आतंकबादी
आखिर तुम क्या चाहते हो बतलाओ हमें।
तुमको किसने भड़काया है बतलाओ हमें।
जिस थाली में खाओ उसी में ही छेद करो
यह पाठ किसने पढाया है बतलाओ हमें।
कसूरबारों को मारो तो जाने हम भी तुम्हें
बेकसूरों ने क्या बिगाडा है बतलाओ हमें।
तुम चाहे पचास मारो चाहे फ़िर सौ मारो
अब तक भला क्या पाया है बतलाओ हमें।
आग लगादी है तुमने इस प्यारे वतन में
क्यों तरस ही नहीं खाया है बतलाओ हमें।
एक दिन तुम ख़ुद भी मर जाओगे ऐसे ही
क्यों व्यर्थ जीवन गंवाया है बतलाओ हमें।
dhnya ho.............
जवाब देंहटाएंbahut khoob kaha..............
आग लगादी है तुमने इस प्यारे वतन में
जवाब देंहटाएंक्यों तरस ही नहीं खाया है बतलाओ हमें।
बधाई।
bahut badhiya likha hai..........bas itni si baat yadi samajh aa jaye to aatank mit na jaaye.
जवाब देंहटाएंआग लगादी है तुमने इस प्यारे वतन में
जवाब देंहटाएंक्यों तरस ही नहीं खाया है बतलाओ हमें।
सार गर्भित रचना है........बधाई.........
तुम चाहे पचास मारो चाहे फ़िर सौ मारो
जवाब देंहटाएंअब तक भला क्या पाया है बतलाओ हमें।
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सार्थक प्रश्न -- आखिर इन आतंक के सौदागरो ने क्या पाया है.
बहुत सुन्दर रचना
आप सभी ब्लोगर मित्रों का मेरा हौसला बढाने के लिए दिल से धन्यबाद!!
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