देखो शबाब है यह मस्त शराब है यह।
आगे बढ ओ दीवाने बड़ा लाजवाब है यह॥
मेरे बदन की खुश्बू फैली हुई है हर शू
मेरी खुश्बू में समाजा खिलता गुलाब है यह।
पास आता क्यों नहीं मुझे सताता क्यों नहीं
सच सच कहूं मैं तुझसे आदत ख़राब है यह।
बाँहों में लीजिये ना आँखों से पीजिये ना
आ के बेखौफ पढ़ ले हुस्न की किताब है यह।
natkhat masti bhari,sunder ehsaas liye sunder kavita,bahut khub
जवाब देंहटाएंप्रेम जी,
जवाब देंहटाएंप्रेम के रस में सराबोर इस रचना के लिये बधाईयाँ।
सच सच कहूं मैं तुझसे
आदत ख़राब है यह।
बहुत ही प्यार भरी नाराजगी है।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
pyaar ho to sab jaayaj hai ...kisi ka satana bhi achchha lagata hai
जवाब देंहटाएंआके बे खौफ पढ़ ले
जवाब देंहटाएंहुस्न की किताब है यह।
masti के एहसास से भरी है आपकी रचना............ बहुत खूब लिखा है
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंaapki rachna bhee mast kitaab hai
जवाब देंहटाएंबाँहों में लीजिये ना
जवाब देंहटाएंआँखों से पीजिये ना
आके बे खौफ पढ़ ले
हुस्न की किताब है यह।
बहुत बढ़िया।
शराब का रंग होता ही ऐसा है।
बहुत ख़ूबसूरत अंदाज़े-बयाँ
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bahut alag tarah ke nazm likhtey hain aap ..shandaar !!
जवाब देंहटाएंमेरा हौसला बढाने के लिए आप सभी ब्लागर मित्रों का दिल से धन्यबाद !!
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