हम चढ़ गए एक दूजे की निगाहों में।
बड़ा सकूं मिला एक दूजे की बाँहों में॥
अब हमें क्या लेना देना है दुनिया से
जब रहने को मिले उस की पनाहों मे॥
मुहब्बत का रंग होता है बड़ा ही प्यारा
मस्ती सी छायी हुई जिन्दगी की राहों में॥
जो मांगो वही मिले तो बात ही क्या
यह तभी होता जब हो असर दुआओं में॥
अब हमें क्या लेना देना है दुनिया से
जवाब देंहटाएंजब रहने को मिले उसकी पनाहों में
Vaah........ sundar baat kahi hai, unki panaah mil jaaye to aur kaheen rahne ka man bhi kahaan karta hai
अब हमें क्या लेना देना है दुनिया से
जवाब देंहटाएंजब रहने को मिले उसकी पनाहों में।
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इतना भी गाफिल न होईए उनकी बाहो मे
हम जैसे कद्रदान खडे है आपकी राहो मे
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बहुत खूब लिखा है
वाह
duaao ke sath sath nashib ka bhi hona bahut jaruri hai BHAI....bahut hi sundar
जवाब देंहटाएंdil tak pahuchne ke liye pehli seedee nigahen hi hai.isiliye lage raho.
जवाब देंहटाएंjhallevichar.blogspot.com
jhalli-kalam-se
angrezi-vichar.blogspot
हम चढ़ गए एक दूजे की निगाहों में ।
जवाब देंहटाएंबड़ा सकूं मिला एक दूजे की बाँहों में।
क्या बात है प्रेम भाई। बहुत खूब।
नजर पे चढ़ के सुमन करे क्या
नजर ये जीवन खुली नजर से
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
जब से वो चढ़ गये,
जवाब देंहटाएंअपनी निगाहों में।
बयारे आ गयी शीतल,
खिज़ाओं मे फिज़ाओं में।।
सुन्दर गज़ल के लिए बधाई।
उम्दा रचना.
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाएँ तो सदैव अच्छी होती हैं
जवाब देंहटाएं---
श्री युक्तेश्वर गिरि के चार युग
बस इतना कहूँगी कि आपकी लेखनी को सलाम! आपकी हर एक रचना एक से बढकर एक है!
जवाब देंहटाएंप्रेम जी,
जवाब देंहटाएंजो मांगो वही मिले तो बात ही क्या है
यह तब होता जब असर हो दुआओं में।
यही दुआ है कि आपकी दुआओं में असर बना रहे।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी