कभी मेरे प्यार पर पैदा कोई भरम न करो।
प्यार जितना चाहे उतना करो कम न करो॥ 
दिलो जान से मैं हाजिर हूँ तुम्हारी खातिर
गुस्सा अब और मेंरे वजीरे-आजम न करो।
आओ भूलें हम मिल के सारे गिले शिकवे
अपना बना लो ख़राब  यह मौसम न करो।
जख्में दिल अब भरने वाले नहीं हैं जल्दी
छोड़ दो इन को अब इनपे मरहम न करो।
मतलब में मीठे मीठे पर हो बड़े ही कडुए 
जाओ तुमसे नहीं बोलती मेरा दम न भरो। 
पहले तो प्यार किया फिर दिल तोड़ दिया 
अब कह रहे हो कि प्रिये कोई गम न करो। 
ये दुनियां है प्यारे यहाँ दिल टूटते ही रहते 
संभालो अपने आपको आँखें नम न करो। 
प्रेम फर्रुखाबादी
 
 
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