सोमवार, 31 अगस्त 2009

प्यार के समंदर उनमें सूख गए हैं


प्यार के समंदर उनमें सूख गए हैं।
या फ़िर वो मुझसे अब ऊब गए हैं॥

क्या सोचा था और क्या हो गया
लगता फैसला करके चूक गए हैं।

और कहीं दिल भी तो नहीं लगता
उनकी खातिर तन मन टूट गए हैं।

अब क्या प्यार नसीब होगा उनका
यह सोच के ग़मों में हम डूब गए हैं।

कुछ भी कहना अब मुमकिन नहीं
या तो हम लुटे हैं या वो लूट गए हैं।

शुक्रवार, 28 अगस्त 2009

मुझे चढ़ गयो प्यार का बुखार


मुझे चढ़ गयो प्यार का बुखार,
उतारो  करो जल्दी बलमा
देखो अब और न करो बेकरार,
उतारो करो जल्दी बलमा।

हीर   के राँझे   को लाओ
लैला के  मजनूँ को  लाओ
जाओ जाओ जल्दी जाओ
अब न बिल्कुल देर लगाओ
देखो  देर न  करो सरकार,
उतारो   करो जल्दी बलमा।

तड़प तड़प के मरि न जाऊं
ऐसे  में कुछ  करि न जाऊं
किसी  तरह में चैन न पाऊँ
कहाँ तक मैं ख़ुदको तडपाऊँ 
यूँ  ही खड़े  न रहो लाचार,
उतारो   करो जल्दी  बलमा।

तन-मन मेरा जलने लगा है
मति मेरी  यह हरने लगा है
सोच-सोच कर डरने लगा है
अपने आप ही मरने लगा है
मेरा जीना ही हुआ है दुश्वार 
उतारो   करो जल्दी बलमा।


गुरुवार, 27 अगस्त 2009

कोई मुझको यह बतादे कैसे उनको हम मनायें


कोई मुझको यह बतादे कैसे उनको हम मनायें।
पहले की तरह दिलवर कैसे उनको हम बनायें।

वफ़ा ही वफ़ा है दिल में नहीं वेवफा हूँ बिल्कुल
पर क्या करुँ यकीं यह कैसे उनको हम दिलायें।

दिल चीर के कभी भी देख लें वो नजदीक आकर
प्यार ही है इस दिल में कैसे उनको हम दिखायें।

जीना नहीं है जीना फ़िर भी जीने को जी रहा हूँ
हालत क्या हो गयी यह कैसे उनको हम बतायें।

मंगलवार, 25 अगस्त 2009

तेरे लिए मैं लाया हूँ प्यार भरा यह दिल


तेरे लिए लेकर आया हूँ प्यार भरा यह दिल।
क्या करूँ क्या न करूँ जो हो जाए हासिल॥

गोरा गोरा बदन यह तेरा मुझको लुभाये रे 
जितना देखूँ उतना पागल मुझको बनाये रे
चार चाँद लगाये मुखपे काला काला तिल।
क्या करूँ क्या न करूँ जो हो जाए हासिल।

तुझको पाना ही मेरा अरमान जाने जां ना 
तेरा मेरा रिश्ता यह लगता सदियों पुराना
तुझको पाकर ही जैसे जीवन जाएगा मिल।
क्या करूँ क्या न करूँ जो हो जाए हासिल।

प्यार की मस्ती में होगी प्यारी मुलाकातें
एक दूजे की बाँहों में गुजरेंगी अपनी रातें
तेरे प्यार की खुश्बू से दिल जाएगा खिल।
क्या करूँ क्या न करूँ जो हो जाए हासिल।

सोमवार, 24 अगस्त 2009

मेरे भोले बाबा सुन लो, मन की पुकार को


मेरे भोले बाबा सुन लो, मन की पुकार को।
शरण अपनी ले लो, ठुकरा दूँगा संसार को।
शरण अपनी ले लो, ठुकरा दूँगा संसार को

ठुकराया है दुनिया ने, देकर खूब भरोसा
अब न खाने वाला, इस दुनिया से धोखा
करो कृपा न भूलूँ मैं, तेरे इस उपकार को।
शरण अपनी ले लो, ठुकरा दूँगा संसार को।

जीवन बन गया भोले, सचमुच एक पहेली
जाने कब सुलझेगी, मेरे जीवन की पहेली
राह दिखाना भोले, अपने भक्त लाचार को।
शरण अपनी ले लो, ठुकरा दूँगा संसार को।

तेरे सिवा न कोई है, जिसको कहूँ मैं अपना
लगता
होगा पूरा न , जो भी देखा है सपना
तुम्ही जानो कैसे, मिलेगा चैन बेकरार को।
शरण अपनी ले लो, ठुकरा दूँगा संसार को।

शुक्रवार, 21 अगस्त 2009

जलवा हुश्न जवानी का मुझको दिखाके जां ना।


जलवा हुश्न जवानी का मुझको दिखाके जां ना।
मोह लिया है तुमने मुझको मुसकराके जां ना।

तुझसे जो मिलता जन्नत में भी वो सकून नहीं
मेरी हो जाओ रखेंगे दिल में तुझे सजाके जां ना।

जीवन के तर्कों से मुझे कुछ भी लेना देना नहीं
मैंने अपने ख्यालों में ये तुझको समाके जां ना।

होश नहीं है मुझको हाय जब से तुझको देखा है
होश में लादो जब चाहे मुझे पास बुलाके जां ना।

मंगलवार, 18 अगस्त 2009

जब से मिला है तेरा प्यार तब से खिला मेरा संसार



जब से मिला है तेरा प्यार
  तब से खिला है मेरा संसार।
 कसम तेरी मुझे प्यार में तेरे 

    मिलने लगा है चैनो करार॥

दीवाना मुझे तुमने बनाया 

        अपने इस रूप का गोरी
सदा रहे यूँ छायी तुझपे 

      इस रूप की मस्त बहार॥

लगती तुम ऐसे जैसे कोई 

    हो ख्वाब किसी शायर का
तुझे देख-देख कर मचले 

         मेरी तबियत बार-बार॥ 

कैसे करूँ तारीफ तेरी मैं 
        मुझे शब्द नहीं मिलते हैं
तारीफ से तुम हो बहुत परे 

       मेरी हमदम जाने-बहार॥

ऊपर से नीचे तक तुम 

        लगती हो मुझे रेशम सी
तुझे अपने अंग लगाये रखूँ 

     करे अंग-अंग मेरा पुकार॥

खुल गई है किस्मत मेरी 

          तुझे पाकर मेरे दिलवर
 सचमुच ही प्यारा लगने लगा 

      मुझको यह सारा संसार॥ 






रविवार, 16 अगस्त 2009

कोई पी रहा दोस्तों में कोई पी रहा अकेले में

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कोई पी रहा दोस्तों में कोई पी रहा अकेले में
ढूँढ रहा हर कोई साथी दुनिया के इस मेले में। 
एक न एक दिन सकूं उसे मिल जाएगा ज़रूर 
पर सकूं उसे मिलता नहीं दुनियाँ के झमेले में॥  

किसी तरह आनंद न आये तो कोई क्या करे
हर किसी की जुबान पर यही सवाल रहता है। 
कहीं कोई हँसी न उड़ा दे उसके जज्बात की
यही सोचकर वो अक्सर चुपचाप सा रहता है॥ 

आजकल मुहब्बत दिलों से मिटती जा रही है
दुनियाँ अपने आप में ही सिमटती जा रही है।
किसी को भी किसी की परवाह नहीं जहाँ में
पता नहीं ये दुनियाँ कहाँ भटकती जा रही है॥ 

ग़मों से ही खुशियों की पहचान हुआ करती है
खुशियों से ही ग़मों की पहचान हुआ करती है।
बहुत कम ही लोग समझते पाते इस दुनिया में
जिन्दगी चार दिन की महमान हुआ करती है॥

शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

खुश हो के दूसरों का खुश जीवन किया करो


खुश हो के दूसरों का खुश जीवन किया करो।
खाओ पियो पल दो पल प्रहसन किया करो।

सही और ग़लत का फैसला अगर न हो पाय
तो अकेले बैठकर मन में मंथन किया करो।

आप कितने अच्छे हो कितने बुरे हो दोस्त
अपने ही कर्मों का सामने दर्पण किया करो।

इतना कमा कर आखिर कहाँ ले के जाओगे
थोड़ा बहुत असहायों में अर्पण किया करो।

लोग तुमसे बात करने को व्याकुल हो जाए
कुछ आप ख़ुद में पैदा आकर्षण किया करो।

भूल से बहक न जाओ अपनी भावनाओं में
अपने आप पर भी थोड़ा शासन किया करो।

क्यों सिकुड़ कर जी रहे हो आप जिंदगी को
दौलत भी फुर्सत भी तो देशाटन किया करो।

यह मन पवित्रता से दयालुता से भर जाएगा
जो भूखे सोते उनको दान राशन किया करो।

गुरुवार, 13 अगस्त 2009

जलने वाले जला करें आओ मिलके मज़ा करें



जलने वाले जला करें आओ मिलके मज़ा करें।
बनके दीपक बाती रौशन जीवन की शमां करें॥ 

रहकर अकेले जीवन सचमुच जिया नहीं जाए
आओ प्यार में रच बस एक दूजे को जवां करें।

आख़िर हम इंसान हैं गलती हो ही जाया करती
क्यों न छोड़ शिकवे गिले एक दूजे को क्षमा करें।

आज कमाकर आज गंवाया यह भी कोई जीना
बुरे समय के लिए भी जीवन में थोड़ा जमा करें।

कितना भी रोकिये ख़ुद को गुस्सा आ ही जाता
बेहतर होगा सुनने को भी कभी कभी थमा करें।

अकड़ में रहके सुखमय जीवन जिया नहीं जाए
मुहब्बत बढेगी आपस में एक दूजे को नमा करें।


बुधवार, 12 अगस्त 2009

मेरी आँखों की नीदों को उड़ाके वो गए

मेरी आँखों की नीदों को उड़ाके वो गए। 
रिश्ता दिल से दिल का जुडाके वो गए। 

सब कुछ ठीक ही चल रहा था अब तक 
जाने किस बात पे मुँह फुलाके वो गए। 

रूठ भी गए तो मना लेंगे उन्हें प्यार से 
हाय झटक मेरी बहियाँ छुडाके वो गए। 

सोचा गुजार देंगे जीवन यह साथ-साथ 
झुकना तो दूर मुझको झुकाके वो गए। 

मन का दुःख अब किस से कहने जायें 
कसम से तन-मन मेरा दुखाके वो गए




मंगलवार, 11 अगस्त 2009

ज़रा- ज़रा सी बात पर अपने रूठने लगे


ज़रा- ज़रा सी बात पर अपने रूठने लगे।
इसी वजह से आजकल रिश्ते टूटने लगे।

कैसे  निभें  रिश्ते  बताओ  दूर तक भला
अपनत्व  के  सागर  दिलों में सूखने लगे।

कैसे  निकलें  घर  से  माँ  बहिन - बेटियाँ
गली - गली  में  गुंडे  मवाली  घूमने  लगे।

बढ़   रहे  अपराध  दिनों  दिन  समाज में
गुनाह  कर के  लोग  बेगुनाह  छूटने  लगे।

जल्दी  से हर कोई  बनना  चाहता  अमीर
जिसको  मिलता  मौका  जहाँ  लूटने लगे।




रविवार, 9 अगस्त 2009

बंसी बजैया कृष्ण कन्हैया


बंसी बजैया, कृष्ण कन्हैया
आयी हूँ ,तेरे दरबार में
हाँ, आयी हूँ, तेरे दरबार में
कोई नहीं सिवा, तेरे कन्हैया
मेरा इस संसार में
हाँ, मेरा इस संसार में।


तेरी शरण में सुख मिलता है
तन खिलता है, मन खिलता है।
है मुझको भरोसा, तू सुन लेगा
विनती मेरी, एक पुकार में
हाँ, विनती मेरी,एक पुकार में।


मतलब की है, दुनिया सारी
दुनिया जीती है, पर मैं हारी
सुध बुध अपनी, भूल गई मैं
पागल होकर, तेरे प्यार में
हाँ, पागल होकर ,तेरे प्यार में।


बंसी बजैया, कृष्ण कन्हैया
आयी हूँ ,तेरे दरबार में
हाँ, आयी हूँ, तेरे दरबार में
कोई नहीं सिवा, तेरे कन्हैया
मेरा इस संसार में
हाँ, मेरा इस संसार में।




शनिवार, 8 अगस्त 2009

तुम्हारे जितना मुझे कोई भाता नहीं है


तुम्हारे जितना मुझे कोई भाता नहीं है।
तुम्हारे सिवाय नज़र कोई आता नहीं है।

लगता है तुमने भी मुझको दिल दे दिया

वरना यूँ देख के कोई मुस्कराता नहीं है।

मेरी किस्मत मेरे साथ जरूर रही होगी

ऐसे आसानी से प्यार कोई पाता नहीं है।

मुझे बड़ा सकूं मिलता है तेरे ख्यालों में

यूँ ही दिल गीत कोई गुनगुनाता नहीं है।

शुक्रवार, 7 अगस्त 2009

हिंदुस्तान के वीर सैनिक


सीमाओं की है रक्षा तुमसे
तुमसे यह हिंदुस्तान है
हिंदुस्तान के वीर सैनिको
तुमपे हमको अभिमान है।

घरवार छोड़ सीमाओं पर
बैठे हो आँखें लगाये
उसे मिटादो जो भी दुश्मन
सीमाएं लाँघ के आए
तुमसे देश का गौरव है
तुमसे देश की शान हैं।

देशवासियों की खातिर
सीमाओं पर कष्ट उठाते हो
अपनी नीदें खो करके
हमको बेखौफ सुलाते हो
तुम सब के लिए हमारे
दिलों में बड़ा सम्मान है।

तुम्हारी बहादुरी के आगे
दुश्मन टिक नहीं सकता
तुम्हारी पकड़ छुडा करके
दुश्मन भाग नहीं सकता
धन्य तुम्हारा है देश प्रेम
धन्य तुम्हारा बलिदान है।

हिंदुस्तान के वीर सैनिक
दुनिया में नम्बर एक हैं
तुम्हारी वीरता की गाथाएं
एक नहीं कई अनेक हैं
कभी न मुडके पीछे देखो
ऐसी तुम्हारी पहिचान है।

धन्य हैं वो माँएं जिन्होंने
तुम सा वीर जवान जनां
मातृभूमि की रक्षा खातिर
कर देते हो खुदको फ़ना
देशवासियों के काम आए
जीवन तुम्हारा महान है

गुरुवार, 6 अगस्त 2009

अपराध की दुनिया दुनिया दल दल


अपराध की दुनिया है दुनिया दल दल
फंस जाए जो वो पाए न निकल
सोचने बैठे तो वो सोचता ही रहे
फिर भी 
न सूझे कोई उसको हल। 

पता नहीं जाने कब क्या घट 
जाय 

मारने को निकले और ख़ुद मर जाय
मौत मंडलाये सिर पर हर एक पल।
अपराध की दुनिया है दुनिया दल दल

छुप छुप जीना भी है कोई जीना
ऐसे जीवन ने सुख चैन ही छीना
आज का भरोसा नहीं क्या होगा कल।
अपराध की दुनिया है दुनिया दल दल

पीछा न छोडे कर्मों का लेखा जोखा
काटता है वही वो जो भी यहाँ बोता
भोगना ही पड़ता अपने कर्मों का फल।
अपराध की दुनिया है दुनिया दल दल





बुधवार, 5 अगस्त 2009

मेरे भइया प्यारे भइया बहिन को क्यों भुला दिया


मेरे भइया प्यारे भइया बहिन को क्यों भुला दिया।
हुई खता क्या मुझसे जो खुदको मुझसे जुदा किया।
मेरे भइया प्यारे भइया....

मात-पिता की हम हैं दो ही संताने
मैं जानू यह भइया और तू भी जाने
मैंने तो माना मगर यह तू नहीं माने
एक खून थे हम और तुम गैर मुझे क्यों बना दिया।
मेरे भइया प्यारे भइया....

कहीं भाभी ने ही कुछ कह दिया होगा
मेरे खिलाफ तुम्हें कुछ भर दिया होगा
और अपने पक्ष में तुम्हें कर लिया होगा
जीते जी ही तुमने अपनी बहिन को क्यों रुला दिया।
मेरे भइया प्यारे भइया....

जबसे हुई हूँ मैं घर से पराई भइया
कभी तुम्हें याद न मेरी आयी भइया
जाने कौन घड़ी की मैं हूँ जाई भइया
ख़ुद कुछ भी न सोचा भाभी का क्यों कहा किया।
मेरे भइया प्यारे भइया....

भाई बहिन के बीच की दीवार है भाभी
ठीक नहीं होती है ऐसी बेकार है भाभी
भइया के सुख दुःख की संसार है भाभी
भइया मेरा बुरा नहीं भाभी ने ही मुझे छुडा दिया।

मेरे भइया प्यारे भइया....

आखिर तुम क्या चाहते हो बतलाओ हमें


आतंकबादी

आखिर तुम क्या चाहते हो बतलाओ हमें
तुमको किसने भड़काया है बतलाओ हमें

जिस थाली में खाओ उसी में ही छेद करो
यह पाठ किसने पढाया है बतलाओ हमें

कसूरबारों को मारो तो जाने हम भी तुम्हें
बेकसूरों ने क्या बिगाडा है बतलाओ हमें

तुम चाहे पचास मारो चाहे फ़िर सौ मारो
अब तक भला क्या पाया है बतलाओ हमें

आग लगादी है तुमने इस प्यारे वतन में
क्यों तरस ही नहीं खाया है बतलाओ हमें

एक दिन तुम ख़ुद भी मर जाओगे ऐसे ही
क्यों व्यर्थ जीवन गंवाया है बतलाओ हमें




मंगलवार, 4 अगस्त 2009

एक - दूसरे के साथ चले हैं हम दोनों


एक - दूजे के साथ चले हैं हम दोनों।
मस्ती में मस्ती से खिले हैं हम दोनों।

लाख लगा ले दुनिया पहरा फ़िर भी
जब भी चाहा तभी मिले हैं हम दोनों।

रंग गए तन-मन से मिल कर होली में
एक
-दूजे को रंग खूब मले हैं हम दोनों।

सफल हुआ है जीवन अपना धरती पर
प्यार से मिल के फूले फले हैं हम दोनों।

सोमवार, 3 अगस्त 2009

दिल से टकराती है जब तेरी याद आती है


दिल से टकराती है जब तेरी याद आती है।
दिल को तड़पाती है जब तेरी याद आतीहै॥


छाया हुआ है अँधेरा दिखता नहीं है सवेरा
तबियत घबराती है जब तेरी याद आती है।

दिल है भारी-भारी झूठ नहीं कसम तुम्हारी
दिल को तरसाती है जब तेरी याद आती है।

देख रहा हूँ तेरी राहें फैला कर अपनी बाहें
साँस आती जाती है जब तेरी याद आती है।

रविवार, 2 अगस्त 2009

दिल जल रहा मगर धुआं नहीं यारो


दिल जल रहा मगर धुआं नहीं यारो।
दिल से बना कोई अपना नहीं यारो।

अकेला हूँ अकेला ही सही मैं फ़िर भी
जी लूँगा गर कोई महरबाँ नहीं यारो।

लुटने को लुट रहे हैं बहुत दुनिया में
पर मुझसा लुटा कोई यहाँ नहीं यारो।

सकूँ की तलाश में भटका हूँ उमर भर
जहाँ पे ढूँढा वहाँ पे मिला नहीं यारो।

आरजू थी कि कोई हमसफ़र मिलता
भटकता रहा मैं कहाँ कहाँ नहीं यारो।

शनिवार, 1 अगस्त 2009

भ्रष्टाचार फैला हुआ क्योंकि शासन भ्रष्ट है


भ्रष्टाचार फैला हुआ क्योंकि शासन भ्रष्ट है।
इसीलिए सभी को यहाँ पर कष्ट ही कष्ट है।

आजकल कोई भी किसी की सुनता ही नहीं
क्योंकि हरकोई अपने आप में हुआ मस्त है।

हमेशा सत्य ही जीतता यह किताबों में पढ़ा
मगर आज तो झूठ जीते यह हो रहा पुष्ट है।

हर कोई तो सितमगर है यहाँ अपने आप में
सितम करके इन्सां कितना बन गया दुष्ट है।

समा गई अशांति आज हर दिलो दिमाग में
जिससे भी बोलिये उसमें झलकता स्पष्ट है।

कोई अगर किसी से निभाए तो कैसे निभाए
बिना बात के ही हर कोई हर किसी से रुष्ट है।

वो सामने से गुजरते हैं मुझको देखते हुए


वो सामने से गुजरते हैं मुझको देखते हुए।
नजर-
नजर मिला के दिल को फेंकते हुए॥

मेरी समझ में तो कभी कुछ आया ही नहीं
जाने उन्हें क्या मिलता मुझको छेड़ते हुए।

बात करना चाहो तो बात ही नहीं करते वो
अब मुझे भी मज़ा आता 
है उन्हें हेरते हुए।

हिम्मत जुटा के एक दिन मैंने कह ही दिया
आओ दोनों 
ही जिन्दगी गुजारें खेलते हुए। 

नहीं-नहीं ऐसा नहीं हो सकता है वो बोले
पाने से अच्छा पाने को पापड़ बेलते हुए।