अपनी क्षमता से जादा क्यों दौड़ने लगे हो।
घबराके जीवन से नाता क्यों तोड़ने लगे हो॥
अच्छे अच्छों का बदलता है वक्त जीवन में
होकर दुःखी अपना माथा क्यों ठोकने लगे हो।
जरूरी नहीं हमेशा मन का ही होता जाए
पागलों की तरह फिर क्यों भौंकने लगे हो।
राज ए दिल को दिल में ही छुपाये रखिये
बहक कर राज ए दिल क्यों खोलने लगे हो।
जब तक निभे निभाओ साथ अपनी तरफ़ से
निभे नहीं छोड़ो जहर क्यों घोलने लगे हो।
दुश्मन बोलना चाहे समझो दाल में कुछ काला
भूल कर सब उसके साथ क्यों डोलने लगे हो।
मन की जिन्दगी यहाँ कहाँ मिलती सभी को
किस्मत का भांडा गैरों पर क्यों फोड़ने लगे हो।