एक नहीं मैंने कई एक झटके खाये है।
तब कहीं जाकर यहाँ तक पहुँच पाए हैं॥
उमर भर उनके सिर्फ नखरे ही उठाते रहे
तब कहीं जाकर के दोस्त वो मुसकराये हैं॥
गर मिले गये वो तो शुक्रिया खुदा का
वरना अगले जन्म की दोस्त आस लगाये हैं॥
मेरी साँसे इस बात की गवाह बनी हुई
बस वो ही वो मेरी साँसों में समाये हैं॥
उमर भर उनके सिर्फ नखरे उठाते रहे
जवाब देंहटाएंतब कहीं जाके दोस्त वो मुसकराये हैं
बहुत खूब लिखा है प्रेम जी ... दोस्त आसानी से नही मिलते ...
एक नहीं मैंने कई एक झटके खाये है।
जवाब देंहटाएंतब जाकर हम यहाँ तक पहुँच पाए हैं।
और फिर शायद इसी का नाम तो जीवन है, झटके न हों तो शायद समतल सफर का आनन्द ही न आये
बहुत सुन्दर रचना
Khoobsoorat!
जवाब देंहटाएंUmda!
गर मिले गये वो तो शुक्रिया खुदा का
जवाब देंहटाएंवरना अगले जन्म की आस लगाये हैं।
वाह ! बढ़िया शेर है ...
Bahut Khoob Prem Ji...
जवाब देंहटाएंAbhar...
"RAM"
सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंआपके अनुभव सोचने को बाध्य करते हैं कि
प्रणय में क्या-क्या पापड़ बेलने पड़ते हैं!
acchi rachna!
जवाब देंहटाएंBAHUT KHUB
जवाब देंहटाएंBADHAI IS KE LIYE AAP KO
SHEKHAR KUMAWAT
BAHUT KHUB
जवाब देंहटाएंBADHAI IS KE LIYE AAP KO
SHEKHAR KUMAWAT
मेरी साँसे इस बात की गवाह बनी हुई
जवाब देंहटाएंबस वो ही वो मेरी साँसों में समाये हैं।
अत्यंत सुंदर भाव... प्रेम में गहरे समाये हुए...
prem ji sundar rachna
जवाब देंहटाएंbadhai...............