शुक्रवार, 27 नवंबर 2009

छोड़ दिया रे उसने मुझको जाने क्या सोचकर


छोड़ दिया रे, उसने मुझको, जाने क्या सोचकर।
तोड़ दिया रे, उसने दिलको,जाने क्या सोचकर।

ख्वाबों में बस वो ही वो, मुझको दिखती है
ख्यालों में बस वो ही वो
, हरदम खिलती है
मोड़ दिया रे, उसने मुझको, जाने क्या सोचकर।

दिल ही दिल में दिल उससे, बातें करता है
मन चाहे ढंग से उससे, मुलाकातें करता है
जोड़ दिया रे, गम से मुझको, जाने क्या सोचकर।

उसके बगैर जीने की, सोच नहीं सकता हूँ
किसी तरह मैं खुदको, रोक नहीं सकता हूँ
झिंझोड़ दिया रे, उसने मुझको, जाने क्या सोचकर।

गुरुवार, 26 नवंबर 2009

जैसी मिले जिन्दगी, जीते चले जाएँ


इस गीत की रेकार्डिंग भी हो चुकी है
मन की जिन्दगी, किसको मिली यहाँ
जिसको मिली यहाँ,खुश वो भी नहीं यहाँ

जैसी मिले जिन्दगी, जीते चले जाएँ
कभी खुदका गम
कभी जग का गम
पीते चले जायें ...
जैसी मिले जिन्दगी,जीते चले जाएँ

एक नहीं कई एक मिलेंगे
दिल को दुखाने वाले
झुकने वाले नहीं मिलेंगे
मिलेंगे झुकाने वाले
चाक गरेबां हो जाए तो
सींते चले जायें...
जैसी मिले जिन्दगी,जीते चले जाएँ

साथ नहीं कोई देता है
देखो प्यारे यहाँ
कहने को सब साथी हैं
देखो सारे यहाँ
जितनी साँसे मिली हैं प्यारे
खींचे चले जायें...
जैसी मिले जिन्दगी,जीते चले जाएँ

उतना इकठ्ठा करो कि
जिससे जिन्दगी पलती रहे
प्यार- मोहब्बत से मिलके
जिन्दगी चलती रहे
रीते ही हम आये हैं
रीते चले जायें ...
जैसी मिले जिन्दगी,जीते चले
जाएँ

रविवार, 22 नवंबर 2009

जैसे ही मैंने देखा तुझे, दिल यह मचल गया



जैसे ही देखा तुझक़ो 
दिल मेरा मचल गया।
पल में ही दीवाना 
दिल मेरा बहल गया।

पूरी हुई दिल की, 
जो भी आस थी
बस तेरी ही तेरी, 
मुझको तलाश थी
बेकाबू था दिल मेरा 
तुझसे ही संभल गया।

होती है  दीवाने  की  
कोई न कोई अरमां
होती है परवाने की 
कोई न कोई शमां
पाकर तुझे दिल का 
ही अरमां निकल गया।