुआ है
थकता नहीं गुन गाकर तेरे, 
किया तूने मुझपे उपकार।
प्रभु मेरे तेरी जय जयकार

ऐसे ही कृपा बनाये रखना,
राह यूँ ही दिखाये रखना 
रमा रहूँ तेरी भक्ति में, 
बना रहे तू जीवन आधार।
प्रभु मेरे तेरी जय जयकार

कभी न छूटे संगत तेरी, 
पूरी हो हर मन्नत मेरी
सदा ही तेरा ध्यान धरूँगा,
मेरी विनती करो स्वीकार।
प्रभु मेरे तेरी जय जयकार

बड़ी ही पावन तेरी भावना,
पूरी होने लगी है कामना
तेरी कृपा से उठने लगे,
मेरे मन में सुन्दर सुविचार।
प्रभु मेरे तेरी जय जयकार 

दुख के बादल छटने लगे 
सुख के सागर भरने लगे
शैतानों ने कर रखा था , 
जीवन जीना मेरा दुश्वार।
प्रभु मेरे तेरी जय जयकार 

तेरी महिमा का पार नहीं, 
तेरे जैसा कोई प्यार नहीं 
तेरी दया से मैं ही नहीं,
मेरा धन्य हुआ परिवार। 
प्रभु मेरे तेरी जय जयकार









शनिवार, 6 जून 2009

चालीस पार हो गए तो अखरस बतरस लीजिये


चालीस पार हो गए तो अखरस बतरस लीजिये।
         जियो और जीने दो जीवन का रस लीजिये।

गर जल्दी जाना हो तुम्हें यह दुनिया छोड़कर
    सुबह-शाम जब चाहे सिगरट का कस लीजिये।

जो जीने न दे तुमको किसी भी तरह से 
           फिर मत सोचो कैसे भी उसे डस लीजिये।

मोहब्बत से लोग जहाँ मिल जुल कर रहते हों
     उनके बीच जाकर प्यारे एक दम बस लीजिये।

जीवन की आपाधापी में क्यों आग बबूला होना 
         जो भी मन का मिले उसी संग हँस लीजिये।

गुरुवार, 4 जून 2009

नफ़रत करने की तो वो सारी हदें तोड़ दिए



नफ़रत करने की तो वो सारी हदें ही तोड़ दिए।
     अपना रुख मोड़ के मेरा जीवन ही मोड़ दिए॥ 

भूल कर भी कोई किसी का इतना बुरा न चाहे
    अपनों की खातिर अपनी आँख ही फोड़ लिए॥ 

ऐसे लोग जहाँ कहीं भी देखे मुझे समझ न आये 
 बड़े प्यार से मैंने उनसे अपने हाथ ही जोड़ लिए॥ 

सभी अपने मन के मिलें ऐसा हो ही नहीं सकता
 मन के तो मैंने अपनाए बे-मन के वहीं छोड़ दिए॥