क्या मैं बताऊं तुम्हें दुःख अपनों गुइयां।
मिलत जुलत नाहीं हैं मुझसे मेरे सइयां॥
सब सखियाँ मेरी मज़ा उडावे
सइयां उनके उन्हें गोद में बिठावे
पर मुझको नहीं है कहीं कोई ठैयां।
सैयां हैं मेंरे अजीब तरह के
रूठे रहत जाने कौन वजह से
कब हूँ न डालें बहियों में बहियां।
तुम्हारे दिन अच्छे कटत हैं सहेली
पर मैं तो रही हूँ घुट घुटके अकेली
दुःख के सिवा न मिली सुख की छैयां।
सुन्दर लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना . धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंbahut si sundar git likhe hai apane jisame gahare bhaw chipe huye hai
जवाब देंहटाएंbahut si sundar git likhe hai apane jisame gahare bhaw chipe huye hai
जवाब देंहटाएंसैयां मेरे हैं बड़े अजीब तरह के
जवाब देंहटाएंरूठे रहते वो जाने कौन वजह से
कभी न डालें वो मेरी बहियों में बहियां ।
...Dil ko chhu gai ye panktiyan..behatrin !!
वाह भैया
जवाब देंहटाएंसब सखियाँ तो मेरी मज़ा उडावे
जवाब देंहटाएंसइयां उनके उन्हें गोद में बिठावे
पर हाय! मुझको नहीं है कहीं कोई ठैयां।
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वाह क्या अन्दाज़ है बयाँ करने का
बहुत खूब
bahut sunder bhav
जवाब देंहटाएंतुम्हारे दिन अच्छे कटत हैं सहेली
जवाब देंहटाएंपर मैं तो रही हूँ घुट घुटके अकेली
दुःख के सिवा न मिली सुख की कभी छैयां।
बहुत बढ़िया।
बधाई!
सुन्दर बहुत सुन्दर
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गुलाबी कोंपलें · चाँद, बादल और शाम
तुम्हारे दिन अच्छे कटत हैं सहेली
जवाब देंहटाएंपर मैं तो रही हूँ घुट घुटके अकेली
वाह क्या खूब अन्दाज़ है ................ लाजवाब
सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई
जवाब देंहटाएंपिया के अनदेखी का बडा सुंदर सरल चित्रण किया है आपने ।
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