गरीबी नहीं मिट रही तो क्या गरीब तो मिट रहे हैं।
जो नहीं मिटे वो जिंदगी में जैसे तैसे घिसट रहे हैं॥
राज नेता जो कहते अक्सर वो किया नहीं करते
मगर गरीबी पर बयान देकर वो हमेशा हिट रहे हैं॥
गरीबों पर रहम दिखाया गया पर किया नहीं गया
सदियों से ही पिटते आए और आज भी पिट रहे हैं॥
कहना कुछ करना कुछ यही फंडा है राजनीति का
नेता यही फंडा अपना कर मकसदों में फिट रहे हैं॥
बहुत ही भावपूर्ण रचना प्रेम जी . बधाई.
जवाब देंहटाएंयह सब हमारे प्रिय भाई प्रेम फ़र्रुखाबादी ही कह सकते हैं जी। वाह वाह क्या कहना !
जवाब देंहटाएंकहना कुछ करना कुछ यही फंडा है राजनीति का
जवाब देंहटाएंनेता यही फंडा अपना कर मकसदों में फिट रहे हैं।
-सही कहा!!
गरीबों पर रहम दिखाया गया पर किया नहीं गया
जवाब देंहटाएंसदियों से ही पिटते आए और आज भी पिट रहे हैं।
बहुत अच्छा लिखा।
बधाई।
Bahut sundat bhavabhivyakti...badhai !
जवाब देंहटाएं"शब्द सृजन की ओर" के लिए के. के. यादव !!
सत्यवचन.... बहुत बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंगरीबी हटाने का यह नारा इंदिरा जी ने दिया था. अब उनकी तीसरी पीढी क्या कर पाती है - यह देखना है.
जवाब देंहटाएंइतना ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने कि मैं तो निशब्द हो गई! आपकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है!
जवाब देंहटाएंnaayab kriti
जवाब देंहटाएंwaah waah
जवाब देंहटाएंbahut khoob !
आप सभी का दिल से शुक्रिया !!!!
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