रविवार, 26 जुलाई 2009

अपनों को अपनत्व दिखाएँ मिलें तो अहसास कराएँ


अपनों को अपनत्व दिखाएँ मिलें तो अहसास कराएँ
जिन्दगी आसान होगी साथ बैठें पल दो पल बिताएँ।

त्याग, क्षमा, धैर्य और प्रेम से ही रिश्ते जिन्दा रहते
गर भरोसा न हो तो जीवन में इन्हें जरूर अपनाएँ।

ज्यादा बातें करने से रिश्तों में तनाव आ ही जाता
हो सके अपनी इस आदत पर विवेक से काबू पाएँ।

हमेशा किसी से बात करने को मन नहीं करता है 
ऐसे हालात में भूल कर भी किसी के पास न जाएँ।

खासम खास की मदद करने की जरूर सोचते रहें  
ऐसा सोच कर अपनों को और अपने करीब लाएँ।

10 टिप्‍पणियां:

  1. जरूरत से ज्यादा बातों से रिश्तों में तनाव आ सकता
    हो सके तो अपनी इस आदत पर विवेक से काबू पायें।
    सही कहा है. बहुत सुन्दर रचना बनी है.
    बधाई

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  2. apno ke saath saath doosre jaroorat mandon ki madad ko
    aage aanaa hi apne paapon ko kam karta hai aur punya kaa khataa badaataa hai.
    jhallevichar.blogspot
    jhalli-kalam-se
    angrezi-vichar.com

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  3. अपनों को अपनत्व दिखाएँ मिलें तो अहसास कराएँ।
    जिन्दगी आसान होगी साथ बैठें पल दो पल बिताएं।


    सुन्दरतम प्रस्तुति।
    आभार।

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  4. त्याग क्षमा और सहनशीलता से रिश्ते जिन्दा रहते
    गर भरोसा न हो तो इनको जीवन में जरूर अपनाएँ।

    सही फ़रमाया आपने .....!!

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  5. बहुत ही सुंदर विचार के साथ लिखी हुई आपकी ये शानदार रचना बहुत बढ़िया लगा!

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  6. sach kaha prem ji..har vakt aadmi baat karane me mood me nahi hota ..sabke alag alag samay hote hai..

    uchit samay par hi uchit kaam kare..
    badhiya.

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  7. हर वक्त हर किसी से बात करने को मन नहीं करता
    ऐसे हालात में भूल कर कभी किसी के पास न जाएँ

    सुन्दर विचार.............. दुरुस्त कहा है...........

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  8. UNCHE LOG
    UNCHE VICHAAR............

    WAAH WAAH
    __________________ANUPAM KAVITA !

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