मंगलवार, 19 मई 2009

जब तक न बुलाये कोई जाना नहीं चाहिए


जब तक न बुलाये कोई जाना नहीं चाहिए।
          जब तक न कहे कोई खाना नहीं चाहिए॥ 

कमजोरों को भी हक़ है दुनिया में जीने का
       कभी सितम उन पर कोई ढाना नहीं चाहिए। 

प्यार से मोहब्बत से लोग रहते हों जहाँ
       पुलिस का वहां पर कोई थाना नहीं चाहिए॥ 

सब कुछ कुर्बान कर देते लोग मोहब्बत में 
 पर कभी गलत फायदा कोई उठाना नहीं चाहिए॥ 

जिसे चाहो उसे माफ़ भी करते रहा करो यार 
  अपनों पर कभी कसना कोई ताना नहीं चाहिए। 

6 टिप्‍पणियां:

  1. जिसको चाहो उसको माफ़ भी करते रहो
    अपनों पर कसना कोई ताना नहीं चाहिए।


    bahut hi sunder khyaal aapne diye hai is gazal mein

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  2. प्रेम जी
    बहुत ही प्यारी ग़ज़ल के लिए बधाई.


    कमजोरों को भी हक़ है दुनिया में जीने का
    कमजोरों पर सितम कोई ढाना चाहिए।
    - विजय

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  3. जब तक न बुलाये कोई जाना नहीं चाहिए।
    जब तक न कहे कोई खाना नहीं चाहिए।

    आपकी उपरोक्त अभिव्यक्ति को पढ़ कर भी हम बिन बुलाये टिपियाने आ ही गए.

    सुन्दर रचना प्रस्तुति पर बधाई.

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  4. प्रेम जी,

    बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ है :-

    जिसको चाहो उसको माफ़ भी करते रहो
    अपनों पर कसना कोई ताना नहीं चाहिए।

    आनंद आ गया।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  5. कमजोरों को भी हक़ है दुनिया में जीने का
    कमजोरों पर सितम कोई ढाना चाहिए।
    अच्छा लिखा बधाई
    श्याम सखा श्याम

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  6. सब कुछ कुर्बान कर देते लोग मोहब्बत में
    पर नाजायज फायदा कोई उठाना नहीं चाहिए।

    bahut khoob!

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