रविवार, 22 नवंबर 2009

जैसे ही मैंने देखा तुझे, दिल यह मचल गया



जैसे ही देखा तुझक़ो 
दिल मेरा मचल गया।
पल में ही दीवाना 
दिल मेरा बहल गया।

पूरी हुई दिल की, 
जो भी आस थी
बस तेरी ही तेरी, 
मुझको तलाश थी
बेकाबू था दिल मेरा 
तुझसे ही संभल गया।

होती है  दीवाने  की  
कोई न कोई अरमां
होती है परवाने की 
कोई न कोई शमां
पाकर तुझे दिल का 
ही अरमां निकल गया।






7 टिप्‍पणियां:

  1. पुर्लिग का तो हमेशा से ही शत्रीलिंग से लगाव रहा है।
    आपने अपनी इस सुन्दर सी-प्यारी सी कविता में
    इसे बाखूबी निभाया है।
    इस बढ़िया शायरी के लिए आपको शुभकामनाएँ!

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  2. जैसे ही मैंने देखा तुझे, दिल यह मचल गया
    पल भर में दिल यह मेरा, दिलवर बहल गया
    फ़िल्मी तर्ज पर बढ़िया रचना .

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  3. bahut achcha premji , chalo arman nikal to gaya

    yahan to arman liye baithe hai
    muft men hi humse wo ainthe hain

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  4. दिल मचल जाता है तभी तो बहक भी जाता है और अन्त में बस दहक ही रह जाती है ।

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  5. इतने दिनों कहाँ रहे प्रेम भाई ?
    आपकी दिलकश शायरी को तरस गए।
    अच्छी रचना।

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  6. प्रेम जी,

    आपके दिल की पूरी हुई
    सबकी हो, हमारी भी हो

    सादर,


    मुकेश कुमार तिवारी

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  7. बहुत खूब लिखते हैं आप सर जी ..... लाजवाब है.......

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