बुधवार, 15 जुलाई 2009

मैं क्या बताऊं! तुम्हें दुःख अपना गुइयां।


क्या मैं बताऊं तुम्हें दुःख अपनों गुइयां।
मिलत जुलत नाहीं हैं मुझसे मेरे सइयां॥

सब सखियाँ मेरी मज़ा उडावे
सइयां उनके उन्हें गोद में बिठावे
पर
 मुझको नहीं है कहीं कोई ठैयां।

सैयां हैं मेंरे अजीब तरह के
रूठे रहत जाने कौन वजह से
कब हूँ न डालें बहियों में बहियां।

तुम्हारे दिन अच्छे कटत हैं सहेली
पर मैं तो रही हूँ घुट घुटके अकेली
दुःख के सिवा न मिली सुख की छैयां।



मंगलवार, 14 जुलाई 2009

वो मुझको अपनी जाँ समझते हैं


वो मुझको अपनी जाँ समझते हैं।
           मेरी मौनी को मेरी हाँ समझते हैं॥


जुल्फें मेरी बिखरा के ख़ुद पर वो
         मुझको ठंडी घनेरी छाँ समझते हैं॥

बस होने ही वाले हैं साठ के ऊपर
         अभी भी खुदको जवाँ समझते हैं॥


समझाती रहती हूँ अब यह छोडो
          पर मेरी बातें वो कहाँ समझते हैं॥

उन के आगे तो मेरी एक चले ना
         ख़ुद को तीस मार खां समझते है॥


रह जाती हूँ मैं मन को मसोसकर
         पर मेरी कहाँ वो जुवां समझते हैं॥ 

सोमवार, 13 जुलाई 2009

हम चढ़ गए एक दूजे की निगाहों में


हम चढ़ गए एक दूजे की निगाहों में।
   बड़ा सकूं मिला एक दूजे की बाँहों में॥

अब हमें क्या लेना देना है दुनिया से
    जब रहने को मिले उस की पनाहों मे॥

मुहब्बत का रंग होता है बड़ा ही प्यारा

 मस्ती सी छायी हुई जिन्दगी की राहों में॥

जो मांगो वही मिले तो बात ही क्या
 यह तभी होता जब हो असर दुआओं में॥ 

रविवार, 12 जुलाई 2009

मेरी भी एक प्यार से भरी कहानी थी



मेरी भी एक प्यार से भरी कहानी थी।
        कुछ न पूँछो जिन्दगी बड़ी सुहानी थी॥

बड़ा मुश्किल था रहना दूर एक दूजे से
        मैं उसपे दीवाना वो मुझपे दीवानी थी॥

जितना प्यार मिला उसका बहुत लगा
      उसकी हरेक अदा दिल को लुभानी थी॥

उसका प्यार दिल से कभी उतरा ही नहीं
      उसका प्यार ही मेरी ताकत रूहानी थी॥

शनिवार, 11 जुलाई 2009

बतलाओ मुझे आप क्यों रोने लगे हो


बतलाओ मुझे आप क्यों रोने लगे हो।
             आँसुओं से आँखें क्यों भिगोने लगे हो॥

टूटना बिखरना जिसकी आदत हुई
                उसे एक धागे में क्यों पिरोने लगे हो॥

रहना चाहते गर खूबसूरत फूलों में
                तो जीवन में काँटे क्यों बोने लगे हो॥

पाहिचान बनानी तो हटके जीना होगा
             गुम होकर पहिचान क्यों खोने लगे हो॥

जल्दी सो ओ जल्दी उठो स्वस्थ रहोगे
           कहो देर तक आखिर क्यों सोने लगे हो॥

बुधवार, 8 जुलाई 2009

अब देखना यह है कि वो आख़िर क्या करते हैं


अब मुझे देखना यह है कि वो क्या करते हैं।
     ठुकराते कि मुहब्बत का हक़ अदा करते हैं॥ 

वो मेरी मरज जान के भी अनजान बने हुए
      दवा कि जगह पास आ कर दुआ करते हैं। 

वो बसे हुए हैं इस तरह मेरे दिलो-दिमाग में
      जफा करते तो लगता है कि वफ़ा करते हैं।  

मनाओ उन्हें तो वो मनाये नहीं मनते मुझसे
     मालुम नहीं आख़िर हम क्या खता करते हैं। 

अब इसके सिवा कोई काम नहीं है मेरे पास
      हर हाल में उन की ही माला जपा करते हैं।  

रात भर सो न पाते उनके ख्यालों में डूब के 
     कोई राह नज़र न आती हाथ मला करते हैं।  

लगता है कि वो मुझको प्यार ही नहीं करते 
    पर जब भी मिले लगता मुझपे मरा करते हैं। 

मंगलवार, 7 जुलाई 2009

जब से जिन्दगी से उसका जाना हुआ


जबसे जिन्दगी से उसका जाना हुआ।
          मुस्कराए हुए मुझे एक ज़माना हुआ॥ 

जी रहा हूँ तड़प कर उसकी जुदाई में
          यह दिल मेरा उजड़कर वीराना हुआ। 

दिल से रखा था मैंने मुहब्बत में कदम
          पर हर कदम पे खुदको रुलाना हुआ।   

किसी को न मिले कभी ऐसी बेवफाई
          जीते जी मेरा तो बस मर जाना हुआ। 


सोमवार, 6 जुलाई 2009

मुस्कराते हुए लोग भी अन्दर से हुए क्रूर हैं


मुस्कराते हुए लोग भी अन्दर से हुए क्रूर हैं।
       दोहरी जिन्दगी जीने के लिए हुए मजबूर हैं॥

कहना कुछ करना कुछ आदत सी पड़ गयी
      इन्सान के आज  कितने बदल गए दस्तूर हैं॥

जुल्म पर जुल्म  बढते जा रहे हैं दिनों दिन
       मगर सज़ा वही पा रहे जो गरीब बेक़सूर है॥

मस्ती में  जी रहे हैं वही  मनमानी जिंदगी
        जिनके दौलत से भरे हुए खजाने भरपूर हैं॥

कोई किसी की परवाह ही नहीं करना चाहे 
       इंसानियत से लोग आज जा रहे बड़ी दूर हैं॥

शासन प्रशासन सभी तो हैं जनता के लिए
        इसके बावजूद भी सब लोग हुए चूर चूर हैं॥

रविवार, 5 जुलाई 2009

अगर तू आए तो आ जाए मौसम बहार का


अगर तू आए तो आ जा मौसम बहार का
    दिल ये मेरा बड़ा ही बेताब है तेरे दीदार का॥ 

हर तरह से देख लिया मैंने बहला कर दिल
    हाल फिर भी बेहतर हुआ तेरे बीमार का॥ 

भी जाओ न अब और देर न लगाइयेगा 
   कसम तुझको है मेरी वास्ता अपने प्यार का॥ 

यह दिल मेरा बेकाबू हुआ जाए तेरी चाह में
     हाय! काटे कटे पल-पल तेरे इंतज़ार का॥



शुक्रवार, 3 जुलाई 2009

गरीबी नहीं मिट रही तो क्या गरीब तो मिट रहे हैं


गरीबी नहीं मिट रही तो क्या गरीब तो मिट रहे हैं।
         जो नहीं मिटे वो जिंदगी में जैसे तैसे घिसट रहे हैं॥

राज नेता जो कहते अक्सर वो किया नहीं करते
        मगर गरीबी पर बयान देकर वो हमेशा हिट रहे हैं॥

गरीबों पर रहम दिखाया गया पर किया नहीं गया
      सदियों से ही पिटते आए और आज भी पिट रहे हैं॥

कहना कुछ करना कुछ यही फंडा है राजनीति का
       नेता यही फंडा अपना कर मकसदों में फिट रहे हैं॥