रविवार, 10 मई 2009

सबसे प्यारी सब से न्यारी माँ होती है


माँ
सबसे प्यारी सब से न्यारी माँ होती है
अपने जिगर के टुकडों की जाँ होती है

सदा ही अपने बच्चों का रखती है वो ध्यान
जीती है वो देख देख कर उनकी मधुर मुस्कान
जहाँ भी होते उसके बच्चें वहाँ होती है।
सबसे प्यारी सब से न्यारी माँ होती है
अपने जिगर के टुकडों की जाँ होती है

बच्चों की खुशियों में ही वो समझे अपनी खुशी 
उनको दुःख में देख देख कर हो जाती है दुखी
बच्चों के संग धीरे ही धीरे रवाँ होती है।
सबसे प्यारी सब से न्यारी माँ होती है
अपने जिगर के टुकडों की जाँ होती है

बच्चों की मनोभावना

छोटू बोला लम्बू से
तू क्यों लंबा हो गया
बिजली का खम्बा हो गया। 

लम्बू बोला छोटू से
खूब खाना खा प्यारे
मुझसा लंबा हो जा रे। 

कभी नही जो रूठते
खाना खूब खाते हैं
मम्मी उनको प्यार करती
और पापा खूब घुमाते हैं।

6 टिप्‍पणियां:

  1. 'माँ 'पर लिखी यह सुन्दर कविता भावपूर्ण है प्रेम जी.

    और बाल कविता भी मजेदार है.

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  2. बहुत मजेदार!!

    मातृ दिवस पर समस्त मातृ-शक्तियों को नमन एवं हार्दिक शुभकामनाऐं.

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  3. माँ के साथ ही बच्चों की भावनाएं ...................

    सुन्दर , भावनात्मक समावेश.

    दोनों ही रचनायें सुन्दर और लाजवाब.

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  4. मॉं के बारे में बस इतना ही कहना चाहूंगा कि मॉं आखिर मॉं होती है। बेहतरीन रचना। बधाई।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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