बुधवार, 21 अक्तूबर 2009

जैसा बोओगे दोस्त वैसा ही काटोगे


जैसा बोओगे दोस्त वैसा ही काटोगे।
दिल में ग़र होगा प्यार तो ही बाँटोगे॥

हुनर है तभी कुछ कर पाओगे वरना
उमर भर किसी के तलवे ही चाटोगे।

पहले ख़ुद सुधर जाओ फ़िर सुधारो
सुधरे बिना किसी को कैसे सुधारोगे।

दुश्मन दोस्त कौन समझना मुश्किल
ज्ञान बिना दुश्मन दोस्त कैसे छांटोगे।

अगर दुश्मनी निभाने से फुर्सत मिले
तब ही दिल से दिल की दूरी पाटोगे।




9 टिप्‍पणियां:

  1. जैसा भी बोओगे दोस्त वैसा ही काटोगे।
    दिल में गर प्यार होगा तो ही बाँटोगे।
    अगर दुश्मनी निभाने से फुर्सत मिले
    तब ही दिल से दिल की दूरी पाटोगे।
    पूरी कविता ही सन्देश दे रही है ...बहुत बढ़िया ...!!

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  2. प्रेम जी,

    प्यार, मुहब्ब्त, भाईचारा सभी कुछ बाँटती हुई रचना!

    साधुवाद,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  3. पहले ख़ुद तो सुधर जाओ फ़िर सुधारो
    सुधरे बिना किसी को कैसे सुधारोगे ........

    SACH LIKHA HAI, SAREEK LIKHA HAI ...... PAHLE KHUD KO SUDHARNA CHAHIYE ...

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  4. पहले ख़ुद तो सुधर जाओ फ़िर सुधारो
    सुधरे बिना किसी को कैसे सुधारोगे।
    बहुत सही और सार्थक सीख है. आपकी रचनाए सन्देश देती है.

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  5. पहले ख़ुद तो सुधर जाओ फ़िर सुधारो
    सुधरे बिना किसी को कैसे सुधारोगे।

    बहुत सुधरी हुई शायरी!
    शुभकामनाएँ!

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  6. अगर दुश्मनी निभाने से फुर्सत मिले
    तब ही दिल से दिल की दूरी पाटोगे।

    सही ज्ञान देती आपकी ये पंक्तियाँ बहुत ही सार्थक लगीं ....!!

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  7. आप सभी ब्लोगर मित्रों का मेरा हौसला बढाने के लिए दिल से धन्यबाद!!

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