बड़ी मछली छोटी को खाए जा रही है।
दुनिया बस ऐसे ही चलती जा रही है।
कमजोरों पर जुल्म सदा होते ही आए
यह दुनिया आज भी जुल्म ढा रही है।
अभी तो ढंग से हम जी भी नहीं पाए
कि जिन्दगी मेरी हाथों से जा रही है।
उसकी खूबसूरती का कोई जवाब नहीं
जब देखो तब ही वो दिल को भा रही है।
उसको मनाने की तो कोशिश बहुत की
मगर उसके मुँह पे हमेशा ही ना रही है।
हक़ मांगो तो तकलीफ होती है उनको
हमारी सरकार हमको ही ठुकरा रही है।
मुनाफा कमा के हो गए वो नम्बर वन
कर्मचारियों की हालत लड़खड़ा रही है।
bahut hi sundar rachana hai ......aapake kalam ko salam
जवाब देंहटाएंहक़ मांगो तो तकलीफ होती है उनको
जवाब देंहटाएंहमारी सरकार हमको ही ठुकरा रही है।
मुनाफा कमा के हो गए वो नम्बर वन
कर्मचारियों की हालत लड़खड़ा रही है।
एकदम सच, सच के सिवा और कुछ भी नहीं.
बधाई.
उसको मनाने की तो कोशिश बहुत की
जवाब देंहटाएंमगर उसके मुँह पे हमेशा ही ना रही है।
एक बार फिर से मनाइए जनाब! उनके ना मे ही तो हा होती है
बड़ी मछली छोटी को खाए जा रही है।
यह दुनिया ऐसे ही चलती जा रही है।
बहुत खूब
बहुत अच्छी रचना है!
जवाब देंहटाएं---
विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
हक़ मांगो तो तकलीफ होती है उनको
जवाब देंहटाएंहमारी सरकार हमको ही ठुकरा रही है।
aaj ki duniya me sab bada ajeeb ho gaya hai..haq to mil hi nahi pata hai..
badhiya kavita..badhayi
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंअभी तो हम ढंग से जी भी नहीं पाए
जवाब देंहटाएंयह जिन्दगी है कि हाथों से जा रही है
- बहुत खूब !
हक़ मांगो तो तकलीफ होती है उनको
जवाब देंहटाएंहमारी सरकार हमको ही ठुकरा रही है।
मुनाफा कमा के हो गए वो नम्बर वन
कर्मचारियों की हालत लड़खड़ा रही है।
सुन्दर कविता के इन शब्दों के लिए.
बधाई!
इतना सुंदर रचना लिखा है आपने कि कहने के लिए अल्फाज़ कम पर गए!
जवाब देंहटाएंमेरा हौसला बढाने के लिए आप सभी ब्लागर मित्रों का दिल से धन्यबाद !!
जवाब देंहटाएंhak mango to takleef hoti hai
जवाब देंहटाएंtheek farmaya apne, vadhai