कोई नहीं है हमारा यहाँ,
है मतलबी यह सारा जहाँ।
जिसने हमने अपना बनाया,
समझा उसने पराया यहाँ॥
कहने को हैं रिश्ते नाते,
होते तब तक जब तक खाते
मानो या न मानो कोई ,
खब्बुओं का है यह मारा जहाँ।
बेदर्दों की यह दुनिया है,
दुनिया भी क्या यह दुनिया है
जब भी देखा आजमा कर
मिलता नहीं है सहारा यहाँ।
अपनी न होगी दुनिया कभी,
चाहे मिटा दो ये जिन्दगी
कहते भी कुछ भी बने न
जीवन बड़ा ही बेचारा यहाँ।