रविवार, 27 सितंबर 2009

फ़िल्म - ज़ंजीर के गाने की पैरोडी


फ़िल्म - ज़ंजीर के गाने की पैरोडी

बना के क्यों बिगाडा रे, .....

दीवाना क्यों बनाया रे, बनाया  रे दीवाना
ओ दीवाने ओ दीवाने -२
मुझको रिझा के,अपना बना के,
बनाया रे  दीवाना ओ दीवाने  ओ दीवाने

दिल में मेरे दिलवर बन के, दिल से लगाया मुझको
प्यार अगर ये  झूठा था तो, क्यों बहलाया दिल को
कसमें खिला के, ख़ुद भी खा के,
दीवाना क्यों बनाया रे, बनाया  रे दीवाना
ओ दीवाने  ओ दीवाने-2

गुरुवार, 24 सितंबर 2009

विद्या देवी सरस्वती माता दे दो मुझको ज्ञान


विद्या देवी सरस्वती माता दे दो मुझको ज्ञान।
शाम सवेरे मैं पूजा करूँगा धरूँगा तेरा ध्यान॥

मूरख ज्ञानी बन जाता है
जाये जहाँ आदर पाता है
मुझको भी मिले सम्मान।
विद्या देवी सरस्वती माता दे दो मुझको ज्ञान।

अंधकार से मुझको उबारो
भवसागर से मुझको तारो
मेरा भी करो कल्याण।
विद्या देवी सरस्वती माता दे दो मुझको ज्ञान।

तेरी शरण में जो भी आया
जो भी माँगा वो ही पाया
दो मुझको भी वरदान।
विद्या देवी सरस्वती माता दे दो मुझको ज्ञान।

सोमवार, 21 सितंबर 2009

जिस दोहे ने मुझे कवि बनाया



जिस दोहे ने मुझे कवि बनाया । आज मैं यह दोहा आप के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह २४//१९७६ की बात है जब मैंने पहली बार कवि सम्मलेन देखा व सुना था । इस दोहे ने मेरा जीवन ही बदल दिया । भानु प्रताप बुंदेला जी ने यह दोहा सुनाया था।

एक पनिहारिन कुए पर पानी भरने जाती है और दोहा वहीं से शुरू होता है

पानी ऐंचत झुकी कुआ में,

झलके अंग अनोखे।
मानो जमुना जी में हों,

गुम्बद ताजमहल के ।

आप सब भी इस दोहे का आनंद लें.धन्यवाद !!



रविवार, 20 सितंबर 2009

आओ हम डांस करें मिल के ख़ुदको एडवांस करें


आओ हम डांस करें मिलके ख़ुदको एडवांस करें।
मौसम हँसीन है दिल भी रंगीन है आओ रोमांस करें।

आँखों में आँखों डालो, दिलवर दिल को उछालो
मस्ती में मौज मना लो, बांहों में बांहों को डालो
बिन तेरे क्या है जीना, सुन सुन ओ मेरी हंसीना
होगा इन आँखों से पीना, होगा इन बांहों में जीना
मौसम हँसीन है दिल भी रंगीन है आओ रोमांस करें।

देखो छेड़ो न मुझको, कुछ कुछ होता है मुझको
क्या कुछ होता है तुझको, बांहों में ले लो मुझको
बदन यह गोरा गोरा,देखो पगलाये यह मन मोरा
चूमें हम थोड़ा थोड़ा, मिलके झूमें थोड़ा थोडा़
मौसम हँसीन है दिल भी रंगीन है आओ रोमांस करें।

देखो सब झूम रहे हैं, एक दूजे को चूम रहे है
मस्ती में कूक रहे हैं, पर हम क्यों चूक रहे हैं
तुझसा ना कोई मिला,मिला तो दिल यह खिला
दिल में ना कोई गिला, मस्ती में पी और पिला
मौसम हँसीनहै दिल भी रंगीन है आओ रोमांस करें।

मेरे सपनों के राजा, थोडा और करीब आ जा
मस्ती में मुझ पर छा जा, मुझसे अब दूर ना जा
होंगे न हम कभी जुदा, तुझसे आने लगा मजा
भायी हर तेरी अदा, चाहे मिले अब कोई सजा
मौसम हँसीन है दिल भी रंगीन है आओ रोमांस करें।

मुझको संभालो मैं गयी, देखो पागल दीवानी हुई
कुछ भी अब दिखता नहीं, मन मारे चुकता नहीं
मेरे सपनों की रानी, हाय तेरी यह मस्त जवानी
होने लगी पानी पानी, हाय छाने लगी रवानी
मौसम हँसीन है दिल भी रंगीन है आओ रोमांस करें।






हाय तेरे रूप ने मेरी हालत ख़राब की


हाय तेरे रूप ने हालत मेरी ख़राब की।
जानलेवा हर अदा लगे तेरे शबाव की॥ 

देखा कर यूँ मुझे प्यार से जाने जिगर
जिन्दगी ये मेरी तो तुमने लाजवाब की।

तरासा था मैंने जिसे कभी ख्वाबों में
 बस वही तुम तमन्ना हो मेरे ख्वाब की।

जब से मैंने पी ली तेरी इन आँखों से
 जरूरत क्या अब पड़ी मुझे शराब की।

जिन्दगी यूँ ही कट जाये मेरी मस्ती में
 बस बनी रहे यूँ ही इनायत जनाब की।


शुक्रवार, 18 सितंबर 2009

पाकर मन का मोहना


पा कर मन का मोहना कैसे हो खुदको रोकना
कौन सोच में डूबे तुम प्यार में खुदको झोकना

जब से देखा है उसको होश नहीं है अब मुझको
सच कहूँ ऐसे में मुझे भाये न किसी का टोकना। 

ख़ुद में ही मैं लगी डूबने ख़ुदको ही मैं लगी ढूँढने
डूबी गयी गहरी प्यार में भाये न किसी से बोलना।

उसकी शरण में जब से गई उसकी हो के रह गई
भाने लगा अब तो मन को साथ में उसके डोलना।

वही दर्द दें वो ही दवा करें


वो ही दर्द दें  वही दवा करें।  
आये कोई  बताए क्या करें॥ 

तारीफ  अपनी न भाये उन्हें 
फिर रोज ही क्यों सजा करें।  

सिर्फ मेरे  ही होकर रहे वो 
मेरी लिए दिल  से दुआ करें।   

बार-बार ही  कहा उनसे मैंने 
आप खूबसूरत  हैं छुपा करें।  

-प्रेम फर्रुखाबादी

गुरुवार, 17 सितंबर 2009

ऐ मेरे दिल बता इतना बेकरार क्यों होता है


ऐ मेरे दिल बता इतना बेकरार क्यों होता है।
जो नहीं आयेगा उसका इंतज़ार क्यों होता है।

जिसने यूँ ही तड़पने के लिए छोड़ दिया मुझे
ऐसे दिलवर पर तुझको ऐतबार क्यों होता है।

वफ़ा शब्द का जिनको मायने तक पता नहीं
जाने वफादारों में उनका शुमार क्यों होता है।

मैंने तो दिलो जान से उनसे वफ़ा निभाई थी
मुझ सा वफादार फ़िर नागवार क्यों होता है।

शनिवार, 12 सितंबर 2009

दोस्त दिल की मजबूरी मेरी भूल बन कर रह गयी


दोस्त दिल की मजबूरी मेरी भूल बन के रह गयी। 
देखते ही देखते सपनों की दुनियाँ धम से ढह गयी॥ 

उनकी सोच थी कुछ और मेरी सोच थी कुछ और
सोच से सोच टकरायी दोनों की जिन्दगी बह गयी।

बिना फैसलों के दुनियाँ में कुछ हासिल नहीं होता
यह मेरी किस्मत मुझसे रुला रुला करके कह गयी।

अक्सर दिल बहला लेता हूँ उसके हसीं ख्यालों से
मैं नहीं सह पाया उसकी जुदाई मगर वो सह गयी।

बुधवार, 9 सितंबर 2009

कोई दर्द बाँटता तो कोई खुशी बाँटता है


कोई दर्द बाँटता तो कोई खुशी बाँटता है।

जिसके पास जो होता वो वही बाँटता है॥

अँधेरों में जीना भी कोई जीना है दोस्त
जीना उसका जीना जो रोशनी बाँटता है।

दुष्ट तो
 किसी की भी ले सकता है जान 
पर सज्जन हमेशा ही जिन्दगी बाँटता है।

किसी को रुलाये वो बात 
किस काम की 
उसको सराहो जो सबको हँसी बाँटता है।

बुझदिल लोग ही जिया करते हैं उदासी में
दिलदार 
वो जो सबको ताजगी बाँटता है।

रविवार, 6 सितंबर 2009

माँ की लोरी प्यारी बेटी के लिए

चंदा की चाँदनी जैसी, मेरे घर में तू आयी है
साथ में अपने सारे जहाँ की, खुशियाँ लायी है

मारे खुशी के झूमें, मेरा सारा तन-मन
तुझको पा के ऐसे लगे, धन्य हुआ मेरा जीवन
सूने जीवन में आ के तूने,आशा की ज्योति जलायी है

मेरे मन-मन्दिर में तू , एक प्यारी सी मूरत है
तेरी सूरत में तो मुझको, दिखती अपनी सूरत है
देखके तेरा रूप सलोना, दिल की कली मुसकायी है

जीवन जीवन मेरा पा के तुझसी गुड़िया 
मैं तो कहूँ सबको मिले, तुझसी प्यारी गुड़िया
तेरे आने से जीवन में, खुशहाली सी छायी है

गुरुवार, 3 सितंबर 2009

ये गोरे गोरे गाल तेरे लिए


ये गोरे-गोरे गाल तेरे लिए
ये काले-काले बाल तेरे लिए

तू  है   मेरा   मैं  हूँ  तेरी
ये प्यारे सारा माल तेरे लिए

ये गोरे-गोरे गाल तेरे लिए 

तेरे लिए मैं खुद को सजाती
जैसा तू चाहे मैं वैसा बनाती
तेरी  मस्ती  में  ही  मदमाती 
ये मस्ती भरी चाल तेरे लिए

ये  गोरे-गोरे  गाल  तेरे  लिए 

तुझसे ही मेरी खुशियाँ हैं जांना
तुझसे ही मेरी दुनियाँ हैं जांना
मैं 
 तेरी दीवानी तू मेरा दीवाना
है य़े  दीवानी   बेहाल  तेरे लिए

ये  गोरे - गोरे  गाल  तेरे  लिए 

मेरे दिल का तू है शहजादा
मैं तेरी रानी तू मेरा राजा
आ जा मेरे दिल में समाजा

दूँगी खुदको उछाल तेरे लिए
ये गोरे-गोरे गाल तेरे लिए 





मंगलवार, 1 सितंबर 2009

जीवन में तुमसे ही हैं फूल झरे


जीवन में तुमसे ही हैं फूल झरे।
सूरत तेरी आँखों से टारे न टरे॥

कहाँ छुप गए कह कर मिलेंगे 
दिल कब से तेरा इंतज़ार करे।

साथ तेरे जो देखे हैं ख्वाब मैंने
ऐसा न हो रह जायें धरे के धरे।

बिन तेरे कैसे होगा जीना मेरा
तेरे बगैर जिन्दगी तारे न तरे।

दुनिया मेरी रंगीन है तुमसे ही
जिन्दगी लगे ही न तुमसे परे।

मेरे सामने ही रहा करो जानम
तेरी दूरियों से दिल बहुत डरे।