उनकी झलक भी न मिली, हम रुसवा हो गए।
खूब उड़ी मुहब्बत की खिल्ली, हम रुसवा हो गए॥
सोचा था जियेंगे मिल के मुहब्बत भरी जिंदगी
लग गयी ऐसी मुँह में चिल्ली, हम रुसवा हो गए॥
बड़ा अरमान था करूंगा देश सेवा नेता बन कर
पहुँचे भी नहीं पाए दिल्ली, हम रुसवा हो गए॥
हौसला लेकर मैं उतरा था मुहब्बत की क्रिकेट में
शुरूआत में ही उड़ गिल्ली, हम रुसवा हो गए॥
अपनी ही धुन में थे हम मस्त बेखबर दुनिया से
जाने कहाँ से आ गई बिल्ली, हम रुसवा हो गए॥
दिल की बेचैनी को आख़िर कहाँ कहने जायें हम
किसी तरह न मिली तसल्ली, हम रुसवा हो गए॥