जब जब मैंने सच बोला अपनों से हम दूर हुए।
अपनों से जो सपने देखे सपने वो सब चूर हुए॥
जब भी जिसकी पड़ी जरूरत ले गए वो घर से
मुझको जरूरत पड़ी तो भोलेपन से मजबूर हुए।
साथ में बैठना उठना था जब थे हालात के मारे
फिरने लगे वो मुझसे ज्यों दौलत से भरपूर हुए।
एक दूजे के बिना दोनों कभी दूर नहीं रह पाए
नज़रों से मुझे गिरा दिया जब से वो मशहूर हुए।
हम न करते तारीफ तो पता ही नहीं चल पाता
ज्यों ही पता लगा हम से दुनिया की वो हूर हुए।
भ्राताश्री!
जवाब देंहटाएंगज़ल के छंद में मात्राएँ बहुत घट-बढ़ रही हैं।
गीत सुन्दर है।
मुझको नज़रों से गिरा दिया जब से वो मशहूर हुए
जवाब देंहटाएंअक्सर लोगों को इसी तरह लिखने पर नज़र लगा करती है प्रेम भाई। हा हा।
वेदना, करुणा और दुःखानुभूति का अच्छा चित्रण।
जवाब देंहटाएंसाथ बैठना उठाना था जब थे दोनों हालात के मारे
जवाब देंहटाएंआज मुझसे फिरने लगे ज्यों दौलत से वो भरपूर हुए.
yahi to is duniya ka dastoor hai prem ji ... sundar likha hai .....
prem ji, yahi duniya ka dastoor hai.
जवाब देंहटाएंआपने दुनिया की रीत का ही चित्रण किया है.
जवाब देंहटाएंएक दूजे के बिना कभी भी दूर नहीं रह पाए हम
जवाब देंहटाएंमुझको नज़रों से गिरा दिया जब से वो मशहूर हुए.
एक बात ये भी--
अपनों से दूर हो गया हूँ
जबसे मशहूर हो गया हूँ.
बहुत अच्छा लिखा.
यही दुनिया की रीत है प्रेम जी
जवाब देंहटाएंअर्थपूर्ण प्रस्तुति
"jab jab maine sach bola to "
जवाब देंहटाएंKavya duniya ke sidhant ko ishpasht karta hai.
सुख के सब साथी दुख में न कोय।
जवाब देंहटाएंआप सभी ब्लोगर मित्रों का मेरा हौसला बढाने के लिए दिल से धन्यबाद!!
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