जैसे ही देखा तुझक़ो
दिल मेरा मचल गया।
पल में ही दीवाना
पल में ही दीवाना
दिल मेरा बहल गया।
पूरी हुई दिल की,
पूरी हुई दिल की,
जो भी आस थी
बस तेरी ही तेरी,
बस तेरी ही तेरी,
मुझको तलाश थी
बेकाबू था दिल मेरा
बेकाबू था दिल मेरा
तुझसे ही संभल गया।
होती है दीवाने की
कोई न कोई अरमां
होती है परवाने की
होती है परवाने की
कोई न कोई शमां
पाकर तुझे दिल का
ही अरमां निकल गया।
पुर्लिग का तो हमेशा से ही शत्रीलिंग से लगाव रहा है।
जवाब देंहटाएंआपने अपनी इस सुन्दर सी-प्यारी सी कविता में
इसे बाखूबी निभाया है।
इस बढ़िया शायरी के लिए आपको शुभकामनाएँ!
जैसे ही मैंने देखा तुझे, दिल यह मचल गया
जवाब देंहटाएंपल भर में दिल यह मेरा, दिलवर बहल गया
फ़िल्मी तर्ज पर बढ़िया रचना .
bahut achcha premji , chalo arman nikal to gaya
जवाब देंहटाएंyahan to arman liye baithe hai
muft men hi humse wo ainthe hain
दिल मचल जाता है तभी तो बहक भी जाता है और अन्त में बस दहक ही रह जाती है ।
जवाब देंहटाएंइतने दिनों कहाँ रहे प्रेम भाई ?
जवाब देंहटाएंआपकी दिलकश शायरी को तरस गए।
अच्छी रचना।
प्रेम जी,
जवाब देंहटाएंआपके दिल की पूरी हुई
सबकी हो, हमारी भी हो
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
बहुत खूब लिखते हैं आप सर जी ..... लाजवाब है.......
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