गुरुवार, 24 सितंबर 2009

विद्या देवी सरस्वती माता दे दो मुझको ज्ञान


विद्या देवी सरस्वती माता दे दो मुझको ज्ञान।
शाम सवेरे मैं पूजा करूँगा धरूँगा तेरा ध्यान॥

मूरख ज्ञानी बन जाता है
जाये जहाँ आदर पाता है
मुझको भी मिले सम्मान।
विद्या देवी सरस्वती माता दे दो मुझको ज्ञान।

अंधकार से मुझको उबारो
भवसागर से मुझको तारो
मेरा भी करो कल्याण।
विद्या देवी सरस्वती माता दे दो मुझको ज्ञान।

तेरी शरण में जो भी आया
जो भी माँगा वो ही पाया
दो मुझको भी वरदान।
विद्या देवी सरस्वती माता दे दो मुझको ज्ञान।

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया वन्दना है।
    माता के चरणों में मेरा भी प्रणाम!

    अब तो आपको मॉडरेशन हटा ही देना चाहिए।
    इससे टिप्पणी करने में झंझट होता है।

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  2. सरस्वती नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यम दयानिधे.

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  3. विद्ध्या देवी की सुन्दर "वंदना" पढ़ कर नतमस्तक हो गया.
    हार्दिक आभार.

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

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  4. प्रेम जी,

    माँ सरस्वती की कृपा हम सब पर बनी रहे।

    नवरात्रि में देवि माँ की सुन्दर आराधना।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  5. तेरी शरण में जो भी आया
    जो भी माँगा वो ही पाया
    दो मुझको भी वरदान ......

    सुन्दर वंदना के स्वर है प्रेम जी ............ बहूत खूब

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  6. आप सभी ब्लोगर मित्रों का मेरा हौसला बढाने के लिए दिल से धन्यबाद!!

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  7. माता के चरणों में मेरा भी प्रणाम!

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  8. यही समाज को उजाला देते हौ
    माँ को समपित हौ

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