मंगलवार, 30 मार्च 2010

यह मेरी प्रकाशित पुस्तक है जिसका नाम है "अक्स तेरा लफ़्ज मेरे"


प्रिय ब्लोगर मित्रो,यह मेरी प्रकाशित पुस्तक है जिसका नाम है "अक्स तेरा लफ़्ज मेरे" । मुझे बेहद ख़ुशी हो रही है कि आखिर मेरी रचनाओं ने ईश्वर की कृपा से पुस्तक का रूप ले लिया है। यह ख़ुशी मैं आप सबसे बाँटना चाहता हूँ
प्रेम फ़र्रुखाबादी

मेरी तस्वीरें




सोमवार, 29 मार्च 2010

वक्त को पकड़ो मत वक्त को छोड़के जिओ


वक्त को पकड़ो मत वक्त को छोड़के जिओ।
    वक्त के साथ बदलके खुदको मोड़के जिओ।

वक्त बदलते ही सब लोग बदल जाया करते
    जो लुभाये उसी के संग दिल जोड़के जिओ।

मन को विषैला करती नजदीकियां अक्सर
   जरूरत नहीं है तो मन को सिकोड़के जिओ।

किसी भी तरह न निभें रिश्ते अपने लोगों से
   छोड़ दो उनको रिश्तों को मत तोड़के जिओ।




बुधवार, 17 मार्च 2010

मैं हूँ तेरी रानी, तू है मेरा राजा


मैं हूँ तेरी रानी, तू है मेरा राजा
आ जा पास आ जा, आ के मुझमें समाजा
आ जा पास आ जा, आ के मुझमें समाजा

दोनों जियेंगे मिल के, ये जिंदगानी
प्रेम से रचाएंगे हम, प्रेम कहानी
बाँट लेंगे दुःख सुख, आधा आधा।
आ जा पास आ जा, आके मुझमें समाजा।

सुर से सुर को , मिलायेंगे दोनों
दिल से दिल को, खिलाएंगे दोनों
एक होगी तान अपनी, एक होगा रागा।
आ जा पास आ जा,आके मुझमें समाजा।

हाय तेरे बिना हम, कैसे जियेंगे
तेरी जुदाई का गम ,कैसे सहेंगे
प्रीती की रीति आ कर, जल्दी निभाजा।
आ जा पास आ जा,आके मुझमें समाजा।

मंगलवार, 16 मार्च 2010

तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है


लड़का-
तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है
               दिल का नहीं यह आँखों का कसूर है
आँखों के कसूर पे यह दिल मजबूर है
               तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है

मैंने तुझको देखा पर तू चाहे ना देखे
            दिल फेंक दिया मैंने पर तू चाहे ना फेंके
देखो, नशा जवानी का चढ़ा भरपूर है।                
               तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है। 
लड़की -
बातों ही बातों में ना मुझको बहलाओ
            दिल में तुम्हारे क्या है मुझको बतलाओ
तेरी पहुँच से प्यारे दिल्ली बड़ी दूर है
               तुझसा ना देखा कोई मस्ती में चूर है।
लड़का-
तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है
              दिल का नहीं गोरी आँखों का कसूर है
आँखों के कसूर पे ये दिल मजबूर है
               तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है। 

बुधवार, 10 मार्च 2010

तेरी यादों में खोया करुँ


तेरी यादों में खोया करुँ',
तेरे ख्वाबों में सोया करुँ
जुदाई में तेरे प्यार में,
अपनी आँखें भिगोया करुँ

लोग समझाते हैं जिस तरह,
सुकूंन मिलता नहीं उस तरह
समझ में कुछ भी आता नहीं
खुदको समझाऊँ किस तरह 
तुझको खुद में पिरोया करुँ,
तेरी यादों में खोया करुँ।

एक दिन तो बनोगी मेरी तुम
इसी चाह में रहता हूँ गुमसुम
वो दिन खुशी का दिन होगा 
जिस दिन समझोगी मेरा मरम
खुदको मैं खुद में ढोया करुँ,
तेरी यादों में खोया करुँ।

जन्मों का रिश्ता है अपना
पास आओ नहीं दूर अब रहना
हर बात तेरी सुनूंगा दिल से 
कहना जो भी तुम्हें हो कहना 
तड़प कर तन्हाई में रोया करुँ,
तेरी यादों में खोया करुँ।