रात पिया ने बड़ा तंग कियो रे
कैसे कहूँ जो मेरे संग कियो रे
पल भर उसने सोने न दिया रे
रोना चाहा पर रोने न दिया रे
ऐसे लड़ा वो जैसे जंग कियो रे
अपनी ही धुन में खोया रहा वो
कुछ न सुनी हाय मैंने कहा जो
दैया हाल बड़ा ही बेढंग कियो रे
बहुत बचाया पर बचा नहीं पाई
उसकी पकड़ को छुडा नहीं पाई
ढीला हर एक उसने अंग कियो रे
sundar ......bhawpurn
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना --
जवाब देंहटाएंपर यह थानेदारी कब से शुरू कर दी आपने? कर भी दी तो उस बेचारे पति की तरफदारी तो कर देते.
majedaar kissa..
जवाब देंहटाएंfir bhi thanedaar ko bich me nahi aana tha aakhir mamla pati aur patni ke bich ka tha..par kya kare ek mahila ki shikayat ko sab prathmikata dete hai..
badhiya..dhanywaad
घटना को शब्दों में अच्छा बाँधा है।
जवाब देंहटाएंबधाई!
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति के साथ बड़े ही सुंदर रूप से आपने घटना को प्रस्तुत किया है! बहुत अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंबहुत ही धारदार व्यंग मारा है कानून पर, भविष्य में ऐसे भी केस आ सकते हैं थाने में इसकी एक झलक तो आप दिखला ही गए....................
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकार करें..........किसी को भी थाने में सपोर्ट न कर हम सब को आगाह करने की.
मेरा हौसला बढाने के लिए आप सभी ब्लागर मित्रों का दिल से धन्यबाद !!
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