मंगलवार, 13 अक्तूबर 2009

इस तरह तुम बसे मेरी आँखों में


इस तरह तुम बसे मेरी आँखों में
तेरी खुश्बू सी लगे मेरी सांसों में॥ 

खाने को खाया है मीठा तो बहुत 

उतना कहाँ जितना तेरी बातों में

दिन तो गुजर ही जाते जैसे-तैसे
पर खले जुदाई तेरी मेरी रातों में

कुछ भी नहीं सुहाता है बगैर तेरे 
लेकर देखूं तसवीर तेरी हाथों में

लगा हुआ है पहरा चारों तरफ़ से 
जीता मैं ज्यों जीभ मेरी दाँतों में। 

तेरे जैसा नहीं होगा जादूगर कोई
दिल मेरा गया तेरी मुला
कातों में













रविवार, 4 अक्तूबर 2009

उनसे दो बातें क्या करली उनका दम घुटने लगा


उनसे दो बातें क्या कर ली 

उनका तो दम ही घुटने लगा ।
पल 
भर में ही उन्हें लगा कि 
जैसे सब कुछ ही लुटने लगा ।

तारीफ तो इस लिए की जाती 

कि आत्मीयता बनी रहे आपस में
इसका मतलब यह नहीं कि 
जमाना 
उसके आगे तन-मन से झुकने लगा।

वो बहुत ही खूबसूरत हैं शायद 

किसी ने उनसे यह कह दिया
फ़िर क्या था फ़िर तो चाँद 
बदली में जा के छुपने लगा।

एक से एक पड़े 
हैं खूबसूरत 
चेहरे इस खूबसूरत जहाँ में
हाय जाने क्यों हर कोई शख्श 
बेताबी से उनकी ओर मुड़ने लगा।

शनिवार, 3 अक्तूबर 2009

जब जब मैंने सच बोला तो अपनों से हम दूर हुए


जब जब मैंने सच बोला अपनों से हम दूर हुए।
अपनों से जो सपने देखे सपने वो सब चूर हुए॥ 

जब भी जिसकी पड़ी जरूरत ले गए वो घर से
मुझको जरूरत पड़ी तो भोलेपन से मजबूर हुए।

साथ में बैठना उठना था जब थे हालात के मारे
फिरने लगे वो मुझसे ज्यों दौलत से भरपूर हुए।

एक दूजे के बिना दोनों कभी दूर नहीं रह पाए 
नज़रों से मुझे गिरा दिया जब से वो मशहूर हुए।

हम न करते तारीफ तो पता ही नहीं चल पाता
ज्यों ही पता लगा हम से दुनिया की वो हूर हुए। 


रविवार, 27 सितंबर 2009

फ़िल्म - ज़ंजीर के गाने की पैरोडी


फ़िल्म - ज़ंजीर के गाने की पैरोडी

बना के क्यों बिगाडा रे, .....

दीवाना क्यों बनाया रे, बनाया  रे दीवाना
ओ दीवाने ओ दीवाने -२
मुझको रिझा के,अपना बना के,
बनाया रे  दीवाना ओ दीवाने  ओ दीवाने

दिल में मेरे दिलवर बन के, दिल से लगाया मुझको
प्यार अगर ये  झूठा था तो, क्यों बहलाया दिल को
कसमें खिला के, ख़ुद भी खा के,
दीवाना क्यों बनाया रे, बनाया  रे दीवाना
ओ दीवाने  ओ दीवाने-2

गुरुवार, 24 सितंबर 2009

विद्या देवी सरस्वती माता दे दो मुझको ज्ञान


विद्या देवी सरस्वती माता दे दो मुझको ज्ञान।
शाम सवेरे मैं पूजा करूँगा धरूँगा तेरा ध्यान॥

मूरख ज्ञानी बन जाता है
जाये जहाँ आदर पाता है
मुझको भी मिले सम्मान।
विद्या देवी सरस्वती माता दे दो मुझको ज्ञान।

अंधकार से मुझको उबारो
भवसागर से मुझको तारो
मेरा भी करो कल्याण।
विद्या देवी सरस्वती माता दे दो मुझको ज्ञान।

तेरी शरण में जो भी आया
जो भी माँगा वो ही पाया
दो मुझको भी वरदान।
विद्या देवी सरस्वती माता दे दो मुझको ज्ञान।

सोमवार, 21 सितंबर 2009

जिस दोहे ने मुझे कवि बनाया



जिस दोहे ने मुझे कवि बनाया । आज मैं यह दोहा आप के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह २४//१९७६ की बात है जब मैंने पहली बार कवि सम्मलेन देखा व सुना था । इस दोहे ने मेरा जीवन ही बदल दिया । भानु प्रताप बुंदेला जी ने यह दोहा सुनाया था।

एक पनिहारिन कुए पर पानी भरने जाती है और दोहा वहीं से शुरू होता है

पानी ऐंचत झुकी कुआ में,

झलके अंग अनोखे।
मानो जमुना जी में हों,

गुम्बद ताजमहल के ।

आप सब भी इस दोहे का आनंद लें.धन्यवाद !!



रविवार, 20 सितंबर 2009

आओ हम डांस करें मिल के ख़ुदको एडवांस करें


आओ हम डांस करें मिलके ख़ुदको एडवांस करें।
मौसम हँसीन है दिल भी रंगीन है आओ रोमांस करें।

आँखों में आँखों डालो, दिलवर दिल को उछालो
मस्ती में मौज मना लो, बांहों में बांहों को डालो
बिन तेरे क्या है जीना, सुन सुन ओ मेरी हंसीना
होगा इन आँखों से पीना, होगा इन बांहों में जीना
मौसम हँसीन है दिल भी रंगीन है आओ रोमांस करें।

देखो छेड़ो न मुझको, कुछ कुछ होता है मुझको
क्या कुछ होता है तुझको, बांहों में ले लो मुझको
बदन यह गोरा गोरा,देखो पगलाये यह मन मोरा
चूमें हम थोड़ा थोड़ा, मिलके झूमें थोड़ा थोडा़
मौसम हँसीन है दिल भी रंगीन है आओ रोमांस करें।

देखो सब झूम रहे हैं, एक दूजे को चूम रहे है
मस्ती में कूक रहे हैं, पर हम क्यों चूक रहे हैं
तुझसा ना कोई मिला,मिला तो दिल यह खिला
दिल में ना कोई गिला, मस्ती में पी और पिला
मौसम हँसीनहै दिल भी रंगीन है आओ रोमांस करें।

मेरे सपनों के राजा, थोडा और करीब आ जा
मस्ती में मुझ पर छा जा, मुझसे अब दूर ना जा
होंगे न हम कभी जुदा, तुझसे आने लगा मजा
भायी हर तेरी अदा, चाहे मिले अब कोई सजा
मौसम हँसीन है दिल भी रंगीन है आओ रोमांस करें।

मुझको संभालो मैं गयी, देखो पागल दीवानी हुई
कुछ भी अब दिखता नहीं, मन मारे चुकता नहीं
मेरे सपनों की रानी, हाय तेरी यह मस्त जवानी
होने लगी पानी पानी, हाय छाने लगी रवानी
मौसम हँसीन है दिल भी रंगीन है आओ रोमांस करें।






हाय तेरे रूप ने मेरी हालत ख़राब की


हाय तेरे रूप ने हालत मेरी ख़राब की।
जानलेवा हर अदा लगे तेरे शबाव की॥ 

देखा कर यूँ मुझे प्यार से जाने जिगर
जिन्दगी ये मेरी तो तुमने लाजवाब की।

तरासा था मैंने जिसे कभी ख्वाबों में
 बस वही तुम तमन्ना हो मेरे ख्वाब की।

जब से मैंने पी ली तेरी इन आँखों से
 जरूरत क्या अब पड़ी मुझे शराब की।

जिन्दगी यूँ ही कट जाये मेरी मस्ती में
 बस बनी रहे यूँ ही इनायत जनाब की।


शुक्रवार, 18 सितंबर 2009

पाकर मन का मोहना


पा कर मन का मोहना कैसे हो खुदको रोकना
कौन सोच में डूबे तुम प्यार में खुदको झोकना

जब से देखा है उसको होश नहीं है अब मुझको
सच कहूँ ऐसे में मुझे भाये न किसी का टोकना। 

ख़ुद में ही मैं लगी डूबने ख़ुदको ही मैं लगी ढूँढने
डूबी गयी गहरी प्यार में भाये न किसी से बोलना।

उसकी शरण में जब से गई उसकी हो के रह गई
भाने लगा अब तो मन को साथ में उसके डोलना।

वही दर्द दें वो ही दवा करें


वो ही दर्द दें  वही दवा करें।  
आये कोई  बताए क्या करें॥ 

तारीफ  अपनी न भाये उन्हें 
फिर रोज ही क्यों सजा करें।  

सिर्फ मेरे  ही होकर रहे वो 
मेरी लिए दिल  से दुआ करें।   

बार-बार ही  कहा उनसे मैंने 
आप खूबसूरत  हैं छुपा करें।  

-प्रेम फर्रुखाबादी