माँ
सबसे प्यारी सब से न्यारी माँ होती है
अपने जिगर के टुकडों की जाँ होती है
सदा ही अपने बच्चों का रखती है वो ध्यान
जीती है वो देख देख कर उनकी मधुर मुस्कान
जहाँ भी होते उसके बच्चें वहाँ होती है।
सबसे प्यारी सब से न्यारी माँ होती है
अपने जिगर के टुकडों की जाँ होती है
बच्चों की खुशियों में ही वो समझे अपनी खुशी
उनको दुःख में देख देख कर हो जाती है दुखी
बच्चों के संग धीरे ही धीरे रवाँ होती है।
सबसे प्यारी सब से न्यारी माँ होती है
अपने जिगर के टुकडों की जाँ होती है
बच्चों की मनोभावना
छोटू बोला लम्बू से
तू क्यों लंबा हो गया
बिजली का खम्बा हो गया।
लम्बू बोला छोटू से
खूब खाना खा प्यारे
मुझसा लंबा हो जा रे।
कभी नही जो रूठते
खाना खूब खाते हैं
मम्मी उनको प्यार करती
और पापा खूब घुमाते हैं।
'माँ 'पर लिखी यह सुन्दर कविता भावपूर्ण है प्रेम जी.
जवाब देंहटाएंऔर बाल कविता भी मजेदार है.
बहुत मजेदार!!
जवाब देंहटाएंमातृ दिवस पर समस्त मातृ-शक्तियों को नमन एवं हार्दिक शुभकामनाऐं.
maa par likhi aapki kavita bahut bhaav purn rahi
जवाब देंहटाएंमाँ के साथ ही बच्चों की भावनाएं ...................
जवाब देंहटाएंसुन्दर , भावनात्मक समावेश.
दोनों ही रचनायें सुन्दर और लाजवाब.
चन्द्र मोहन गुप्त
मॉं के बारे में बस इतना ही कहना चाहूंगा कि मॉं आखिर मॉं होती है। बेहतरीन रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
sundar rachna..badhaai.
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