कह दो यह दिलवर मेंरे कि हम हो गये हैं तुम्हारे
जिंदगी अकेले संवरती नहीं कोई आकर इसे संवारे
मस्त हवा सी चलने लगी,तन मन जैसे हरने लगी
बाँहों में मेरी आ जाओ ,दिल मेरा यह तुम्हें पुकारे।
जिंदगी अकेले संवरती नहीं कोई आकर इसे संवारे
एक दूजे के हो जाएँ हम,एक दूजे में खो जाएँ हम
फिर मिलें या न मिलें,हम को ये खुश्बू और नज़ारे।
जिंदगी अकेले संवरती नहीं कोई आकर इसे संवारे
प्यार बिना कोई जीना है,मैं ही नहीं कहता जहाँ है
खुशियाँ उसी को मिलीं हैं, प्यार में जो भी लुटा रे।
जिंदगी अकेले संवरती नहीं कोई आकर इसे संवारे
वाह गुरु ... क्या बढ़िया गीत है ... मज़ा आ गया !
जवाब देंहटाएंप्यार बिना कोई जीना यहाँ, मैं ही नहीं कहता जहाँ
खुशियाँ मिली उसी को, जो भी प्यार में लुटा रे ।
गजब की पंक्तियाँ ... !
ब्लाग पर आना सार्थक हुआ
जवाब देंहटाएंकाबिलेतारीफ़ प्रस्तुति
आपको बधाई
सृजन चलता रहे
साधुवाद...पुनः साधुवाद
satguru-satykikhoj.blogspot.com
बढ़िया है.
जवाब देंहटाएंएक दूजे के हो जाएँ हम, एक दूजे में खो जाएँ हम
जवाब देंहटाएंफिर मिलें या ना मिलें, ये खुश्बू और ये नज़ारे।
कह दो हम, हुए तुम्हारे
अकेले नहीं संवरती, जिन्दगी कोई संवारे।
बहुत खूब .......आनंद मिला पढकर !!
'एक दूजे के हो जाएँ हम, एक दूजे में खो जाएँ हम'
जवाब देंहटाएं- प्रेम की यही पराकाष्ठा है.