बताओ मुझे तुम तड़पता क्यों छोड़ गये।
दिल- दिमाग से तरसता क्यों छोड़ गये॥
क्या यही थी तेरे प्यार की गहराई दिलवर
दिल से लगा कर मचलता क्यों छोड़ गये॥
बैठ कर सकून से बातें भी नहीं कर पाये
ये तन-मन मेरा सुलगता क्यों छोड़ गये॥
कुछ कह जाते तो कुछ सुन जाते आखिर
मुझको बेसहारा सुबकता क्यों छोड़ गये॥
मेरी मुहब्बत मुझे मेरी भूल सी लग रही
कैसे सम्भलूंगी धड़कता क्यों छोड़ गये॥
वाह क्या रचना है।
जवाब देंहटाएंबैठके सकून से बातें भी नहीं कर पाये थे
जवाब देंहटाएंतन-मन ये मेरा सुलगता क्यों छोड़ गये।
बहुत खूब सुन्दर
सुन्दर गजल!
जवाब देंहटाएंइसकी चर्चा तो यहाँ भी है-
http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_07.html
मेरी मुहब्बत मुझे मेरी भूल लग रही है
जवाब देंहटाएंकैसे सम्भलूंगी धड़कता क्यों छोड़ गये।
good
bahut khub
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
सहज, सरल सुन्दर रचना है जो मन के भावनाओं को सामने रखता है !
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