वो मुझको अपनी जाँ समझते हैं।
मेरी मौनी को मेरी हाँ समझते हैं॥
जुल्फें मेरी बिखरा के ख़ुद पर वो
मुझको ठंडी घनेरी छाँ समझते हैं॥
बस होने ही वाले हैं साठ के ऊपर
अभी भी खुदको जवाँ समझते हैं॥
समझाती रहती हूँ अब यह छोडो
पर मेरी बातें वो कहाँ समझते हैं॥
उन के आगे तो मेरी एक चले ना
ख़ुद को तीस मार खां समझते है॥
रह जाती हूँ मैं मन को मसोसकर
पर मेरी कहाँ वो जुवां समझते हैं॥
"बस होने ही वाले हैं साठ के ऊपर
जवाब देंहटाएंअभी भी खुदको जवाँ समझते हैं।"
बहुत सही लिखा।
बहुत बेहतरीन!!
जवाब देंहटाएंरह जाती हूँ मैं मन को मसोसकर
जवाब देंहटाएंपर मेरी कहाँ वो जुवां समझते हैं।
waah bahut khub
bahut hi imandari se wyakt kari hai bhawanao ko .........bahut khub
जवाब देंहटाएंbahut hi imandari se wyakt kari hai bhawanao ko .........bahut khub
जवाब देंहटाएंKabhii to samajh jayenge vo...:)
जवाब देंहटाएंaap likhteyn rahen..achcha likhteyn hain
बस होने ही वाले हैं साठ के ऊपर
जवाब देंहटाएंअभी भी खुदको जवाँ समझते हैं।
YAH SAATHE MEN PAATHA VAALA MAAMLA HAI JANNB. VAISE AAP LIKHTE RAHIYE KUCHH TO SUDHAAR HOGA
साठा सो पाठा़,
जवाब देंहटाएंअस्सी का अधराना,
सौ का बुड्ढा!!
"बस होने ही वाले हैं साठ के ऊपर
जवाब देंहटाएंअभी भी खुदको जवाँ समझते हैं।"
हा हा हा बहुत खूब लाजवाब्
जुल्फें मेरी बिखरा के ख़ुद पर वो
जवाब देंहटाएंमुझको ठंडी घनेरी छाँ समझते हैं
गुलदस्ता है जनाब नये नये शेरो का ........ सुंदर ग़ज़ल है .
bahut sundar prem ji,
जवाब देंहटाएंbadhiya lagi aapki kavita..
जुल्फें मेरी बिखरा के ख़ुद पर वो
मुझको ठंडी घनेरी छाँ समझते हैं
jawab nahi kya likhate hai aap
badhayi ..
मेरे पास वे शब्द नहीं जो इस गज़ल की तारीफ़ कर सकूँ !
जवाब देंहटाएंप्रेम जी,
जवाब देंहटाएंहास्य की चन्द sprinklings के साथ सौन्दर्य का सुन्दर चित्रण किया है आप ने.
"रह जाती हूँ मैं मन को मसोसकर
पर मेरी कहाँ वो जुवां समझते हैं"
इस पर मेरा कहना कुछ यूं है:
"जज़्बात में अल्फ़ाज़ की जरूरत ही कहां है,
गुफ़्तगू वो के तू सब जान गया और मैं खामोश यहां हूं"
आपने तो "सच में" की तरफ़ आना ही छोड दिया!अनुग्रहीत करे कभी आकर उस तरफ़.
बस होने ही वाले हैं साठ के ऊपर
जवाब देंहटाएंअभी भी खुदको जवाँ समझते हैं।
जवानी और बुढापे का उम्र से क्या सम्बन्ध
बेहतरीन रचना
बहुत ही सुंदर भावना के साथ आपकी लिखी हुई इस शानदार रचना के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन प्रस्तुति है
जवाब देंहटाएंरचना में व्यंग्य भी है,हास्य भी और संवेदना भी.
जवाब देंहटाएंवाह वाह बहुत खूब ।
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