बुधवार, 17 मार्च 2010
मैं हूँ तेरी रानी, तू है मेरा राजा
मैं हूँ तेरी रानी, तू है मेरा राजा
आ जा पास आ जा, आ के मुझमें समाजा
आ जा पास आ जा, आ के मुझमें समाजा
दोनों जियेंगे मिल के, ये जिंदगानी
प्रेम से रचाएंगे हम, प्रेम कहानी
बाँट लेंगे दुःख सुख, आधा आधा।
आ जा पास आ जा, आके मुझमें समाजा।
सुर से सुर को , मिलायेंगे दोनों
दिल से दिल को, खिलाएंगे दोनों
एक होगी तान अपनी, एक होगा रागा।
आ जा पास आ जा,आके मुझमें समाजा।
हाय तेरे बिना हम, कैसे जियेंगे
तेरी जुदाई का गम ,कैसे सहेंगे
प्रीती की रीति आ कर, जल्दी निभाजा।
आ जा पास आ जा,आके मुझमें समाजा।
मंगलवार, 16 मार्च 2010
तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है
लड़का-
तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है
दिल का नहीं यह आँखों का कसूर है
आँखों के कसूर पे यह दिल मजबूर है
तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है
मैंने तुझको देखा पर तू चाहे ना देखे
दिल फेंक दिया मैंने पर तू चाहे ना फेंके
देखो, नशा जवानी का चढ़ा भरपूर है।
तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है।
लड़की -
बातों ही बातों में ना मुझको बहलाओ
दिल में तुम्हारे क्या है मुझको बतलाओ
तेरी पहुँच से प्यारे दिल्ली बड़ी दूर है
तुझसा ना देखा कोई मस्ती में चूर है।
लड़का-
तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है
दिल का नहीं गोरी आँखों का कसूर है
आँखों के कसूर पे ये दिल मजबूर है
तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है।
बुधवार, 10 मार्च 2010
तेरी यादों में खोया करुँ
तेरी यादों में खोया करुँ',
तेरे ख्वाबों में सोया करुँ
जुदाई में तेरे प्यार में,
अपनी आँखें भिगोया करुँ
लोग समझाते हैं जिस तरह,
सुकूंन मिलता नहीं उस तरह
समझ में कुछ भी आता नहीं
खुदको समझाऊँ किस तरह
तुझको खुद में पिरोया करुँ,
तेरी यादों में खोया करुँ।
एक दिन तो बनोगी मेरी तुम
इसी चाह में रहता हूँ गुमसुम
वो दिन खुशी का दिन होगा
जिस दिन समझोगी मेरा मरम
खुदको मैं खुद में ढोया करुँ,
तेरी यादों में खोया करुँ।
जन्मों का रिश्ता है अपना
पास आओ नहीं दूर अब रहना
हर बात तेरी सुनूंगा दिल से
कहना जो भी तुम्हें हो कहना
तड़प कर तन्हाई में रोया करुँ,
तेरी यादों में खोया करुँ।
रविवार, 28 फ़रवरी 2010
देखके तुम को माना है मैंने, तुम हो बहुत हँसीन
देख के तुमको माना है मैंने,तुम हो बहुत हँसीन।
घूम के देखी सारी दुनिया, कोई भी तुम सा नहीं।
झूठ नहीं हम कहते कहते हम दिल से दिल की
बातें मेरी सब होत सच्ची कर लो मुझपे यकीं।
कितना चाहूँ तुम को मैं कहो कैसे तुम्हें बतलाऊँ
जाने है सारा आसमां और जाने यह सारी जमीं।
जाने है सारा आसमां और जाने यह सारी जमीं।
तुमने गर ठुकराया तो हो जायेगा जीना मुहाल
सच कहूँ तेरे सिवा मेरा कोई मेरा ठिकाना नहीं।
सच कहूँ तेरे सिवा मेरा कोई मेरा ठिकाना नहीं।
गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010
पाट बाबा की जय हो
जय हो, जय हो, जय हो, पाटबाबा की जय हो
शरण में जो भी आये-2उसको न कोई भय हो।
जय हो,पाटबाबा की जय हो,जय हो।
भक्तों की रक्षा करते हैं, प्यार उन्हें सच्चा करते हैं
दुःख सारे ही हर लेते हैं,सुख सारे ही भर देते हैं
बाबा की कृपा से भक्तो-2 जीवन यह सुखमय हो।
जय हो, पाटबाबा की जय हो, जय हो।
बिगड़े काम बना देते हैं, उजड़े धाम बसा देते हैं
जीने की राह दिखाते हैं, जीने की चाह जगाते हैं
मस्ती ही मस्ती के संग-2 जीवन सफ़र यह तय हो।
जय हो, पाटबाबा की जय हो, जय हो।
जीवन में शक्ति मिलती, जीवन में भक्ति मिलती
मुश्किल होती है आसान, खुदको मिलती है पहचान
भक्ति भावना के रस में-2 तन और मन एक लय हो।
जय हो, पाट बाबा की जय हो, जय हो।
बुधवार, 10 फ़रवरी 2010
याद में यार की चाह में प्यार की
याद में यार की चाह में प्यार की
यह मेरा दिल है, जो जल रहा है
दिल के सिवा जलता भी क्या है
इसके सिवा और होता भी क्या है
याद में यार की चाह में प्यार की
यह मेरा दिल है, जो जल रहा है ...
उसके ही ख्यालों में खोया रहूँ
उसको ही ख्वाबों में देखा करूँ
चाहे सुबह हो या चाहे हो शाम
उसके ही दिलसे मैं सोचा करूँ
रहे हालत दिल की बेकरार सी
याद में यार की चाह में प्यार की
यह मेरा दिल है जो जल रहा है ...
धड़कन दिल की बढ़ जाती है
तबियत भी मेरी घबडाती है
चढ़ जाती है मस्ती सी मुझपे
मस्ती में दिल को तडपाती है
तड़प के मैंने दिल से पुकार की
याद में यार की चाह में प्यार की
यह मेरा दिल है जो जल रहा है ...
कोई बताये क्या मिलने का रास्ता
तुम सभी को अपने रब का वास्ता
समझ में मेरे कुछ भी आता नहीं है
देना जबाव कोई मेरी इस बात का
तुम सबको कसम परवरदिगार की
याद में यार की चाह में प्यार की
यह मेरा दिल है जो जल रहा है ...
शनिवार, 6 फ़रवरी 2010
चलो उन्हें सकून तो मिला, मुझे भुलाकर
चलो उन्हें सकून तो मिला, मुझे भुला कर।
चलो उनका दिल तो खिला,मुझे भुला कर॥
यही मेरी आरजू रही वो जहाँ रहें खुश रहें
चलो उनका दूर हुआ गिला,मुझे भुला कर।
जाने क्यों उन्होंने उदासी को ओढ़ रखा था
चलो उनका चेहरा तो खिला,मुझे भुला कर।
मुझे मेरी नहीं बस उनकी ही फ़िक्र थी सदा
चलो उनका अच्छा तो हुआ,मुझे भुला कर।
किसी के काम तो आ गयी ये जिंदगी मेरी
सदा उनका होता रहे भला,मुझे भुला कर।
गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010
आज कल लोग दोस्ती कम दुश्मनी जादा निभाते हैं
आज कल दोस्ती कम लोग दुश्मनी जादा निभाते हैं।
जो होते नहीं अक्सर वही रूप दूसरों को दिखाते हैं॥
मजाल क्या कोई सहारा दे किसी को उठने के लिए
मौका मिलते ही दूसरों को टांग खीच कर गिराते हैं।
बेमतलब कोई किसी को कभी नहीं पूछता है यारो
मतलब पड़े तो लोग दूसरों को खाना भी खिलाते है।
बस प्यार से ही जी जा सकती यहाँ जिन्दगी यारो
जो यह जानते वही जिन्दगी को प्यार से जी पाते हैं।
दिखावे से कभी दूर तक नहीं निभा करते हैं रिश्ते
रिश्ते उनके ही निभते जो रिश्ते दिल से निभाते हैं।
अपने दिल की बात कभी किसी से न कहें मेरे यार
सम्मान उनको ही मिलता जो बात दिल में छुपाते हैं।
मात्रा के साथ जो रखें अपनी गुणवत्ता पे भी नजर
सामान उन्हीं के बजार में अच्छे दामों पर बिकाते हैं।
दिल से दिल मिल जाएँ किसी से ये जरूरी तो नहीं
आगे वही बढ़ते जाते हैं जो हाथों से हाथ मिलाते हैं।
जो बदतमीजी करते हुए नजर आते हमेशा गैरों से
दूसरों को मिटा के एक दिन वो खुदको ही मिटाते हैं।
बुधवार, 3 फ़रवरी 2010
मन लग जाये तो कोई काम कठिन नहीं
मन लग जाये तो कोई काम कठिन नहीं।
लगती फिर किसी भी काम में घिन नहीं॥
मेहनत करने वाले कभी वक्त नहीं देखते
उनके लिए रात-रात नहीं दिन-दिन नहीं।
प्यार-मोहब्बत बगैर भले ही कोई जी ले
मगर जीवन में मस्ती प्यार के बिन नहीं।
कितने भी हों साज संगीत फिर भी अधूरा
जब तक उसमें तबले की ताक धिन नहीं।
हर जगह हर चीज काम नहीं करती प्यारे
भाले की जगह पर काम करती पिन नहीं।
दिलवर साथ तो रात का पता नहीं चलता
बगैर दिलवर के रात कटती तारे गिन नहीं।
सोमवार, 1 फ़रवरी 2010
झूठ नहीं हम कहते हैं कहते बिलकुल सच्ची
झूठ नहीं हम कहते हैं कहते बिलकुल सच्ची।
मेहनत करने वालों की होती किस्मत अच्छी॥
जीवन एक कश्ती है दुनियां के समुन्दर में
जो संभल चलाते नहीं डूबती उनकी कश्ती।
जो खुदको मिटा देते उन्हें दुनियां मिटा देती
फिर आते नजर ऐसे जैसे मारते हों मक्खीं।
जीवन उसका जीवन है जो हँस कर जी ले
यूँ तो घुटन से भरी है दुनियां की हर बस्ती।
उठो नहीं तो प्यारे एक दिन तुम पछताआगे
तब जीवन मँहगा लगेगा मौत लगेगी सस्ती।
गुरुवार, 28 जनवरी 2010
इस दुनिया में छोड़ जाओ प्यारे ऐसे अपने निशां
इस दुनियां में छोड़के जाओ ऐसे अपने निशां।
जिन पर चलके खुश हो दुनियां का हर इन्सां॥
प्यार की प्यारे फसल उगाओ चारों दिशाओं में
प्यार ही प्यार लहराये कुछ भी नजर आये ना।
देखो महापुरुषों के हैं जीवन त्याग से भरे हुए
मानवता की खातिर कर गये जीवन को कुर्बां।
वो जीवन क्या जीवन जिसे याद करे न कोई
जीवन वो जीवन जिसे याद करे सारा ये जहाँ।
एक दिन जाना होगा सबको छोड़ के ये दुनियां
जाना है तो ऐसे जाओ बन हर दिल के महमां।
बुधवार, 20 जनवरी 2010
हम तुम कितने पागल थे अब तक मुझको याद है
वो प्यार तेरा मस्ती भरा, अब तक मुझको याद है।
हाय वो तेरी प्यारी अदा, अब तक मुझको याद है॥
एक दूसरे के हुए थे पहली ही मुलाकात में हम
चाहत का वो हसीं लम्हा, अब तक मुझको याद है।
आँखों में मस्ती छायी थी और दिल भी धड़के थे
हाये वो दिल का धड़कना, अब तक मुझको याद है।
एक दूजे को देखे बिना हमें चैंन नहीं आता था
बेताबी का वो प्यारा नशा,अब तक मुझको याद है।
रविवार, 17 जनवरी 2010
लाखों में हँसीं जानम चेहरा यह तुम्हारा
लाखों में हँसीं जानम चेहरा यह तुम्हारा।
तभी तो दिल ने तुझको दिल में उतारा।
मौसम की तो तुम्हें दाद ही देनी चाहिए
प्यार से जिसने तुम्हारा रूप ये निखारा।
पहली ही नज़र में मैं तो होश गवां बैठा
पता ही नहीं चला दिल तुझपे कब हारा।
हर अदा तुम्हारी लुभाती है दिल को प्रिये
लगता यह अंदाज़ तेरा सबसे ही न्यारा।
ख्वाहिश है दिल की ये रहूँ तेरे आस पास
इस तरह तूने मुझे दिलो-दिमाग से मारा।
शनिवार, 9 जनवरी 2010
दूरी तेरी अब सही नहीं जाती
दूरी तेरी अब सही नहीं जाती।
बात दिल की कही नहीं जाती॥
समझ सको तो समझ जाओ न
देखो मुझे अब और तरसाओ न॥
जो भी देखता पागल कहता है
चाह में मुझे घायल समझता है।
जो भी समझे समझे ये जमाना
मुश्किल बड़ा बिन तेरे जी पाना।
किसी से लेता कोई भी सलाह
न सुनता न करता कोई परवाह।
दिल की बात को दबाये रहता हूँ
दिल ही जानता कैसे सहता हूँ।
न जाने तुम क्यों खफा हो गए
कहो प्रिये क्यों बेवफा हो गए।
मेरा कसूर बताओ कम से कम
कहीं निकल ना जाये मेरा दम।
बहुत हो चुका मान भी जाओ
हालत दिल की जान भी जाओ।
माफ़ करने वाले बहुत बड़े होते
माफ़ी देने से वो छोटे नहीं होते।
दूरी तेरी अब सही नहीं जाती।
बात दिल की कही नहीं जाती॥
समझ सको तो समझ जाओ न
देखो मुझे अब और तरसाओ न॥
शनिवार, 26 दिसंबर 2009
रात भर करवट बदलती रही,मचलती रही
उन बिन काटे न कटी जागी मैं सारी रात
वो जो होते साथ तो बन जाती मेरी बात
हाय ! हाय! हाय!
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही
पिया के मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
सुलझे न सुलझी ये उलझन मेरी य उलझन मेरी
मार कर अपने मन को तरसती रही तरसती रही
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही
अकेले में जीना जीना है क्या-2
जीना नहीं यह जीना है सजा-2
कहते बने न यह मन की व्यथा
मन की व्यथा ही है मेरी कथा-2
मैं ही जानूँ मुझे कैसा लगा
तन-मन से ही धड़कती रही,बहकती रही
पिया मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही
हालत हुई कुछ मेरी इस तरह -२
कैसे बताऊँ अब तुम्हें उस तरह -२
कोशिश में कमी कोई रखी नहीं
कोशिश तो की मैंने हर एक तरह-2
समझ से परे थी बेचैनी मेरी-2
जल बिन मछली फड़कती रही,बिलखती रही
पिया के मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही
आँखों ही आँखों में रात कटी -२
पल भर को भी मैं सो न सकी -२
पगला गयी हूँ मैं उनके बिना
मारी गयी हो जैसे मेरी मती-2
हालत बेकाबू मेरी होती गयी
अपनी ही आग में सुलगती रही,भभकती रही
पिया के मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही
अब आये अब करती रही -२
दरवाजे को ही तकती रही- २
कुछ भी समझ में आया नहीं
बस खुद को ही छलती रही-2
धक धक दिल मेरा करता रहा
अरमान दिल के कुचलती रही,सुबकती रही
पिया के मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही
जैसा हुआ कभी वैसा न हो-२
तंग कोई मेरे जैसा न हो-२
अब क्या कहें क्या न कहें
संग किसी के ऐसा न हो-2
अगन की चुभन घुटन से भरी
मन ही मन में सिकुड़ती रही,उखड़ती रही
पिया के मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही
बुधवार, 9 दिसंबर 2009
जय हो पाट बाबा की (जबलपुर वाले)
मन की खुशियाँ मिलें, पाट बाबा के दरबार में।
मन की कलियाँ खिलें, पाट बाबा के दरबार में।
सच्चे मन से जिसने जो माँगा
बाबा ने वो उसको दिया है
दुःख सारे ही लेकर उसके
सुख - सागर को दिया है
दुखिया सुखिया बनें, पाट बाबा के दरबार में।
भक्तों का हरदम ही यहाँ पर
खूब ताँता लगा रहता है
बड़ा ही दयालू है यह बाबा
हर कोई यह कहता है
आओ मिलके चलें, पाट बाबा के दरबार में।
बाबा के चरणों में हरदम
जिसका ध्यान लगा है
उस पर कृपा हुई बाबा की
सोया भाग जगा है
अर्जी सबकी लगें, पाट बाबा के दरबार में।
शुक्रवार, 4 दिसंबर 2009
मैया मैहर वाली
मैया मैहर वाली ,मुझपे महर करो
मुझपे महर करो, खुशियाँ नज़र करो
मैया मैहर वाली, मुझपे महर करो।
विपदाओं ने, मुझको घेरा
अपनों ने भी, मुख को फेरा
समझ में कुछ भी आता नहीं
कुछ भी मुझको भाता नहीं
मैया, आसान जीवन की डगर करो।
काम कोई मेरा, बनता नहीं
जोर कोई मैया, चलता नहीं
क्या करुँ क्या ना करुँ
क्या कहूँ क्या ना कहूँ
अपनी शक्ति का मुझपे असर करो।
द्वार तेरे मैया, जो भी पहुँचा
कुछ न कुछ, लेके ही लौटा
मेरी भी एक अर्ज़ सुन लो
जीवन में खुशियाँ भर दो
मैया, फ़िर से आबाद मेरा घर करो।
शुक्रवार, 27 नवंबर 2009
छोड़ दिया रे उसने मुझको जाने क्या सोचकर
छोड़ दिया रे, उसने मुझको, जाने क्या सोचकर।
तोड़ दिया रे, उसने दिलको,जाने क्या सोचकर।
ख्वाबों में बस वो ही वो, मुझको दिखती है
ख्यालों में बस वो ही वो , हरदम खिलती है
मोड़ दिया रे, उसने मुझको, जाने क्या सोचकर।
दिल ही दिल में दिल उससे, बातें करता है
मन चाहे ढंग से उससे, मुलाकातें करता है
जोड़ दिया रे, गम से मुझको, जाने क्या सोचकर।
उसके बगैर जीने की, सोच नहीं सकता हूँ
किसी तरह मैं खुदको, रोक नहीं सकता हूँ
झिंझोड़ दिया रे, उसने मुझको, जाने क्या सोचकर।
गुरुवार, 26 नवंबर 2009
जैसी मिले जिन्दगी, जीते चले जाएँ
इस गीत की रेकार्डिंग भी हो चुकी है
मन की जिन्दगी, किसको मिली यहाँ
जिसको मिली यहाँ,खुश वो भी नहीं यहाँ
जैसी मिले जिन्दगी, जीते चले जाएँ
कभी खुदका गम
कभी जग का गम
पीते चले जायें ...
जैसी मिले जिन्दगी,जीते चले जाएँ
एक नहीं कई एक मिलेंगे
दिल को दुखाने वाले
झुकने वाले नहीं मिलेंगे
मिलेंगे झुकाने वाले
चाक गरेबां हो जाए तो
सींते चले जायें...
जैसी मिले जिन्दगी,जीते चले जाएँ
साथ नहीं कोई देता है
देखो प्यारे यहाँ
कहने को सब साथी हैं
देखो सारे यहाँ
जितनी साँसे मिली हैं प्यारे
खींचे चले जायें...
जैसी मिले जिन्दगी,जीते चले जाएँ
उतना इकठ्ठा करो कि
जिससे जिन्दगी पलती रहे
प्यार- मोहब्बत से मिलके
जिन्दगी चलती रहे
रीते ही हम आये हैं
रीते चले जायें ...
जैसी मिले जिन्दगी,जीते चले जाएँ
रविवार, 22 नवंबर 2009
जैसे ही मैंने देखा तुझे, दिल यह मचल गया
जैसे ही देखा तुझक़ो
दिल मेरा मचल गया।
पल में ही दीवाना
पल में ही दीवाना
दिल मेरा बहल गया।
पूरी हुई दिल की,
पूरी हुई दिल की,
जो भी आस थी
बस तेरी ही तेरी,
बस तेरी ही तेरी,
मुझको तलाश थी
बेकाबू था दिल मेरा
बेकाबू था दिल मेरा
तुझसे ही संभल गया।
होती है दीवाने की
कोई न कोई अरमां
होती है परवाने की
होती है परवाने की
कोई न कोई शमां
पाकर तुझे दिल का
ही अरमां निकल गया।
शनिवार, 31 अक्तूबर 2009
गर हिन्दोस्तान में भ्रष्ट अफसर न होते
गर हिन्दोस्तान में भ्रष्ट अफसर न होते
लोगों को रुलाते भी तब भी वो न रोते।
ये कमीशन खाने के लिए खूब उकसाते
परसेंट से खाते हैं और सबको खिलाते।
जब इच्छा होती तब अपने दफ्तर जाते
जब इच्छा होती तब वो अपने घर आते।
ये कभी डरते नहीं मगर सभी को डराते
हाँ हजूरी करते नहीं हर किसी से कराते।
हमेशा ही सबको अपना रुतबा दिखाते
गर कोई न देखे तो उसे सबक सिखाते।
सरकारी अफसरों के तो मजे ही मजे हैं
क्योंकि मजे करने में बिल्कुल ही मजे हैं।
जिम्मेदारी लेते बहुत कम पर देते जादा
ये अफसर नहीं हैं आज के ये महाराजा।
प्रजातंत्र में अफसरों को पूरी आजादी है
कानून को तोड़ने मरोड़ने के ये आदी हैं।
जो भी इन के मन भाता ये वही करते हैं
फायदे की बातों पे ही ध्यान को धरते हैं।
कहते हैं कि जनता समस्याएं नेता जाने
वो ही जाते जनता के आगे हाथ फैलाने।
अफसर जनता के सामने कभी न जायें
फिर उनके लिए वो तकलीफ क्यों उठायें।
उनका सहारा उनकी किस्मत उनका खुदा
सीनियर अफसरों ने ये विदाई में कहा है।
सरकारी धन खाने में ये अफसर माहिर हैं
ओखली के भीतर चोट के मगर बाहिर हैं।
इनसे पंगा लेना मतलब आ बैल मुझे मार
बस जपा करें मंत्र जय हो प्रजातंत्र सरकार।
बुधवार, 21 अक्तूबर 2009
जैसा बोओगे दोस्त वैसा ही काटोगे
जैसा बोओगे दोस्त वैसा ही काटोगे।
दिल में ग़र होगा प्यार तो ही बाँटोगे॥
हुनर है तभी कुछ कर पाओगे वरना
उमर भर किसी के तलवे ही चाटोगे।
पहले ख़ुद सुधर जाओ फ़िर सुधारो
सुधरे बिना किसी को कैसे सुधारोगे।
दुश्मन दोस्त कौन समझना मुश्किल
ज्ञान बिना दुश्मन दोस्त कैसे छांटोगे।
अगर दुश्मनी निभाने से फुर्सत मिले
तब ही दिल से दिल की दूरी पाटोगे।
रविवार, 18 अक्तूबर 2009
ओ दिल मेरे, सुन जरा, मत हो, यूँ फ़िदा
ओ दिल मेरे, सुन जरा, मत हो, यूँ फ़िदा
तेरी हरकतों से हो न,जीना मुश्किल मेरा
ओ दिल मेरे, सुन जरा, मत हो,यूँ फ़िदा।
जिसको भी तू देखे,हो जाए क्यों दीवाना
हाय,तेरी खातिर मुझको,पड़ता घबराना
मान जा मेरा कहना,सच कहता हूँ वरना
कहीं तेरी वजह न हो जाए कोई लफडा।
ओ दिल मेरे, सुन जरा, मत हो यूँ फ़िदा।
समझा समझा के मैं,तुझको थक गया हूँ
तेरी कसम मैं तो,बिल्कुल ही पक गया हूँ
क्या हैं तेरे इरादे,तू मुझको यह बतला दे
बहुत सता लिया तूने,अब और न सता।
ओ दिल मेरे, सुन जरा, मत हो,यूँ फ़िदा।
शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2009
दिल से जो होता है, जग में सभी का
पैरोडी
है दुनियां उसी की जमाना उसी का...
दिल से जो होता है, जग में सभी का।
उसको ही कहते हैं, फ़रिश्ता जमीं का॥
भला जो करेगा, भला उसका होगा
उसके पीछे पीछे, हर कोई होगा
आदमी वही करे जो,भला आदमी का।
उसको ही कहते हैं, फ़रिश्ता जमीं का।
गैरों के दुःख को, जो अपना बना ले
प्यार से बढ़ कर, गले से लगा ले
करे दूर दुःख जो, हर एक दुखी का।
उसको ही कहते हैं,फ़रिश्ता जमीं का।
जो नफ़रत मिटा के,मुहब्बत सिखा दे
मुहब्बत से सबको, मुहब्बत सिखा दे
चखा दे मज़ा जो, इस जिंदगी का।
उसको ही कहते हैं, फ़रिश्ता जमीं का।
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