भ्रष्टाचार फैला हुआ क्योंकि शासन भ्रष्ट है।
इसीलिए सभी को यहाँ पर कष्ट ही कष्ट है।
आजकल कोई भी किसी की सुनता ही नहीं
क्योंकि हरकोई अपने आप में हुआ मस्त है।
हमेशा सत्य ही जीतता यह किताबों में पढ़ा
मगर आज तो झूठ जीते यह हो रहा पुष्ट है।
हर कोई तो सितमगर है यहाँ अपने आप में
सितम करके इन्सां कितना बन गया दुष्ट है।
समा गई अशांति आज हर दिलो दिमाग में
जिससे भी बोलिये उसमें झलकता स्पष्ट है।
कोई अगर किसी से निभाए तो कैसे निभाए
बिना बात के ही हर कोई हर किसी से रुष्ट है।
कोई अगर किसी से निभाए तो कैसे निभाए
जवाब देंहटाएंबिना बात के ही हर कोई हर किसी से रुष्ट है।
बहुत सुन्दर गजल कही है आपने प्रेम जी.
बधाई .
- विजय
khoob kaha...............
जवाब देंहटाएंbahut khoob kaha......
हर कोई तो सितमगर है यहाँ अपने आप में
जवाब देंहटाएंसितम करके इन्सां कितना बन गया दुष्ट है।
-बढ़िया है, प्रेम भाई!
हमेशा सत्य ही जीतता यह किताबों में पढ़ा
जवाब देंहटाएंमगर आज तो झूठ जीते यह हो रहा पुष्ट है।
यथार्थ चित्रण ---
सुन्दर रचना
"भ्रष्टाचार फैला हुआ क्योंकि शासन भ्रष्ट है।
जवाब देंहटाएंइसीलिए सभी को यहाँ पर कष्ट ही कष्ट है।"
अच्छी वेदना प्रस्तुत की है।
बधाई।
आप सभी ब्लोगर मित्रों का मेरा हौसला बढाने के लिए दिल से धन्यबाद!!
जवाब देंहटाएंaaj dubaara padhaa isliye do baar tippani..waah waah
जवाब देंहटाएंwaah
हमेशा सत्य ही जीतता यह किताबों में पढ़ा
मगर आज तो झूठ जीते यह हो रहा पुष्ट है।
_________bahut khoob !