शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009

वो जिस थाली में खाये उसी में छेद कर देता


वो जिस थाली में खाये उसी में छेद कर देता।   
पता अगर चल जाए तो प्रकट खेद कर देता॥ 

बड़ा ही सोच समझ के दोस्ती का हाथ बढ़ाये
प्यार जताये इतना कि दो दिल एक कर देता।

अपना अपना कह के जिसको अपना बनाये
पता नहीं चलता उसको मटिया मेट कर देता।

प्यार मोहब्बत से मिल के जो जीते हैं जीवन
उनके दिल का खास बन उनमें भेद कर देता।

बेशर्मी उसके आगे एक पल भी टिक न पाये  
दांत निपोर के आगे  वो अपना पेट कर देता।

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अजीब है जनाब,दोस्ती के असूल।
    ऐसे दोस्तो से रहना चाहिए सदा दूर।

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रेम भाई!
    उसका नाम तो बताओ जरा।
    हम उसे वोट नही देंगे।

    जवाब देंहटाएं
  3. अपनापन दिखलाता जो भी क्या अपना होता है?
    सच्चे अर्थों में अपनापन तो सपना होता है।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

    जवाब देंहटाएं