मेरी बातों में क्या रखा,
अपने दिल की बात सुनाओ।
देखें क्या है तकदीर तुम्हारी,
लाओ अपना हाथ दिखाओ॥
आज मिले हो जैसे मुझसे,
क्या कल भी मिलने आओगे
यहीं मिलोगे या और कहीं,
होगी कहाँ मुलाकात बताओ।
रोज मिलेंगे दिल से मिलेंगे,
जहाँ कहोगे हम वहाँ मिलेंगे
पर,जैसे मैं चाहती वैसे,
गर तुम मेरा साथ निभाओ।
छल-कपट की बात नहीं,
देखो अपने इस प्यार में
मेरी इन बातों पर दिलवर,
क्यों हो गए उदास बताओ।
रोज मिलेंगे दिल से मिलेंगे
जवाब देंहटाएंजहाँ कहोगे हम वहां मिलेंगे
पर,जैसे मैं चाहती हूँ वैसे ही
गर तुम मेरा साथ निभाओ।
--क्या बात है, बहुत खूब!! बधाई, प्रेम भाई.
आज मिले हो जैसे मुझसे
जवाब देंहटाएंकल भी यूँ ही मिलने आओगे"
इन पंक्तियों के भीतर छिपी बेचैनी महसूस कर रहा हूं. धन्यवाद
वाह जी बहुत सुन्दर गीत लिखा है!
जवाब देंहटाएंछल कपट की बात नहीं है
जवाब देंहटाएंदेखो अपने इस प्यार में
मेरी इन बातों पर दिलवर
क्यों हो गए उदास बताओ।
" भावनात्मक अभिव्यक्ति.."
Regards
छल-फरेब की इस दुनिया में,
जवाब देंहटाएंइतनी आशाएँ मत पालो।
दिलवर के दिल के दीपक में,
स्नेह फरूखाबादी डालो।।
कृपया शब्द-पुष्टिकरण हटा दें।
टिपियाने में दिक्कत होती है।
अनुराग भरे दिलों में फिर छल-कपट के लिये जगह ही कहां बचती है।
जवाब देंहटाएंbahut bhavbhini rachna
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