मंगलवार, 28 अप्रैल 2009

अपने दिल में बिठा लिया है मेरे यार ने मुझे


अपने दिल में बिठा लिया है मेरे यार ने मुझे।
जिन्दगी जीना सिखा दिया है मेरे यार ने मुझे।

मैं जी रहा था जिन्दगी होशो हवास खोकर
जिन्दगी से ही मिला दिया है मेरे यार ने मुझे।

मोहब्बत से ही महकती है ये जिन्दगी यहाँ 
मोहब्बत का सिला दिया है मेरे यार ने मुझे।

अब क्योंकर करूं परवाह मैं जमाने भर की 
भई फूल सा खिला दिया है मेरे यार ने मुझे।

7 टिप्‍पणियां:

  1. मैं तो होशो हवास खो के जी रहा था जिन्दगी
    जिन्दगी से ही मिला दिया है मेरे यार ने मुझे।

    --बेहतरीन, प्रेम भाई.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत उम्दा गज़ल!!बधाई स्वीकारें प्रेम जी।

    मोहब्बत से ही महकती है ये जिन्दगी जहाँ में
    मोहब्बत का सिला दिया है मेरे यार ने मुझे।

    जवाब देंहटाएं
  3. आप सभी का धन्यबाद जो मेरी रचना को सराहा.

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रेम जी,
    लगता है मोहब्बत में पीएचडी कर रहे हो.
    अच्छा लगा मन मोह लिया आपने है

    मोहब्बत से ही महकती है ये जिन्दगी जहाँ में
    मोहब्बत का सिला दिया है मेरे यार ने मुझे।

    जवाब देंहटाएं
  5. मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !

    जवाब देंहटाएं