जबसे जिन्दगी से उसका जाना हुआ।
मुस्कराए हुए मुझे एक ज़माना हुआ॥
जी रहा हूँ तड़प कर उसकी जुदाई में
यह दिल मेरा उजड़कर वीराना हुआ।
दिल से रखा था मैंने मुहब्बत में कदम
पर हर कदम पे खुदको रुलाना हुआ।
किसी को न मिले कभी ऐसी बेवफाई
जीते जी मेरा तो बस मर जाना हुआ।
kya khub likha aapne mohbbat par geet,
जवाब देंहटाएंhame padhe aise geet bhi jamana hua..
pyar ka arth aise samjhaya aapne,
mai aap ke kavita ka diwana hua..
dhanywaad
जब से जिन्दगी से उसका जाना हुआ।
जवाब देंहटाएंमुस्कराए हुए मुझे एक ज़माना हुआ।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, आभार्
बहुत खूब प्रेम भाई।
जवाब देंहटाएंजिन्दगी में वेवफाई हो भी जाये गम नहीं।
प्रेम है तो गम सही जीने का बहाना हुआ।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
जब से जिन्दगी से उसका जाना हुआ।
जवाब देंहटाएंमुस्कराए हुए मुझे एक ज़माना हुआ।
बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति है आभार्
जी रहा हूँ तड़प कर उसकी जुदाई में
जवाब देंहटाएंयह दिल मेरा उजड़कर वीराना हुआ
judaai की tadap तो aishi होती है........... lajawaab लिखा है
बहुत ही सुन्दरता से हाले दिल का दर्द आपने बयान करी है .....सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है
जवाब देंहटाएं--
चाँद, बादल और शाम
खूबसूरत रचना,
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव।
बधाई।
umda rachna !
जवाब देंहटाएंआपकी हर एक रचना इतनी सुंदर है कि जितनी भी तारीफ की जाए कम है! लिखते रहिये!
जवाब देंहटाएंआप सभी का दिल से शुक्रिया !!!!
जवाब देंहटाएंbahut khoob.. maja aa gaya post me...........
जवाब देंहटाएंजब से जिन्दगी से उसका जाना हुआ।
जवाब देंहटाएंमुस्कराए हुए मुझे एक ज़माना हुआ।
सुन्दर भाव --