अपराध की दुनिया है दुनिया दल दल
फंस जाए जो वो पाए न निकल
सोचने बैठे तो वो सोचता ही रहे
फिर भी न सूझे कोई उसको हल।
पता नहीं जाने कब क्या घट जाय
मारने को निकले और ख़ुद मर जाय
मौत मंडलाये सिर पर हर एक पल।
अपराध की दुनिया है दुनिया दल दल
छुप छुप जीना भी है कोई जीना
ऐसे जीवन ने सुख चैन ही छीना
आज का भरोसा नहीं क्या होगा कल।
छुप छुप जीना भी है कोई जीना
ऐसे जीवन ने सुख चैन ही छीना
आज का भरोसा नहीं क्या होगा कल।
अपराध की दुनिया है दुनिया दल दल
पीछा न छोडे कर्मों का लेखा जोखा
काटता है वही वो जो भी यहाँ बोता
भोगना ही पड़ता अपने कर्मों का फल।
पीछा न छोडे कर्मों का लेखा जोखा
काटता है वही वो जो भी यहाँ बोता
भोगना ही पड़ता अपने कर्मों का फल।
अपराध की दुनिया है दुनिया दल दल
वाह ! बहुत सुंदर कविता लिखी है आपने...
जवाब देंहटाएंbahut sundr our sahi hai
जवाब देंहटाएंछुप छुप जीना भी कोई जीना है
जवाब देंहटाएंऐसे जीवन ने सुख चैन छीना है
बढिया ढंग प्रस्तुतिकरण का. सुन्दर
अपराध की दुनिया दुनिया दल दल
जवाब देंहटाएंफंस जाए जो भी वो पाए न निकल
सोचने बैठे कभी तो सोचता ही रहे
किसी तरह न सूझे कोई उसको हल।
क्या खूब छन्द है।
आपने तो आचार्य केशवदास की याद तरो-ताजा
कर दी है।
बधाई।
बहुत ख़ूबसूरत रचना!
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