बतलाओ मुझे आप क्यों रोने लगे हो।
आँसुओं से आँखें क्यों भिगोने लगे हो॥
टूटना बिखरना जिसकी आदत हुई
उसे एक धागे में क्यों पिरोने लगे हो॥
रहना चाहते गर खूबसूरत फूलों में
तो जीवन में काँटे क्यों बोने लगे हो॥
पाहिचान बनानी तो हटके जीना होगा
गुम होकर पहिचान क्यों खोने लगे हो॥
जल्दी सो ओ जल्दी उठो स्वस्थ रहोगे
कहो देर तक आखिर क्यों सोने लगे हो॥
टूटना बिखरना जिसकी आदत हो गई
जवाब देंहटाएंउसे एक धागे में क्यों पिरोने लगे हो।
बहुत सुन्दर लगी यह शुक्रिया
बहुत सुन्दर शुक्रिया,
जवाब देंहटाएंsundar hai rachna bhai .........achchhe sandesh bhi hi
जवाब देंहटाएंरोने नही जी,
जवाब देंहटाएंहम तो आपके कविताओं मे खोने लगे है.
बहुत बढ़िया..धन्यवाद
रहना चाहते हो गर खूबसूरत फूलों में
जवाब देंहटाएंतो जीवन में काँटे क्यों बोने लगे हो
Sach kahaa ......... jeevan jena hai agar to kaante saaf karne chahiyen ... sundar bhaav hain is rachna mein
बहुत सुंदर भाव हैं। बधाई।
जवाब देंहटाएंkante bo ke khoobsurat pholo me rahne ki sochna....boht badhi baat kahi aapne...
जवाब देंहटाएंAaj pahli baar aaya hun shayad par ab baar-baar aana hoga itni achchhi baaten padhne ko milin...sundar bhav hai aur darshnikta bhi jhalak rahi hai...ati-uttam...
जवाब देंहटाएंka baat hai..bahut khoob
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव के साथ आपकी लिखी हुई ये रचना मुझे बहुत अच्छा लगा!
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