आखिर मोहब्बत को क्यों समझेगा जमाना।
न समझना जमाने का रहा अन्दाज पुराना।
मोहब्बत करने वाले मिटे मोहब्बत न मिटी
मुश्किल है दुनियां से मोहब्बत को मिटाना।
शायद फले-फूले मोहब्बत चोरी-चोरी से ही
मोहब्बत गर करोगे तो प्यारे पड़ेगा छुपाना।
मोहब्बत की दुश्मन है ये दुनियां सदियों से
नहीं माना वो जो हुआ मोहब्बत में दीवाना।
बेहतरीन...वाह!
जवाब देंहटाएंमोहब्बत पर लिखी एक उम्दा ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया!!
मुझे कुछ पंक्तियाँ याद आ रही है.
मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत
हर शख्स को मिले ऐसी चाहत कीजिये
दूर दिलों तक पहुंचे 'सुलभ' तेरे अलफ़ाज़
मोहब्बत में यारो खतो-किताबत कीजिये
मोहब्बत करने वाले मिटे मोहब्बत न मिटी
जवाब देंहटाएंमुश्किल है दुनियां से मोहब्बत को मिटाना।
सच कहा ,.... मुहब्बत को मिटाना आसान नही ...
bilkul sahi baat kahi hai aapne.iske baareme do laine kahana chahungi-----------
जवाब देंहटाएंjamane rusawa kiya hai hame par hame unse koi shikayat nahi hai.
भाई जी!
जवाब देंहटाएं"मोहब्बत में बेकार अब डाकखाना ।
गया प्रेम पत्रों का गुजरा जमाना ॥
सुना वो मोबाइल धरे गाल पर हैं।
जिसे डूंढ़ते हो वो मिस काल पर हैं॥"
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी