बुधवार, 18 फ़रवरी 2009

जो जो जब जब होना सो सो तब तब होना है


जो जो जब जब होना है,सो सो तब तब होना।  
बताओ फिर किस बात पर,नीदें अपनी खोना॥  

जो कुछ भी वो करता ठीक ही तो वो करता 
फिर उसकी करनी में दोष तुम्हें क्यों दिखता 
उसका फैसला माने सही फिर क्यों रोना-धोना।  

चाहे कुछ भी सोच लो, चाहे कुछ भी मान लो
उसके आगे एक चले न,बस इतना ही जान लो
मानव चाहे कुछ समझे,पर है वो एक खिलौना। 

उसकी शरण में खुदको सदा डाल के रखना
जो भी करे उसकी मरजी,सदा मान के रहना  
चिंता अपनी उसको दे दो क्यों चिंता को ढोना।  


2 टिप्‍पणियां: