मंगलवार, 27 अप्रैल 2010

एक नहीं मैंने कई एक झटके खाये है


एक नहीं मैंने कई एक झटके खाये है।
         तब कहीं जाकर यहाँ तक पहुँच पाए हैं॥ 

उमर भर उनके सिर्फ नखरे ही उठाते रहे
      तब कहीं जाकर के दोस्त वो मुसकराये हैं॥

गर मिले गये वो तो शुक्रिया खुदा का
   वरना अगले जन्म की दोस्त आस लगाये हैं॥

मेरी साँसे इस बात की गवाह बनी हुई
             बस वो ही वो मेरी साँसों में समाये हैं॥ 

सोमवार, 26 अप्रैल 2010

ख़ुशी से जीने की खातिर मन भी किया करो

ख़ुशी से जीने की खातिर मन भी किया करो।
ख़ुशी अगर न मिले तो भजन भी किया करो॥ 

हो गयी हो कमजोर नजर तो सुनिये मेरी बात       
सोने से पहले आँखों में अंजन भी किया करो। 

सही गलत का गर फैसला न हो पाये आपसे
बैठ अकेले कहीं चिन्तन मंथन भी किया करो। 

देखो कभी इससे कभी उससे काम न चलेगा 
किसी का होना है तो समर्पण भी किया करो। 

मनोदशा तभी तुम्हारी शुध्द सरल रह पाएगी 
कभी शुद्ध साहित्य का सेवन भी किया करो॥ 

शनिवार, 24 अप्रैल 2010

दिल चुराकर नजर चुराना ठीक नहीं होता


दिल चुराकर नजर चुराना ठीक नहीं होता।
     अपना बनाके फिर सताना ठीक नहीं होता।

निभा सको जितने उतने वादे करना सीखो
        वादा करके मुकर जाना ठीक नहीं होता।

दूर जाना ही था तो नजदीक में क्यों आये
     नजदीक आकर दूर जाना ठीक नहीं होता।

होता बहुत जरूरी प्यार में पीछे पड़े रहना
   पीछे पड़कर पीछा छुड़ाना ठीक नहीं होता। 

साथ में जीने मरने की पहले कसमें खाकर
     वो कसमें दिल से भुलाना ठीक नहीं होता।

तुम क्या जानो तुम बिन कैसे कैसे जिया हूँ
   दीवाने के दिल को रूलाना ठीक नहीं होता।

जीवन जीना है तो रोज दोस्त बनाते जाओ
      रोज - रोज दुश्मन बनाना ठीक नहीं होता।

पुण्य कमाते जाओ लोगों को हँसा हँसाकर
    रुला रुलाकर पाप कमाना ठीक नहीं होता।

दिल से दिल मिल जाये तो प्यार पनपता है
   दिल दुखाकर नफरत पाना ठीक नहीं होता।

कभी चैंन नहीं पाया मैंने जिये तेरी जुदाई में
  दिल लगाके दिल को दुखाना ठीक नहीं होता।

बिन सोचे समझे ही आ जाओ मेरी बाँहों में
    दिल दीवाने को यूँ तरसाना ठीक नहीं होता।



रविवार, 18 अप्रैल 2010

कभी वो मुझे ओढ़ते हैं तो कभी मुझे बिछाते हैं।


कभी वो मुझे ओढ़ते हैं तो कभी मुझे बिछाते हैं।
  अपनी मुहब्बत को मुझे कई ढंग से दिखाते हैं।

हम नहीं होते तो उन पर दुःख का पहाड़ टूटता
   मालूम नहीं मेरे बगैर दिन रात कैसे बिताते हैं।

मुँह से बात निकली कि आज तो ये चीज़ खाना
 जरा सी देर में वो चीज़ लाकर मुझे खिलाते हैं।

कोई अगर मदभरी आँखों से देखना भी चाहे तो
  सामने आकर वो उन नज़रों से मुझे छिपाते हैं।

उनका प्यार तो जहाँ में सबसे अलग ही लगता 
हर पल हर घड़ी मुझे नये-नये ढंग से रिझाते हैं।
  

कल जो दोस्त थे वो आज दुश्मन बने बैठे हैं

कल जो दोस्त थे वो आज दुश्मन बने बैठे हैं।
      दिलो दिमाग की वो आज उलझन बने बैठे हैं॥

दिल से उन्हें निकलना भी चाहूँ तो निकालूँ कैसे,
      दिल की सचमुच वो आज धड़कन बने बैठे हैं॥

सकून अब मिलने वाला नहीं दीवाने दिल को,
        दीवाने दिल की वो आज तड़पन बने बैठे हैं॥

काश! उनको होश होता अपने इस गुनाह का,
       अपने गुनाहों का वो आज दरपन बने बैठे हैं॥

सोमवार, 12 अप्रैल 2010

राम बोलो राम, राम बोलो राम


राम बोलो राम,सुबह बोलो शाम
राम का नाम, हर सुख का धाम 
राम बोलो राम,सुबह बोलो शाम।

राम जी करेंगे,पार तेरी नैया
मान ले रे तू ,बात मेरी भैया 
खुल कर बोलो,बोलो दिल थाम।
राम बोलो राम,सुबह बोलो शाम

राम शरण में, जो भी आये 
जो भी मांगे, वो ही पाये 
लगता नहीं हैं, कोई भी दाम।
राम बोलो राम,सुबह बोलो शाम। 

राम भक्तों ने, हमेशा कहा है
राम कृपा से ही काम बना है 
राम का नाम,दे बड़ा आराम। 
राम बोलो राम,सुबह बोलो शाम।

-प्रेम फर्रुखाबादी 

रविवार, 11 अप्रैल 2010

ना वो पास आते ना वो पास बुलाते हैं


 वो पास आते हैं ना वो पास बुलाते हैं।  
     न वो कुछ सुनते हैं ना वो कुछ सुनाते॥ 


उनका चुप रहना अब तो सहन नहीं होता
    उन्हें बहलाने को जब कि खूब घुमाते हैं॥ 


जाने कहाँ खोये रहते जब भी देखो उन्हें 

उनके सजदे में जब-जब खुदको झुकाते हैं॥ 

कभी आँख से आँख मिली ही नहीं उनसे
  दिल दुखता है जब मुझसे आँख चुराते हैं॥ 


बिना बात किये दो दिल एक नहीं होते
      जाने क्यों खुदको वो मुझसे छुपाते हैं॥


उनसे कहा एक दूजे को भूल ही जाएँ
न वो खुदको भूलते हैं  मुझको भुलाते है॥ 

बड़ा ही मुश्किल हुआ मुझे उनको समझना
  कभी खुद रोते हैं तो कभी मुझे रुलाते है॥


 उनकी इन्हीं अदाओं पर तो मैं मरता हूँ
  न गुदगुदी होती है उन्हें न वो गुदगुदाते हैं॥ 



शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

पत्नी के रूप में खुदा तूने तोहफा दिया हसीं है


पत्नी के रूप में खुदा,तूने दिया तोहफा हसीं है।
   महसूस नहीं हो रही कि, मेंरे पास कोई कमी है॥ 

उसे जितना भी सराहूँ उतना ही मुझे कम लगे
   प्यार से प्यारा हुआ सारा आसमां सारी जमीं है॥ 

सुख-दुःख में साथ रह के रखे मुझे सहेज कर
    उस जैसा तो इस दुनिया में कोई दूसरा नहीं है॥

तारीफ में उसकी भला कहें तो क्या कहें हम 
     उसके बगैर दुनिया में कहीं भी गुजारा नहीं है॥  

ऐसा साथी नहीं है वो जो हाँ में ही हाँ मिलाये
     कभी हाँ कहे तो कभी न सच्चा साथी वही है॥ 



गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

उनकी रचना में नहीं जितना उनमें दम है


उनकी रचना में नहीं,जितना उनमें दम है। 
देख प्रोफाइल हर कोई जाता उनमें रम है॥ 

टिपण्णी करने जाता रख के सिर पर पाँव 
मुहब्बत के लिए यह मेहनत बहुत कम है॥ 

आँखों के अंधों को कुछ भी नहीं सूझता
आखिर क्या है उनमें अच्छाई क्या ख़म है॥ 

जो है पास उसके उसकी ख़ुशी नहीं कोई 
जो पास नहीं है उसके खलता वही गम है॥ 

उसका ध्यान कोई यूँ भंग नहीं कर पाता 
भंग जिससे होता पायल की छम छम है॥ 

समझदारों को समझाने की जरूरत नहीं
प्यार मिले तो बताओ फिर कैसी शरम है॥ 

तारीफ़ से हमेशा प्यार हासिल नहीं होता 
ब्लागर्स के लिए कितना प्यारा यह भ्रम है॥


बुधवार, 7 अप्रैल 2010

बताओ मुझे तुम तड़पता क्यों छोड़ गये


बताओ मुझे तुम तड़पता क्यों छोड़ गये।
       दिल- दिमाग से तरसता क्यों छोड़ गये॥

क्या यही थी तेरे प्यार की गहराई दिलवर
    दिल से लगा कर मचलता क्यों छोड़ गये॥

बैठ कर सकून से बातें भी नहीं कर पाये
       ये तन-मन मेरा सुलगता क्यों छोड़ गये॥

कुछ कह जाते तो कुछ सुन जाते आखिर
     मुझको बेसहारा सुबकता क्यों छोड़ गये॥

मेरी मुहब्बत मुझे मेरी भूल सी लग रही
       कैसे सम्भलूंगी धड़कता क्यों छोड़ गये॥ 

मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

देख के तुझको मैं बेजुबान रह गया


देख के तुझको मैं बेजुबान रह गया।
            उठा मगर ठहर के तूफ़ान रह गया॥

तुम क्या गए मानो प्राण निकल गए
            खाली तन का यह मकान रह गया॥

ऐसे रूठे मुझको मुड के भी न देखे
           कहें कि अब क्या दरमियाँ रह गया॥

वो चला गया जिसपे गरूर था मुझे
            नीचे जमीं ऊपर असमान रह गया॥

उनकी हर बात मुझे सच लगती थी
       सी वही सच अब झूठा बयान रह गया॥



शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

आखिर मोहब्बत को क्यों समझेगा जमाना


आखिर मोहब्बत को क्यों समझेगा जमाना।
           न समझना जमाने का रहा अन्दाज पुराना।

मोहब्बत करने वाले मिटे मोहब्बत न मिटी
          मुश्किल है दुनियां से मोहब्बत को मिटाना।

शायद फले-फूले मोहब्बत चोरी-चोरी से ही
         मोहब्बत गर करोगे तो प्यारे पड़ेगा छुपाना।

मोहब्बत की दुश्मन है ये दुनियां सदियों से
         नहीं माना वो जो हुआ मोहब्बत में दीवाना।


मंगलवार, 30 मार्च 2010

यह मेरी प्रकाशित पुस्तक है जिसका नाम है "अक्स तेरा लफ़्ज मेरे"


प्रिय ब्लोगर मित्रो,यह मेरी प्रकाशित पुस्तक है जिसका नाम है "अक्स तेरा लफ़्ज मेरे" । मुझे बेहद ख़ुशी हो रही है कि आखिर मेरी रचनाओं ने ईश्वर की कृपा से पुस्तक का रूप ले लिया है। यह ख़ुशी मैं आप सबसे बाँटना चाहता हूँ
प्रेम फ़र्रुखाबादी

मेरी तस्वीरें




सोमवार, 29 मार्च 2010

वक्त को पकड़ो मत वक्त को छोड़के जिओ


वक्त को पकड़ो मत वक्त को छोड़के जिओ।
    वक्त के साथ बदलके खुदको मोड़के जिओ।

वक्त बदलते ही सब लोग बदल जाया करते
    जो लुभाये उसी के संग दिल जोड़के जिओ।

मन को विषैला करती नजदीकियां अक्सर
   जरूरत नहीं है तो मन को सिकोड़के जिओ।

किसी भी तरह न निभें रिश्ते अपने लोगों से
   छोड़ दो उनको रिश्तों को मत तोड़के जिओ।




बुधवार, 17 मार्च 2010

मैं हूँ तेरी रानी, तू है मेरा राजा


मैं हूँ तेरी रानी, तू है मेरा राजा
आ जा पास आ जा, आ के मुझमें समाजा
आ जा पास आ जा, आ के मुझमें समाजा

दोनों जियेंगे मिल के, ये जिंदगानी
प्रेम से रचाएंगे हम, प्रेम कहानी
बाँट लेंगे दुःख सुख, आधा आधा।
आ जा पास आ जा, आके मुझमें समाजा।

सुर से सुर को , मिलायेंगे दोनों
दिल से दिल को, खिलाएंगे दोनों
एक होगी तान अपनी, एक होगा रागा।
आ जा पास आ जा,आके मुझमें समाजा।

हाय तेरे बिना हम, कैसे जियेंगे
तेरी जुदाई का गम ,कैसे सहेंगे
प्रीती की रीति आ कर, जल्दी निभाजा।
आ जा पास आ जा,आके मुझमें समाजा।

मंगलवार, 16 मार्च 2010

तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है


लड़का-
तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है
               दिल का नहीं यह आँखों का कसूर है
आँखों के कसूर पे यह दिल मजबूर है
               तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है

मैंने तुझको देखा पर तू चाहे ना देखे
            दिल फेंक दिया मैंने पर तू चाहे ना फेंके
देखो, नशा जवानी का चढ़ा भरपूर है।                
               तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है। 
लड़की -
बातों ही बातों में ना मुझको बहलाओ
            दिल में तुम्हारे क्या है मुझको बतलाओ
तेरी पहुँच से प्यारे दिल्ली बड़ी दूर है
               तुझसा ना देखा कोई मस्ती में चूर है।
लड़का-
तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है
              दिल का नहीं गोरी आँखों का कसूर है
आँखों के कसूर पे ये दिल मजबूर है
               तुझको मेरी जान कहीं देखा जरूर है। 

बुधवार, 10 मार्च 2010

तेरी यादों में खोया करुँ


तेरी यादों में खोया करुँ',
तेरे ख्वाबों में सोया करुँ
जुदाई में तेरे प्यार में,
अपनी आँखें भिगोया करुँ

लोग समझाते हैं जिस तरह,
सुकूंन मिलता नहीं उस तरह
समझ में कुछ भी आता नहीं
खुदको समझाऊँ किस तरह 
तुझको खुद में पिरोया करुँ,
तेरी यादों में खोया करुँ।

एक दिन तो बनोगी मेरी तुम
इसी चाह में रहता हूँ गुमसुम
वो दिन खुशी का दिन होगा 
जिस दिन समझोगी मेरा मरम
खुदको मैं खुद में ढोया करुँ,
तेरी यादों में खोया करुँ।

जन्मों का रिश्ता है अपना
पास आओ नहीं दूर अब रहना
हर बात तेरी सुनूंगा दिल से 
कहना जो भी तुम्हें हो कहना 
तड़प कर तन्हाई में रोया करुँ,
तेरी यादों में खोया करुँ।

रविवार, 28 फ़रवरी 2010

देखके तुम को माना है मैंने, तुम हो बहुत हँसीन


देख के तुमको माना है मैंने,तुम हो बहुत हँसीन।
घूम के देखी सारी दुनिया, कोई भी तुम सा नहीं। 

झूठ नहीं हम कहते कहते हम दिल से दिल की 
बातें मेरी सब होत सच्ची कर लो मुझपे यकीं।

कितना चाहूँ तुम को मैं कहो कैसे तुम्हें बतलाऊँ
जाने है सारा आसमां और जाने यह सारी जमीं।

तुमने गर ठुकराया तो हो जायेगा जीना मुहाल
सच कहूँ तेरे सिवा मेरा कोई मेरा ठिकाना नहीं।

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010

पाट बाबा की जय हो


जय हो,  जय हो, जय हो, पाटबाबा की जय हो
शरण में जो भी आये-2उसको न कोई भय हो।
जय हो,पाटबाबा की जय हो,जय हो। 

भक्तों की रक्षा करते हैं, प्यार उन्हें सच्चा करते हैं 
दुःख सारे ही हर लेते हैं,सुख सारे ही भर देते हैं 
बाबा की कृपा से भक्तो-2 जीवन यह सुखमय हो।
जय हो, पाटबाबा की जय हो, जय हो। 

बिगड़े काम बना देते हैं, उजड़े धाम बसा देते हैं 
जीने की राह दिखाते हैं, जीने की चाह जगाते हैं
मस्ती ही मस्ती के संग-2 जीवन सफ़र यह तय हो। 
जय हो, पाटबाबा की जय हो, जय हो। 

जीवन में शक्ति मिलती, जीवन में भक्ति मिलती
मुश्किल होती है आसान, खुदको मिलती है पहचान
भक्ति भावना के रस में-2 तन और मन एक लय हो।
जय हो, पाट बाबा की जय हो, जय हो।

बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

याद में यार की चाह में प्यार की


याद में यार की चाह में प्यार की

यह मेरा दिल है, जो जल रहा है
दिल के सिवा जलता भी क्या है
इसके सिवा और होता भी क्या है
याद में यार की चाह में प्यार की
यह मेरा दिल है, जो जल रहा है ...

उसके ही ख्यालों में खोया रहूँ 
उसको ही ख्वाबों में देखा करूँ
चाहे सुबह हो या चाहे हो शाम
उसके ही दिलसे मैं सोचा करूँ
रहे हालत दिल की बेकरार सी
याद में यार की चाह में प्यार की
यह मेरा दिल है जो जल रहा है ...

धड़कन दिल की बढ़ जाती है
तबियत भी मेरी घबडाती है
चढ़ जाती है मस्ती सी मुझपे 
मस्ती में दिल को तडपाती है
तड़प के मैंने दिल से पुकार की 
याद में यार की चाह में प्यार की
यह मेरा दिल है जो जल रहा है ...

कोई बताये क्या मिलने का रास्ता
तुम सभी को अपने रब का वास्ता
समझ में मेरे कुछ भी आता नहीं है
देना जबाव कोई मेरी इस बात का
तुम सबको कसम परवरदिगार की
याद में यार की चाह में प्यार की
यह मेरा दिल है जो जल रहा है ...


शनिवार, 6 फ़रवरी 2010

चलो उन्हें सकून तो मिला, मुझे भुलाकर


चलो उन्हें सकून तो मिला, मुझे भुला कर।
चलो उनका दिल तो खिला,मुझे भुला कर॥

यही मेरी आरजू रही वो जहाँ रहें खुश रहें
चलो उनका दूर हुआ गिला,मुझे भुला कर।

जाने क्यों उन्होंने उदासी को ओढ़ रखा था
चलो उनका चेहरा तो खिला,मुझे भुला कर।

मुझे मेरी नहीं बस उनकी ही फ़िक्र थी सदा
चलो उनका अच्छा तो हुआ,मुझे भुला कर।

किसी के काम तो आ गयी ये जिंदगी मेरी
सदा उनका होता रहे भला,मुझे भुला कर।



गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

आज कल लोग दोस्ती कम दुश्मनी जादा निभाते हैं


आज कल दोस्ती कम लोग दुश्मनी जादा निभाते हैं।
जो होते नहीं अक्सर वही रूप दूसरों को दिखाते हैं॥

मजाल क्या कोई सहारा दे किसी को उठने के लिए
मौका मिलते ही  दूसरों को टांग खीच कर गिराते हैं।

बेमतलब कोई किसी को कभी नहीं पूछता है यारो
मतलब पड़े तो लोग दूसरों को खाना भी खिलाते है।

बस प्यार से ही जी जा सकती यहाँ जिन्दगी यारो
जो यह जानते वही जिन्दगी को प्यार से जी पाते हैं।

दिखावे से कभी दूर तक नहीं निभा करते हैं रिश्ते
रिश्ते  उनके ही निभते जो रिश्ते दिल से निभाते हैं।

अपने दिल की बात कभी किसी से न कहें मेरे यार
सम्मान उनको ही मिलता जो बात दिल में छुपाते हैं।

मात्रा के साथ जो रखें अपनी गुणवत्ता पे भी नजर
सामान उन्हीं के बजार में अच्छे दामों पर बिकाते हैं।

दिल से दिल मिल जाएँ किसी से ये जरूरी तो नहीं
आगे वही बढ़ते जाते हैं जो हाथों से हाथ मिलाते हैं।

जो बदतमीजी करते हुए नजर आते हमेशा गैरों से
दूसरों को मिटा के एक दिन वो खुदको ही मिटाते हैं।