वो अपने शहर में आबाद है उसे क्या।
उसकी वजह कोई बरवाद है उसे क्या।
जब भी बोलता है तो बोलता ही रहता
कौन हुआ उस से नाशाद है उसे क्या।
समझाओ तो समझने को तैयार नहीं
समझे ख़ुदको वो उस्ताद है उसे क्या।
जो भी उसको भाता बस वही करता
अपनी नज़र में आजाद है उसे क्या।
बैठ गया वो कुर्सी पर करने को फैसला
भले ही करे कोई फरियाद है उसे क्या।
बहुत सुन्दर प्रेम जी . आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया गजल है
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा है आपने। बधाई स्वीकारें।
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जादू की छड़ी चाहिए?
नाज्का रेखाएँ कौन सी बला हैं?
बहुत ख़ूब साहब!
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