चालीस पार हो गए तो अखरस बतरस लीजिये।
जियो और जीने दो जीवन का रस लीजिये।
गर जल्दी जाना हो तुम्हें यह दुनिया छोड़कर
सुबह-शाम जब चाहे सिगरट का कस लीजिये।
जो जीने न दे तुमको किसी भी तरह से
फिर मत सोचो कैसे भी उसे डस लीजिये।
मोहब्बत से लोग जहाँ मिल जुल कर रहते हों
उनके बीच जाकर प्यारे एक दम बस लीजिये।
जीवन की आपाधापी में क्यों आग बबूला होना
जो भी मन का मिले उसी संग हँस लीजिये।