प्यारा सजनी का प्यार भुलाऊं कैसे
भुलाऊं कैसे उसे घर लाऊं कैसे
प्यारा सजनी का प्यार ---
रूठी जब से मोरी सजनियाँ
प्यार से प्यारी मोरी सजनियाँ
जाके ससुराल में उसको मनाऊं कैसे
उसे घर लाऊं कैसे
प्यारा सजनी का प्यार ---
चली गई वो बिना बतलाये
तन तड़पे मन मोरा घबराए
जाके ससुराल में उसको मनाऊं कैसे
उसे घर लाऊं कैसे
प्यारा सजनी का प्यार ---
कभी कभी मेरे मन में उठते
उलटे सीधे सवाल
बिन सजनी के सचमुच ही
ये जीवन है जंजाल
जाके ससुराल में उसको मनाऊं कैसे
उसे घर लाऊं कैसे
प्यारा सजनी का प्यार ---
अपने मन और दिल की उधेड़बुन को बहुत अच्छे तरीके से लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
bahut sunder ehsaas badhai
जवाब देंहटाएंअच्छी पैरोडी है।
जवाब देंहटाएंदिल का दर्द उमड़ कर,
जवाब देंहटाएंसारा कविता में भर आया।
शहनाई के सुर में मन की,
पीड़ा का सन्देश समाया।।
वाह जी बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएं---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
मैंने उसको किया कभी मना ही नहीं।
जवाब देंहटाएंमगर उसने मुझे कभी छुआ ही नहीं।
बहोत खूब .....!!
घर जाऊं कैसे? बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.