शनिवार, 5 जून 2010

जीना मुश्किल होके तुमसे जुदा


जीना मुश्किल है होकर तुमसे जुदा
          पास आ या पास अपने बुला।
याद करो वो गुजरे हुए पल
              तुमने भुलाये मैं दूँ कैसे भुला।

कुछ न पूँछो क्या हाल हुआ मेरा
         तड़प के तन मन मेरा घुला।
थक गयी आँखें देख राहें तेरी
            भरोसे से न मुझे झूला झुला।

कभी तो सोचो बैठ कर अकेले
   जिंदगियों को उजाड़ने पर क्यों तुला।
बहुत तड़पा लिया मान भी जाओ 
          बात बात पर मुँह न फुला।

पता नहीं कब छोड़नी पड़े दुनिया
      जीवन तो एक पानी का बुलबुला।
दूरियां जो बनी हैं अपने दरमियाँ
   दोष दोनों का ही रहा मिलाजुला।

गुरुवार, 3 जून 2010

बेसहारा हूँ प्रिये मुझे अपना सहारा दे दो

बेसहारा हूँ प्रिये मुझे अपना सहारा दे दो।
           नज़र मिला कर मुझे अपना नज़ारा दे दो॥

ग़र यह जिन्दगी इतराने लगे अपने आप पर,
            चाहत का हँसीं मुझे अपना इशारा दे दो॥ 

बगैर तेरे यह जिन्दगी जीना है बड़ा मुश्किल 
           मुहब्बत से भरा मुझे अपना फुहारा दे दो॥

तड़प-तड़प कर जी जाऊँगा यह जिन्दगी मगर
                साथ रह कर जीवन का गुजारा दे दो॥ 

जिन्दगी यह मेरी बस मस्त मस्त हो जाये
         मिल जाय सुकून मुझे अपना शरारा दे दो॥

शुक्रवार, 28 मई 2010

कभी ख़ुशी से जीने का मन किया करो

कभी ख़ुशी से जीने का मन किया करो।
     मन अच्छा न हो तो भजन किया करो॥

नज़र कमजोर हो गयी हो तो क्या हुआ
  सोने से पूर्व आँखों में अंजन किया करो॥

सही गलत का फैसला अगर न हो सके 
      शांति से बैठ मन में मंथन किया करो॥
 
कभी इससे कभी उससे काम न चलेगा
किसी के हों खुद का समर्पण किया करो॥ 

मनोदशा शुध्द सरल तब ही रह सकती 
 रोज अच्छे साहित्य का सेवन किया करो॥ 

रविवार, 16 मई 2010

जो मीठे दो बोल बोलना सीख गया

जो मीठे दो बोल बोलना सीख गया।
        जीवन में रस वो घोलना सीख गया॥

खुशी खुशी खुशी बांटना आसान नहीं
      इन्सान आखिर इन्सां है भगवान नहीं
जो टूटे दिल को जोड़ना सीख गया।
       जीवन में वो रस घोलना सीख गया॥ 

कब कैसे अपनों गैरों से पेश आना है
     उसका होके अपने अनुरूप बनाना है
जो अपने ही बोल तोलना सीख गया।
       वो जीवन में रस घोलना सीख गया॥ 

कौन जिसको किसी ने नहीं ठुकराया
     कौन ऐसा जिस पर दुःख नहीं आया
जो दुःख से मुख मोड़ना सीख गया
     वो जीवन में रस घोलना सीख गया॥ 



शुक्रवार, 7 मई 2010

वो ख़ुदको खुदा तो वो खुदको ख़ुदी समझती है


वो ख़ुदको खुदा तो वो खुदको ख़ुदी समझती है।
    इसीलिए उन दोनों की आपस में नहीं पटती है।

एक पश्चिम दिशा को जाता है तो एक पूरब को
    जब कभी भी उन दोनों में कोई बात चलती है।

प्यार की जगह दोनों नफरत पाल के बैठ जाते
    इधर वो हाथ मलता है उधर वो हाथ मलती है।

ऐसा नहीं उनके दिलों में नफरत ही नफरत हो
  अकेले में दोनों को एक दूजे की कमी खलती है।

उन दोनों की निभे तो भला कैसे निभे बतलाओ
  न तो वो उससे झुकता है न वो उससे झुकती है।

रविवार, 2 मई 2010

कह दो ये मेरे दिलवर, हम हो गये तुम्हारे

कह दो यह दिलवर मेंरे कि हम हो गये हैं तुम्हारे
जिंदगी अकेले संवरती नहीं कोई आकर इसे संवारे

मस्त हवा सी चलने लगी,तन मन जैसे हरने लगी
बाँहों में मेरी आ जाओ ,दिल मेरा यह तुम्हें पुकारे। 
जिंदगी अकेले संवरती नहीं कोई आकर इसे संवारे

एक दूजे के हो जाएँ हम,एक दूजे में खो जाएँ हम
फिर मिलें या न मिलें,हम को ये खुश्बू और नज़ारे।
जिंदगी अकेले संवरती नहीं कोई आकर इसे संवारे

प्यार बिना कोई जीना है,मैं ही नहीं कहता जहाँ है 
खुशियाँ उसी को मिलीं हैं, प्यार में जो भी लुटा रे।
जिंदगी अकेले संवरती नहीं कोई आकर इसे संवारे

शनिवार, 1 मई 2010

प्यार जताने का मुझको बिल्कुल शऊर न था


प्यार जताने का मुझको बिल्कुल शऊर न था।
         जिसको वह समझ बैठी मेरा कसूर न था॥

सिवा मेरे किसी की वह हो नहीं सकती
        मेरा उसपे पूरा यकीं था मेरा फितूर न था।
मेरी मुहब्बत का उसने कभी जवाब नहीं दिया
             कुछ तो कही होती मैं कभी दूर न था॥

हर पल रहती तसवीर उसकी मेरी आँखों में
            ऐसा पल न गुजरा उसका सरूर न था।
मदहोश था फिर भी होश में जीता रहा
           पगलाता फिरता इतना तो मैं चूर न था॥

उसके बगैर ख्वाब मेरा टूट कर बिखर गया
             प्यार निभाने के लिए मैं मजबूर न था।
उसका प्यार पाने की हमेशा मेरी ख्वाहिश रही
          वह कभी पास न थी मैं कभी दूर न था॥

मंगलवार, 27 अप्रैल 2010

एक नहीं मैंने कई एक झटके खाये है


एक नहीं मैंने कई एक झटके खाये है।
         तब कहीं जाकर यहाँ तक पहुँच पाए हैं॥ 

उमर भर उनके सिर्फ नखरे ही उठाते रहे
      तब कहीं जाकर के दोस्त वो मुसकराये हैं॥

गर मिले गये वो तो शुक्रिया खुदा का
   वरना अगले जन्म की दोस्त आस लगाये हैं॥

मेरी साँसे इस बात की गवाह बनी हुई
             बस वो ही वो मेरी साँसों में समाये हैं॥ 

सोमवार, 26 अप्रैल 2010

ख़ुशी से जीने की खातिर मन भी किया करो

ख़ुशी से जीने की खातिर मन भी किया करो।
ख़ुशी अगर न मिले तो भजन भी किया करो॥ 

हो गयी हो कमजोर नजर तो सुनिये मेरी बात       
सोने से पहले आँखों में अंजन भी किया करो। 

सही गलत का गर फैसला न हो पाये आपसे
बैठ अकेले कहीं चिन्तन मंथन भी किया करो। 

देखो कभी इससे कभी उससे काम न चलेगा 
किसी का होना है तो समर्पण भी किया करो। 

मनोदशा तभी तुम्हारी शुध्द सरल रह पाएगी 
कभी शुद्ध साहित्य का सेवन भी किया करो॥ 

शनिवार, 24 अप्रैल 2010

दिल चुराकर नजर चुराना ठीक नहीं होता


दिल चुराकर नजर चुराना ठीक नहीं होता।
     अपना बनाके फिर सताना ठीक नहीं होता।

निभा सको जितने उतने वादे करना सीखो
        वादा करके मुकर जाना ठीक नहीं होता।

दूर जाना ही था तो नजदीक में क्यों आये
     नजदीक आकर दूर जाना ठीक नहीं होता।

होता बहुत जरूरी प्यार में पीछे पड़े रहना
   पीछे पड़कर पीछा छुड़ाना ठीक नहीं होता। 

साथ में जीने मरने की पहले कसमें खाकर
     वो कसमें दिल से भुलाना ठीक नहीं होता।

तुम क्या जानो तुम बिन कैसे कैसे जिया हूँ
   दीवाने के दिल को रूलाना ठीक नहीं होता।

जीवन जीना है तो रोज दोस्त बनाते जाओ
      रोज - रोज दुश्मन बनाना ठीक नहीं होता।

पुण्य कमाते जाओ लोगों को हँसा हँसाकर
    रुला रुलाकर पाप कमाना ठीक नहीं होता।

दिल से दिल मिल जाये तो प्यार पनपता है
   दिल दुखाकर नफरत पाना ठीक नहीं होता।

कभी चैंन नहीं पाया मैंने जिये तेरी जुदाई में
  दिल लगाके दिल को दुखाना ठीक नहीं होता।

बिन सोचे समझे ही आ जाओ मेरी बाँहों में
    दिल दीवाने को यूँ तरसाना ठीक नहीं होता।



रविवार, 18 अप्रैल 2010

कभी वो मुझे ओढ़ते हैं तो कभी मुझे बिछाते हैं।


कभी वो मुझे ओढ़ते हैं तो कभी मुझे बिछाते हैं।
  अपनी मुहब्बत को मुझे कई ढंग से दिखाते हैं।

हम नहीं होते तो उन पर दुःख का पहाड़ टूटता
   मालूम नहीं मेरे बगैर दिन रात कैसे बिताते हैं।

मुँह से बात निकली कि आज तो ये चीज़ खाना
 जरा सी देर में वो चीज़ लाकर मुझे खिलाते हैं।

कोई अगर मदभरी आँखों से देखना भी चाहे तो
  सामने आकर वो उन नज़रों से मुझे छिपाते हैं।

उनका प्यार तो जहाँ में सबसे अलग ही लगता 
हर पल हर घड़ी मुझे नये-नये ढंग से रिझाते हैं।
  

कल जो दोस्त थे वो आज दुश्मन बने बैठे हैं

कल जो दोस्त थे वो आज दुश्मन बने बैठे हैं।
      दिलो दिमाग की वो आज उलझन बने बैठे हैं॥

दिल से उन्हें निकलना भी चाहूँ तो निकालूँ कैसे,
      दिल की सचमुच वो आज धड़कन बने बैठे हैं॥

सकून अब मिलने वाला नहीं दीवाने दिल को,
        दीवाने दिल की वो आज तड़पन बने बैठे हैं॥

काश! उनको होश होता अपने इस गुनाह का,
       अपने गुनाहों का वो आज दरपन बने बैठे हैं॥

सोमवार, 12 अप्रैल 2010

राम बोलो राम, राम बोलो राम


राम बोलो राम,सुबह बोलो शाम
राम का नाम, हर सुख का धाम 
राम बोलो राम,सुबह बोलो शाम।

राम जी करेंगे,पार तेरी नैया
मान ले रे तू ,बात मेरी भैया 
खुल कर बोलो,बोलो दिल थाम।
राम बोलो राम,सुबह बोलो शाम

राम शरण में, जो भी आये 
जो भी मांगे, वो ही पाये 
लगता नहीं हैं, कोई भी दाम।
राम बोलो राम,सुबह बोलो शाम। 

राम भक्तों ने, हमेशा कहा है
राम कृपा से ही काम बना है 
राम का नाम,दे बड़ा आराम। 
राम बोलो राम,सुबह बोलो शाम।

-प्रेम फर्रुखाबादी 

रविवार, 11 अप्रैल 2010

ना वो पास आते ना वो पास बुलाते हैं


 वो पास आते हैं ना वो पास बुलाते हैं।  
     न वो कुछ सुनते हैं ना वो कुछ सुनाते॥ 


उनका चुप रहना अब तो सहन नहीं होता
    उन्हें बहलाने को जब कि खूब घुमाते हैं॥ 


जाने कहाँ खोये रहते जब भी देखो उन्हें 

उनके सजदे में जब-जब खुदको झुकाते हैं॥ 

कभी आँख से आँख मिली ही नहीं उनसे
  दिल दुखता है जब मुझसे आँख चुराते हैं॥ 


बिना बात किये दो दिल एक नहीं होते
      जाने क्यों खुदको वो मुझसे छुपाते हैं॥


उनसे कहा एक दूजे को भूल ही जाएँ
न वो खुदको भूलते हैं  मुझको भुलाते है॥ 

बड़ा ही मुश्किल हुआ मुझे उनको समझना
  कभी खुद रोते हैं तो कभी मुझे रुलाते है॥


 उनकी इन्हीं अदाओं पर तो मैं मरता हूँ
  न गुदगुदी होती है उन्हें न वो गुदगुदाते हैं॥ 



शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

पत्नी के रूप में खुदा तूने तोहफा दिया हसीं है


पत्नी के रूप में खुदा,तूने दिया तोहफा हसीं है।
   महसूस नहीं हो रही कि, मेंरे पास कोई कमी है॥ 

उसे जितना भी सराहूँ उतना ही मुझे कम लगे
   प्यार से प्यारा हुआ सारा आसमां सारी जमीं है॥ 

सुख-दुःख में साथ रह के रखे मुझे सहेज कर
    उस जैसा तो इस दुनिया में कोई दूसरा नहीं है॥

तारीफ में उसकी भला कहें तो क्या कहें हम 
     उसके बगैर दुनिया में कहीं भी गुजारा नहीं है॥  

ऐसा साथी नहीं है वो जो हाँ में ही हाँ मिलाये
     कभी हाँ कहे तो कभी न सच्चा साथी वही है॥ 



गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

उनकी रचना में नहीं जितना उनमें दम है


उनकी रचना में नहीं,जितना उनमें दम है। 
देख प्रोफाइल हर कोई जाता उनमें रम है॥ 

टिपण्णी करने जाता रख के सिर पर पाँव 
मुहब्बत के लिए यह मेहनत बहुत कम है॥ 

आँखों के अंधों को कुछ भी नहीं सूझता
आखिर क्या है उनमें अच्छाई क्या ख़म है॥ 

जो है पास उसके उसकी ख़ुशी नहीं कोई 
जो पास नहीं है उसके खलता वही गम है॥ 

उसका ध्यान कोई यूँ भंग नहीं कर पाता 
भंग जिससे होता पायल की छम छम है॥ 

समझदारों को समझाने की जरूरत नहीं
प्यार मिले तो बताओ फिर कैसी शरम है॥ 

तारीफ़ से हमेशा प्यार हासिल नहीं होता 
ब्लागर्स के लिए कितना प्यारा यह भ्रम है॥


बुधवार, 7 अप्रैल 2010

बताओ मुझे तुम तड़पता क्यों छोड़ गये


बताओ मुझे तुम तड़पता क्यों छोड़ गये।
       दिल- दिमाग से तरसता क्यों छोड़ गये॥

क्या यही थी तेरे प्यार की गहराई दिलवर
    दिल से लगा कर मचलता क्यों छोड़ गये॥

बैठ कर सकून से बातें भी नहीं कर पाये
       ये तन-मन मेरा सुलगता क्यों छोड़ गये॥

कुछ कह जाते तो कुछ सुन जाते आखिर
     मुझको बेसहारा सुबकता क्यों छोड़ गये॥

मेरी मुहब्बत मुझे मेरी भूल सी लग रही
       कैसे सम्भलूंगी धड़कता क्यों छोड़ गये॥ 

मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

देख के तुझको मैं बेजुबान रह गया


देख के तुझको मैं बेजुबान रह गया।
            उठा मगर ठहर के तूफ़ान रह गया॥

तुम क्या गए मानो प्राण निकल गए
            खाली तन का यह मकान रह गया॥

ऐसे रूठे मुझको मुड के भी न देखे
           कहें कि अब क्या दरमियाँ रह गया॥

वो चला गया जिसपे गरूर था मुझे
            नीचे जमीं ऊपर असमान रह गया॥

उनकी हर बात मुझे सच लगती थी
       सी वही सच अब झूठा बयान रह गया॥



शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

आखिर मोहब्बत को क्यों समझेगा जमाना


आखिर मोहब्बत को क्यों समझेगा जमाना।
           न समझना जमाने का रहा अन्दाज पुराना।

मोहब्बत करने वाले मिटे मोहब्बत न मिटी
          मुश्किल है दुनियां से मोहब्बत को मिटाना।

शायद फले-फूले मोहब्बत चोरी-चोरी से ही
         मोहब्बत गर करोगे तो प्यारे पड़ेगा छुपाना।

मोहब्बत की दुश्मन है ये दुनियां सदियों से
         नहीं माना वो जो हुआ मोहब्बत में दीवाना।


मंगलवार, 30 मार्च 2010

यह मेरी प्रकाशित पुस्तक है जिसका नाम है "अक्स तेरा लफ़्ज मेरे"


प्रिय ब्लोगर मित्रो,यह मेरी प्रकाशित पुस्तक है जिसका नाम है "अक्स तेरा लफ़्ज मेरे" । मुझे बेहद ख़ुशी हो रही है कि आखिर मेरी रचनाओं ने ईश्वर की कृपा से पुस्तक का रूप ले लिया है। यह ख़ुशी मैं आप सबसे बाँटना चाहता हूँ
प्रेम फ़र्रुखाबादी

मेरी तस्वीरें




सोमवार, 29 मार्च 2010

वक्त को पकड़ो मत वक्त को छोड़के जिओ


वक्त को पकड़ो मत वक्त को छोड़के जिओ।
    वक्त के साथ बदलके खुदको मोड़के जिओ।

वक्त बदलते ही सब लोग बदल जाया करते
    जो लुभाये उसी के संग दिल जोड़के जिओ।

मन को विषैला करती नजदीकियां अक्सर
   जरूरत नहीं है तो मन को सिकोड़के जिओ।

किसी भी तरह न निभें रिश्ते अपने लोगों से
   छोड़ दो उनको रिश्तों को मत तोड़के जिओ।




बुधवार, 17 मार्च 2010

मैं हूँ तेरी रानी, तू है मेरा राजा


मैं हूँ तेरी रानी, तू है मेरा राजा
आ जा पास आ जा, आ के मुझमें समाजा
आ जा पास आ जा, आ के मुझमें समाजा

दोनों जियेंगे मिल के, ये जिंदगानी
प्रेम से रचाएंगे हम, प्रेम कहानी
बाँट लेंगे दुःख सुख, आधा आधा।
आ जा पास आ जा, आके मुझमें समाजा।

सुर से सुर को , मिलायेंगे दोनों
दिल से दिल को, खिलाएंगे दोनों
एक होगी तान अपनी, एक होगा रागा।
आ जा पास आ जा,आके मुझमें समाजा।

हाय तेरे बिना हम, कैसे जियेंगे
तेरी जुदाई का गम ,कैसे सहेंगे
प्रीती की रीति आ कर, जल्दी निभाजा।
आ जा पास आ जा,आके मुझमें समाजा।

मंगलवार, 16 मार्च 2010

तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है


लड़का-
तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है
               दिल का नहीं यह आँखों का कसूर है
आँखों के कसूर पे यह दिल मजबूर है
               तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है

मैंने तुझको देखा पर तू चाहे ना देखे
            दिल फेंक दिया मैंने पर तू चाहे ना फेंके
देखो, नशा जवानी का चढ़ा भरपूर है।                
               तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है। 
लड़की -
बातों ही बातों में ना मुझको बहलाओ
            दिल में तुम्हारे क्या है मुझको बतलाओ
तेरी पहुँच से प्यारे दिल्ली बड़ी दूर है
               तुझसा ना देखा कोई मस्ती में चूर है।
लड़का-
तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है
              दिल का नहीं गोरी आँखों का कसूर है
आँखों के कसूर पे ये दिल मजबूर है
               तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है।