मन की खुशियाँ मिलें, पाट बाबा के दरबार में।
मन की कलियाँ खिलें, पाट बाबा के दरबार में।
सच्चे मन से जिसने जो माँगा
बाबा ने वो उसको दिया है
दुःख सारे ही लेकर उसके
सुख - सागर को दिया है
दुखिया सुखिया बनें, पाट बाबा के दरबार में।
भक्तों का हरदम ही यहाँ पर
खूब ताँता लगा रहता है
बड़ा ही दयालू है यह बाबा
हर कोई यह कहता है
आओ मिलके चलें, पाट बाबा के दरबार में।
बाबा के चरणों में हरदम
जिसका ध्यान लगा है
उस पर कृपा हुई बाबा की
सोया भाग जगा है
अर्जी सबकी लगें, पाट बाबा के दरबार में।
बहुत बेहतरीन...आजकल कम लिखा जा रहा है? सब ठीक ठाक तो है न?
जवाब देंहटाएंprem ji achchi bhakti rachna , paat baba ke bare men kuchh batayen.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी एवं सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत -२ आभार
बहुत बढ़िया लिखा है!
जवाब देंहटाएंभइया जी आजकल इतनी देर-देर में
पोस्ट क्यों लगाते हो!
नियमित रहो जी!
Good........!
जवाब देंहटाएंआस्था की बात है.
जवाब देंहटाएंजय हो पाट बाबा.
पाट बाबा की जय हो !!! पाट बाबा के बारे में संक्षिप्त में बाताने का कष्ट करें!!!
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