अपने आपसे अपना मुख क्यों मोड़ने लगे हो।
दुनिया का दुःख जीवन में क्यों भोगने लगे हो॥
कम से कम जो बोले लगता वही है प्यारा
यह जान कर भी ज्यादा क्यों बोलने लगे हो॥
दुनिया का दुःख जीवन में क्यों भोगने लगे हो॥
कम से कम जो बोले लगता वही है प्यारा
यह जान कर भी ज्यादा क्यों बोलने लगे हो॥
देखो रिश्तों को कभी भी गहराई से मत देखिए
गहराई से देख के रिश्तों को क्यों तोड़ने लगे हो॥
ख़ुद ही इन्सां गिरता है और ख़ुद ही उठता है
फ़िर दोष दूसरों पर क्यों भाई थोपने लगे हो॥
अपने ही हाथों में होता अपना भाग्य बनाना
कहो फिर अपने आप को क्यों कोसने लगे हो॥
राज की बातें राज बना के रखना सीखो यारो
गैरों से अपनी बातों को क्यों खोलने लगे हो॥
नए मीत बने तो उनको भी अपने गले लगाओ
नए की खातिर पुराने को क्यों छोड़ने लगे हो॥
अगर चाहने पर भी कोई तुम को नहीं चाहे
भला ऐसे लोगों से खुदको क्यों जोड़ने लगे हो॥
सोच समझ के ही हरदम अपना विवेक लगाओ
बिन सोचे समझे ही ख़ुदको क्यों झोंकने लगे हो॥