सोमवार, 26 अप्रैल 2010

ख़ुशी से जीने की खातिर मन भी किया करो

ख़ुशी से जीने की खातिर मन भी किया करो।
ख़ुशी अगर न मिले तो भजन भी किया करो॥ 

हो गयी हो कमजोर नजर तो सुनिये मेरी बात       
सोने से पहले आँखों में अंजन भी किया करो। 

सही गलत का गर फैसला न हो पाये आपसे
बैठ अकेले कहीं चिन्तन मंथन भी किया करो। 

देखो कभी इससे कभी उससे काम न चलेगा 
किसी का होना है तो समर्पण भी किया करो। 

मनोदशा तभी तुम्हारी शुध्द सरल रह पाएगी 
कभी शुद्ध साहित्य का सेवन भी किया करो॥ 

5 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! प्रेम जी, हर एक शब्द लाज़वाब है... आभार!!


    "रामकृष्ण"

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  2. बेहतर ही किया करो बेहतर होगा....सही कहा आपने

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  3. नज़र कमजोर हो गयी हो तो क्या हुआ
    सोने से पूर्व आँखों में अंजन किया करो।
    सोना ही नसीब नहीं
    सुन्दर रचना

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  4. बहुत सुन्दर लिखा है आपने ... ये शेर अच्छा लगा ...

    कभी इससे कभी उससे काम न चलेगा
    एक का होके समर्पण जीवन किया करो।

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