अपने दिल में बिठा लिया है मेरे यार ने मुझे।
जिन्दगी जीना सिखा दिया है मेरे यार ने मुझे।
मैं जी रहा था जिन्दगी होशो हवास खोकर
जिन्दगी से ही मिला दिया है मेरे यार ने मुझे।
मोहब्बत से ही महकती है ये जिन्दगी यहाँ
मोहब्बत का सिला दिया है मेरे यार ने मुझे।
अब क्योंकर करूं परवाह मैं जमाने भर की
भई फूल सा खिला दिया है मेरे यार ने मुझे।
शाबाश।
जवाब देंहटाएंPHOOL KO PHOOL SA KHILA DIYA ....
बहुत ही बढ़िया रचना है।
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तख़लीक़-ए-नज़र । चाँद, बादल और शाम । गुलाबी कोंपलें । तकनीक दृष्टा
मैं तो होशो हवास खो के जी रहा था जिन्दगी
जवाब देंहटाएंजिन्दगी से ही मिला दिया है मेरे यार ने मुझे।
--बेहतरीन, प्रेम भाई.
बहुत उम्दा गज़ल!!बधाई स्वीकारें प्रेम जी।
जवाब देंहटाएंमोहब्बत से ही महकती है ये जिन्दगी जहाँ में
मोहब्बत का सिला दिया है मेरे यार ने मुझे।
आप सभी का धन्यबाद जो मेरी रचना को सराहा.
जवाब देंहटाएंप्रेम जी,
जवाब देंहटाएंलगता है मोहब्बत में पीएचडी कर रहे हो.
अच्छा लगा मन मोह लिया आपने है
मोहब्बत से ही महकती है ये जिन्दगी जहाँ में
मोहब्बत का सिला दिया है मेरे यार ने मुझे।
मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !
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