जैसा बोओगे दोस्त वैसा ही काटोगे।
दिल में ग़र होगा प्यार तो ही बाँटोगे॥
हुनर है तभी कुछ कर पाओगे वरना
उमर भर किसी के तलवे ही चाटोगे।
पहले ख़ुद सुधर जाओ फ़िर सुधारो
सुधरे बिना किसी को कैसे सुधारोगे।
दुश्मन दोस्त कौन समझना मुश्किल
ज्ञान बिना दुश्मन दोस्त कैसे छांटोगे।
अगर दुश्मनी निभाने से फुर्सत मिले
तब ही दिल से दिल की दूरी पाटोगे।
जैसा भी बोओगे दोस्त वैसा ही काटोगे।
जवाब देंहटाएंदिल में गर प्यार होगा तो ही बाँटोगे।
अगर दुश्मनी निभाने से फुर्सत मिले
तब ही दिल से दिल की दूरी पाटोगे।
पूरी कविता ही सन्देश दे रही है ...बहुत बढ़िया ...!!
प्रेम जी,
जवाब देंहटाएंप्यार, मुहब्ब्त, भाईचारा सभी कुछ बाँटती हुई रचना!
साधुवाद,
मुकेश कुमार तिवारी
पहले ख़ुद तो सुधर जाओ फ़िर सुधारो
जवाब देंहटाएंसुधरे बिना किसी को कैसे सुधारोगे ........
SACH LIKHA HAI, SAREEK LIKHA HAI ...... PAHLE KHUD KO SUDHARNA CHAHIYE ...
पहले ख़ुद तो सुधर जाओ फ़िर सुधारो
जवाब देंहटाएंसुधरे बिना किसी को कैसे सुधारोगे।
बहुत सही और सार्थक सीख है. आपकी रचनाए सन्देश देती है.
पहले ख़ुद तो सुधर जाओ फ़िर सुधारो
जवाब देंहटाएंसुधरे बिना किसी को कैसे सुधारोगे।
बहुत सुधरी हुई शायरी!
शुभकामनाएँ!
अगर दुश्मनी निभाने से फुर्सत मिले
जवाब देंहटाएंतब ही दिल से दिल की दूरी पाटोगे।
सही ज्ञान देती आपकी ये पंक्तियाँ बहुत ही सार्थक लगीं ....!!
WAH PREM JI, SAHI LIKHA HAI.
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर भाई जी
जवाब देंहटाएंआप सभी ब्लोगर मित्रों का मेरा हौसला बढाने के लिए दिल से धन्यबाद!!
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